कुछ समय पूर्व केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने प्रधानमंत्री मोदी को भगवान का अवतार बताया था। लेकिन गिरिराज सिंह ने यह नहीं बताया था कि मोदी जी कौन से अवतार हैं। इस कमी को भाजपा के नेता अवधूत बाघ ने मोदी जी को भगवान् विष्णु का ग्यारहवां अवतार बताकर पूरा कर दिया था। यहां थोड़ा सा लोचा है- अब तक श्रीहरि विष्णु के नौ अवतार हो चुके हैं, यथा- मत्स्य, कूर्म, वराह, नृसिंह, वामन, परशुराम, श्रीराम, श्रीकृष्ण, और गौतम बुद्घ। पुराणों के अनुसार विष्णु का दसवां श्री कल्कि अवतार कलियुग के अंतिम चरण में होगा। कलियुग की कुल आयु 4,32,000 वर्ष बताई गई है, जिसमें से अभी मात्र 5122 वर्ष व्यतीत हुए हैं। यानी कलियुग का अंतिम चरण कई लाख वर्ष दूर है। अब प्रश्न यह है कि जब श्रीहरि विष्णु के दसवें अवतार को आने में कई लाख वर्ष शेष हैं, तो आदरणीय मोदी जी को ग्यारहवां अवतार कैसे माना जाये। भई दस के बाद ही तो ग्यारह आता है, ग्यारह के बाद दस तो नहीं आता। चतुर्युगी के बाद प्रलय और प्रलय के बाद सत्ययुग आता है। हिसाब से देखें तो यदि मोदी जी भगवान् विष्णु के ग्यारहवें अवतार हैं तो हम सत्य युग में जी रहे हैं, क्योंकि कलियुग में तो श्रीकल्कि रूप में श्रीहरि अवतरित होंगे। सत्ययुग कब आ गया पता ही नहीं चला- कमाल है।
आदरणीय मोदी जी के भगवान् होने की पुष्टि तो मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी की है। अभी पिछले दिनों उन्होंने कहा- ‘मोदी जी किसानों के भगवान् हैं और कृषि बिल के रूप में उन्होंने किसानों को वरदान दिया है। किसानों की अम्ल मारी गई है जो भगवान् के वरदान की निंदा-आलोचना करते हुए आंदोलन कर रहे हैं। यह ‘भगवान मोदी जी’ के प्रति घोर अपराध है, निदंनीय है। ‘भगवान’ के प्रत्येक कार्य के पीछे अपने भक्तों के कल्याण की भावना होती हैकिसानों को समझना चाहिए। इस बात को ‘भक्त’ तो समझ रहे हैं लेकिन किसान नहीं समझ रहे, तो क्या समझा जाये कि किसान ‘भक्त’ नहीं है? ‘भगवान’ के दल और स्वयं ‘भगवान’ का कहना है कि किसानों को भ्रमित किया जा रहा है। हो सकता है ऐसा ही हो लेकिन क्या तमाम किसान ‘भगवान दल’ के विरोधी हैं, अगर ऐसा है तो यह चिंता का विषय है। परंतु ‘भगवान’ तो चिंता करते नहीं हैं, इसीलिये ‘ग्यारहवें अवतार’ चिंतित नहीं हैं। बलिया के बैरिया विधानसभा से भाजपा विधायक सुरेन्द्र सिंह ने 2018 में घोषणा की थी कि-‘भारत भूमि में अवतार के रूप में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राम के रूप में, लक्ष्मण के रूप में अमित शाह और हनुमान के रूप में अखंड ब्रह्मचारी योगी आ चुके हैं।
राम, लक्ष्मण और हनुमान तीनों की जोड़ी भारत भूमि पर रामराज्य की कल्पना को साकार करेगी और भारत में रामराज्य आयेगा। सुरेंद्र सिंह को बताना चाहिए था कि भरत, शत्रुघ्न कौन हैं और सीता जी कहां हैं। भाजपा के एक और नेता विनीत शारदा ने भी एक समय प्रधानमंत्री मोदी को भगवान् राम और गृहमंत्री अमित शाह को कृष्ण तथा योगी आदित्यनाथ जी को हनुमान जी का अवतार बताया। हम तो अब तक यही समझते थे कि दो अवतार भगवान् परशुराम और भगवान् राम ही एक समय में एक साथ थे, अब पता चला है कि श्रीकृष्ण और श्रीराम भी कलियुग में एक साथ अवतरित हुए हैं। हनुमान जी तो चिंरजीवी हैं, वो तो राम काल में भी थे और कृष्ण काल में भी और वर्तमान में भी हैं- जय बजरंग बली।
मेरा यह सब लिखनेबताने का उद्देश्य है कि राम राज्य जरूर आयेगा, आयेगा क्या आ ही गया है- उसका आनंद लें। ताजा रामराज्य का स्वरूप ‘भारत के भगवान’ निर्धारित कर रहे हैं, जिसे जस का तस स्वीकार करना होगा। मीन-मेख निकालने वाले को ‘प्रभु द्रोही’ के रूप में देखे जाने का विधान बन चुका है- सावधान रहें। चूं चपड़ से बचें। मेरी बात को आप समझो या ना समझो लेकिन ‘भगवान’ के प्रत्येक आदेश-निर्देश का पालन करें और पूरे भक्ति भाव से यह महसूस करें कि ‘भगवान’ जो कर रहे हैं, वह हमारे कल्याण के लिए ही कर रहे हैं। अमीरों की बढ़ती अमीरी और गरीबों की बढ़ती गरीबी, बढ़ती महंगाई और बढ़ती बेरोजगारी में भी हमारी ही भलाई है- ऐसा सोचें और ‘भगवान’ का धन्यवाद करें।
राकेश शर्मा
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं ये उनके निजी विचार हैं)