देश में जान, माल की सुरक्षा भगवान भरोसे

0
302

देश के पॉपुलर मूड का पता इस बात से चलता है कि कौन सा मुहावरा चर्चा में लोकप्रिय हो रहा है या किस बात पर सबसे ज्यादा मजाक बन रहे हैं, चुटकुले बनाए जा रहे हैं या चिंता जाई जा रही है। जैसे कोरोना वायरस का संक्रमण शुरू हुआ तो इसे लेकर खूब मजाक बना। फिर लॉकडाउन को लेकर मजाक बना और फिर अनलॉक को लेकर बन रहा है। पर धीरे धीरे लोगों पर थकान और भय हावी हो गया। मजाक में एक जो शार्पनेस होती है, तीखापन होता है वह खत्म होने लगा और अब वह भय के प्रकटीकरण में तब्दील हो गया है। अब सोशल मीडिया में जान, माल की सुरक्षा को लेकर या लूटमार बढ़ने को लेकर मीम और मुहावरे बन रहे हैं, जिससे अंदाजा लग रहा है कि इस समय लोगों की असली चिंता क्या है। दो अलग अलग किस्म की लूट के खतरे को दिखाने के लिए दो मिसालें पर्याप्त होंगी। पहला मीम यह देखने को मिला कि एक जेबकतरा अपने बेटे को सलाह देता है कि अब सोशल डिस्टेंसिंग की वजह से जेब काटना मुश्किल हो गया है तो उसे अब साइबर लूटपाट का तरीका सीख लेना चाहिए।

दूसरा चुटकुला यह था कि बिहार में एक व्यक्ति ने अपना आईफोन बेच कर पिस्तौल खरीदी और अब उसके पास हर दिन आईफोन आ रहे हैं। ये दोनों प्रतिनिधि चुटकुले हैं, जो आज की हकीकत को जाहिर करते हैं। कोरोना वायरस के संक्रमण और उसे रोकने के नाम पर देश में लागू लॉकडाउन ने लोगों के जान, माल की सुरक्षा को खतरे में डाला है। खबर है कि बिहार में सुरक्षा को लेकर परामर्श जारी किया गया है, जिसमें लोगों से सावधान रहने की अपील की गई है। हालांकि आधिकारिक रूप से इसकी पुष्टि नहीं हुई हो पर सोशल मीडिया में वायरल हुए पोस्ट में कहा गया है कि लोग अपने सामान की सुरक्षा को लेकर चौकस रहें क्योंकि बड़ी संख्या में लोग बेरोजगार हुए हैं और बाहर से भी रोजगार गंवा कर लौटे हैं। पता नहीं यह परामर्श आधिकारिक है या नहीं पर यह सच है कि देश के अलग अलग हिस्सों में लूटमार की घटनाएं बढ़ी हैं और इसका कारण लॉकडाउन की वजह से हुई परेशानी है। दिल्ली में स्पाइस जेट के पायलट युवराज सिंह तेवतिया के साथ हुई लूट की घटना इस हकीकत को जाहिर करती है।

तेवतिया रात में अपने ऑफिस की गाड़ी से इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डा जा रहे थे, जब आईआईटी फ्लाईओवर के पास मोटरसाइकिल सवार लोगों ने उनकी गाड़ी रोक ली। उनके हाथ में पिस्तौल और चाकू थे। उन्होंने गाड़ी का शीशा तोड़ा और उनका बटुआ लूट लिया, जिसमें दस हजार रुपए नकद थे। दिल्ली की सड़कों पर इस तरह की लूट की घटनाएं कम होती हैं और कोरोना वायरस का संक्रमण शुरू होने के बाद तो बिल्कुल ही बंद हो गई थीं, क्योंकि सबको डर था कि वह जिसे लूटने जाए, कहीं वह कोरोना संक्रमित न हो। पर अब वह डर खत्म हो गया है। सोशल मीडिया में अनलॉक-एक के समर्थन में वायरल हो रही एक पोस्ट में यह भी है कि जब तक आपके खाते में पैसे हैं और घर में राशन तभी तक कोरोना का खतरा है। इसका मतलब है कि जिनके खाते खाली हो गए और राशन खत्म हो गए वे कोरोना का भय भूल कर सड़कों पर निकल गए। कोरोना वायरस का संक्रमण फैलना शुरू होने पर शुरुआती दिनों में अपराध लगभग पूरी तरह से खत्म हो गया था। लोग भय से घरों में बंद थे। उस समय दूसरी तरह के अपराध जैसे घरेलू हिंसा आदि में बढ़ोतरी हुई।

पर जैसे जैसे लॉकडाउन बढ़ता गया, काम धंधे छूटते गए, फैक्टरियां बंद होती गई, स्वरोजगार ठप्प हुआ वैसे वैसे लूटमार, छीन-झपट, चोरी-डकैती जैसे अपराधों का खतरा बढ़ता गया है। इसके साथ ही साइबर ठगी का अंदेशा भी बढ़ गया है। बैंकों और डिजिटल लेन-देन को बढ़ावा देने वाले हर प्लेटफार्म से लोगों को आगाह किया जा रहा है कि वे किसी झांसे में नहीं आएं। पर साइबर ठगी करने वाले भी कोई न कोई रास्ता निकाल ही लेते हैं। जैसे इन दिनों पूरे देश से इस तरह की खबरें आ रही हैं कि ऑनलाइन शराब की डिलीवरी या दूसरे जरूरी सामानों की डिलीवरी के नाम पर फर्जी वेबसाइट बना कर लोगों से ठगी की जा रही है। पीएम केयर्स फंड से मिलते-जुलते नाम की वेबसाइट्स बना कर लोगों से उसमें चंदा वसूला जा रहा है। कुछ दिन पहले खबर आई थी कि एक व्यक्ति ने किसी की बाइक चोरी की और उससे अपने घर चला गया, फिर वहां से वह बाइक वापस भेज दी।

यह भी खबर आई थी कि एक व्यक्ति ने अपने भूखे परिवार का पेट भरने के लिए एक रेस्तरां में चोरी की और पकड़ा गया बाद में हकीकत पता चलने पर उसे छोड़ दिया गया। यह भी खबर आई थी कि एक व्यक्ति एक रेस्तरां में घुस गया और खाना बना कर खाया फिर सब कुछ जैसे का तैसा छोड़ कर वहां से निकल गया। यह अच्छे और शरीफ लोगों की मजबूरी बताने वाली खबरें हैं। पर यह शुरुआत है। इस तरह के मजबूरों की संख्या में तेजी से बढ़ रही है। लाखों नहीं, बल्कि करोड़ों लोग बेरोजगार हुए हैं और उनके सामने निकट भविष्य में रोजगार की कोई संभावना नहीं दिख रही है। महानगरों में रह गए लोगों से लेकर गांवों तक लौटे लोग इसमें शामिल हैं, जिनके पास कोई रोजगार नहीं है और परिवार का पेट भरना है। आने वाले दिनों में पेशेवर और मजबूरी वाले दोनों चोर-लुटेरों की संख्या में इजाफा हो तो हैरानी नहीं होगी।

हरिशंकर व्यास
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं ये उनके निजी विचार हैं)

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here