कार्तिक पूर्णिमा 30 को: कहते हैं देव दीपावली और त्रिपुरारी पूर्णिमा

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सोमवार, 30 नवंबर को कार्तिक माह की अंतिम तिथि पूर्णिमा है। इसी तिथि पर गुरुनानक देव की जयंती भी है। ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार इसी तिथि पर भगवान विष्णु का मत्स्य अवतार हुआ था। जानिए इस पूर्णिमा का महत्व और इस दिन कौन-कौन से शुभ काम किए जा सकते हैं… इस पूर्णिमा को त्रिपुरारी पूर्णिमा और देव दीपावली भी कहा जाता है। पुराने समय में इस तिथि पर शिवजी ने त्रिपुरासुर नाम के दैत्य का वध किया था, इस कारण इसे त्रिपुरारी पूर्णिमा कहते हैं। एक अन्य मान्यता है कि इस दिन देवताओं की दीपावली होती है। इसीलिए इसे देव दीपावली कहते हैं। इस दिन से कार्तिक मास के स्नान समाप्त हो जाएंगे। कार्तिक पूर्णिमा पर पवित्र नदी में स्नान, दीपदान, पूजा, आरती, हवन और दान का बहुत महत्व है।

शुभ काम: भगवान विष्णु के लिए सत्यनारायण भगवान की कथा करनी चाहिए। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने की परंपरा है। स्नान के बाद दीपदान, पूजा, आरती और दान किया जाता है। कार्तिक पूर्णिमा पर गरीबों को फल, अनाज, दाल, चावल, गरम वस्त्र आदि चीजों का दान करना चाहिए। कार्तिक पूर्णिमा पर सुबह जल्दी उठना चाहिए। पानी में थोड़ा सा गंगाजल मिलाकर स्नान करें। स्नान करते समय सभी तीर्थों का ध्यान करना चाहिए। स्नान करने के बाद सूर्य को जल चढ़ाएं। शिवलिंग पर जल चढ़ाकर ऊँ नम शिवाय मंत्र का जाप करें। अभिषेक करें। कर्पूर जलाकर आरती करें। शिवजी के साथ ही गणेशजी, माता पार्वती, कार्तिकेय स्वामी और नंदी की भी विशेष पूजा करें। पूर्णिमा पर हनुमान के सामने दीपक जलाकर हनुमान चालीसा का पाठ करें।

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