आईपीएल : लॉजिक क्या है नीलामी का ?

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दुनिया की सबसे महंगी टी-20 लीग आईपीएल में जब भी नीलामी होती है, तो यह बहस छिड़ जाती है कि आखिर खिलाड़ियों को खरीदने के पीछे क्या लॉजिक काम करता है। मैच शुरू होने से पहले जिस तरह टॉस की उछाल के बारे में कोई नहीं जानता कि यह किसके पक्ष में गिरेगा, उसी तरह इस लीग की नीलामी में भी कोई नहीं जानता कि किस खिलाड़ी पर धन वर्षा होने जा रही है और किसके नाम पर सूखा देखने को मिलने वाला है। इससे साफ है कि इस नीलामी में कोई बाहरी लॉजिक नहीं चलता है। इसे संचालित करने के अपने नियम हैं। ये नियम टीमें अपनी जरूरतों के हिसाब से तय करती हैं।

साल 2008 से अब तक आईपीएल में भाग लेने वाली फ्रेंचाइजी टीमों को दो वर्गों में बांटा जा सकता है। पहले वर्ग में वे टीमें आती हैं, जो खिताबी सफलता पा चुकी हैं और उनकी टीमों का पूरी तरह से संयोजन हो चुका है। इसलिए वे अपने मुख्य खिलाड़ियों में ज्यादा फेरबदल करने के बजाय समय-समय पर टीम में दिखने वाली खामियों को दूर करने के लिए खास तरह के खिलाड़ियों को लेने का मन बनाकर नीलामी में जाती हैं। इन टीमों में पांच बार की चैंपियन मुंबई इंडियंस, तीन बार की चैंपियन चेन्नै सुपरकिंग्स को शामिल किया जा सकता है। आप इन दोनों टीमों की पिछले पांच सालों की संरचना देखें, तो मुख्य खिलाड़ी वही बने हुए हैं। इसी तरह सनराइजर्स हैदराबाद और रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु की टीमों में भी ज्यादा बदलाव देखने को नहीं मिला है। दूसरी तरफ किंग्स पंजाब और राजस्थान रॉयल्स जैसी टीमें अभी तक सही मायनों में सेटल नहीं हो पाई हैं। इसलिए वे हर नीलामी में बड़े नामों के पीछे भागती नजर आती हैं।

आईपीएल टीमों पर उनके कोच की स्पष्ट छाप होती है। चेन्नै सुपरकिंग्स को ही लें, तो इसके कोच स्टीफन फ्लेंमिंग ने शुरू से ही अनुभवी खिलाड़ियों पर भरोसा किया। पिछले साल पहली बार टीम के प्लेऑफ में स्थान नहीं बना पाने पर भी उन्होंने दिमाग ठंडा बनाए रखा। सुरेश रैना की वापसी करवा कर और रोबिन उथप्पा को नीलामी से पहले लेकर उन्होंने टीम को मजबूती दे दी। नीलामी में कृष्णप्पा गौतम को 9.25 करोड़ और मोईन अली को सात करोड़ रुपये में लेकर वे टीम को संतुलित करने में सफल हो गए। वहीं मुंबई इंडियंस के बारे में कहा जा सकता है कि नीलामी से पहले ही उसकी एकादश तैयार थी। इसलिए उसने नीलामी में बिना लंबी बोली लगाए नाथन कूल्टर नाइल, एडम मिलने, पीयूष चावला और जेम्स नीशाम जैसे खिलाड़ी ले लिए।

दिल्ली कैपिटल्स के मुख्य कोच की जिम्मेदारी संभालने के बाद से रिकी पोंटिंग ने युवा प्रतिभाओं की टीम तैयार की है। उन्हें मध्यक्रम को मजबूती देने वाले खिलाड़ी की जरूरत थी। इसके लिए वे ऑस्ट्रेलिया के पूर्व कप्तान स्टीव स्मिथ को लेना चाहते थे। उनमें किसी दूसरी टीम की दिलचस्पी नहीं होने के चलते वे बेस प्राइज दो करोड़ से सिर्फ 20 लाख रुपये ज्यादा पर मिल गए। असल में नीलामी में इस बात की अहमियत नहीं होती कि आप किस क्षमता के खिलाड़ी हैं। अहमियत इस बात की है कि टीम को किस तरह के खिलाड़ी की जरूरत है। नीलामी में खिलाड़ियों की वैल्यू मांग और आपूर्ति पर निर्भर करती है।

इस बार मिनी नीलामी थी, इसलिए खिलाड़ियों की उपलब्धता कम होने और एक से ज्यादा टीमों को एक जैसे खिलाड़ियों की दरकार होने की वजह से क्रिस मौरिस, काइल जेमिसन और जाय रिचर्डसन जैसे खिलाड़ियों की ऊंची बोली लग गई। क्रिस मौरिस को राजस्थान रॉयल्स के 16.25 करोड़ रुपये में खरीदने पर सभी का अचरज जाहिर करना स्वाभाविक है। यह अचरज तब और बढ़ जाता है, जब मालूम पड़ता है कि वह जोफ्रा आर्चर के बैकअप के तौर पर लिए गए हैं और उनसे दोगुनी कीमत पर। यही नहीं, 2019 के बाद से वे अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट नहीं खेले हैं। इसकी प्रमुख वजह लगातार चोटों का परेशान करना है। पिछले आईपीएल में भी वे कुछ खास नहीं पाए थे। नौ मैचों में 34 रन के अलावा 11 विकेट ही ले सके। आरसीबी का जेमिसन पर 15 करोड़ और ग्लेन मैक्सवेल पर 14.5 करोड़ लगाना भी अचरज में डालता है। जेमिसन की तो अभी परख होनी भी बाकी है। मैक्सवेल पिछले सीजन में फुस्स साबित हुए थे। रिचर्डसन आजकल कंधे की चोट का इलाज करा रहे हैं और उनके बारे में यह भी तय नहीं है कि वे खेलने के लिए तैयार हो पाएंगे या नहीं।

इस बार नीलामी में विदेशी पेस गेंदबाजों और ऑलराउंडर्स की ही मांग थी। इसका ही परिणाम था कि टी-20 में दुनिया के नंबर एक बल्लेबाज डेविड मालन बेस प्राइज 1.5 करोड़ में ही किंग्स पंजाब में चले गए। तेज-तर्रार बल्लेबाज एरन फिंच, एलेक्स हेल्स और जेसन राय तो बेस प्राइज पर भी नहीं खरीदे जा सके। वे बिना बिके रह गए साफ है कि आईपीएल की नीलामी में खेल या प्रदर्शन का कोई लॉजिक नहीं चलता। अगर ऐसा नहीं होता तो इस साल सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी में शानदार प्रदर्शन करने वाले दो युवा खिलाड़ियों शाहरुख खान और मोहम्मद अजहरुद्दीन के साथ अलग-अलग व्यवहार नहीं होता। केरल के ओपनर मोहम्मद अजहरुद्दीन ने मुंबई के खिलाफ मात्र 37 गेंदों में शतक ठोक दिया था और शाहरुख खान ने इसी टूर्नामेंट के क्वॉर्टर फाइनल में तमिलनाडु को जीत दिलाने में आक्रामक पारी खेली थी। शाहरुख को पंजाब किंग्स ने 5.25 करोड़ रुपये में लिया तो अजहरुद्दीन को आरसीबी ने महज 20 लाख रुपये में। इतना जरूर है कि कई बार सस्ते में खरीदे गए खिलाड़ियों ने शानदार प्रदर्शन करके अपनी कीमत को आसमान पर पहुंचाया है। इसके विपरीत खिलाड़ियों का केसी करियप्पा वाला हाल भी होता है। एक समय केकेआर ने उन्हें 2.4 करोड़ रुपये में खरीदा था, और इस साल राजस्थान रॉयल्स ने उन्हें महज 20 लाख रुपये में खरीदा है।

मनोज चुतर्वेदी
(लेखक वरिष्ठ खेल पत्रकार हैं ये उनके निजी विचार हैं)

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