देश में कोरोना के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। महाराष्ट्र के बाद अब मध्यप्रदेश और गुजरात में कोरोना अपने पैर पसार रहा है। तेजी से बढ़ रहे मामलों की वजह से मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल और इंदौर में बुधवार से नाइट कर्फ्यू लगाने का फैसला किया गया है। एमपी में पिछले कुछ दिनों से रोजाना औसतन 600 से 700 मामले सामने आना चिंताजनक बात है। इस पर केंद्र व राज्य सरकारों को सकारात्मक कदम उठाने की जरूरत है। सरकार के साथ आम लोगों की लापरवाही भारी पड़ सकती है। गुजरात में अहमदाबाद, वडोदरा, सूरत और राजकोट में नाइट कर्फ्यू में इजाफा करना कई प्रश्नों को जन्म दे रहा है। पहले तो ये कि कोरोना संक्रमण के बढ़ते प्रभाव पर सरकार तेज कदम क्यों नहीं उठा रही है। जैसे कदम उसने पिछले वर्ष उठाए थे। पुलिस के सक्रिय होने से बिना कारण सड़क घूमना लोगों में खौफ का माहौल था। धीरे-धीरे सरकार की सुस्ती से लोगों के होंसले बुलंद हो गए और वह बिना खौफ के बाहर आ गए। अब मुश्किल से चार प्रतिशत लोग ही कोविड नियमों का पालन कर रहे हैं।
दूसरा ये कोरोना वैक्सीन को लेकर अनिवार्यता यो लागू नहीं की गई। उसको इच्छा पर क्यों निर्भर कर दिया गया। जबकि कोरोना का नया स्ट्रेन देश में पैर पसार रहा है। ये स्ट्रेन महाराष्ट्र, तमिलनाडु, केरल, पंजाब, मध्य प्रदेश, गुजरात, दिल्ली कर्नाटक, हरियाणा में बढ़ रहा है, जो चिंताजनक है। कोरोना के बढ़ते प्रभाव के कारण तमिनाडु और केरल में विधानसभा चुनाव यों कराए जा रहे हैं। चुनावी प्रक्रिया में रोड शो व चुनावी जनसभाएं होना क्या कोरोना संक्रमण को बढ़ावा नहीं देगी? क्या मतदान वाले दिन यदि ईवीएम पर किसी संक्रमित ने ईवीएम के माध्यम से मतदान किया तो ईवीएम पर क्या उसका प्रभाव नहीं पड़ेगा। चुनावी प्रक्रिया संक्रमण को घटाएगी या बढ़ाएगी। प्रतिदिन संक्रमण के नए मामले मिलना चिंताजनक है, इसको सरकार गंभीरता से लेकर प्रभावी कदम उठाए। स्वास्थ्य विभाग के ताजा आंकड़ों के मुताबित मार्च के आधे माह ही 2 लाख 97 हजार 539 नए मरीज मिले हैं। हालांकि 2 लाख 41 हजार 63 मरीज ठीक भी हुए हैं, जबकि 1,698 मरीजों ने जान गंवाई। जो बेहद चिंताजनक है। आंकड़े बता रहे हैं कि कोरोना से मृत्यु दर में भी वृद्धि हो रही है। आज स्वयं पीएम मोदी इन प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों के साथ वीडियो कांफ्रेसिंग बैठक कर रहे हैं। उम्मीद जताई जा रही है कि इन राज्यों में संक्रमण बढऩे के बाद केंद्र द्वारा वैक्सीनेशन की कवायद तेज कर दी जाएगी।
महाराष्ट्र में तो रात्रि कर्फ्यू लगाने की अवधि 31 मार्च तक बढ़ाना, सार्वजनिक स्थानों पर केवल पचास प्रतिशत लोगों की उपस्थिति की शर्त लागू करना, बिना मास्क के प्रवेश प्रतिबंधित करना और सामाजिक, राजनीतिक व धार्मिक गतिविधियों पर रोक लगाना प्रदेश सरकार की गंभीरता को दर्शा रहा है। जिन पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं वहां के दो राज्य केरल व तमिलनाडु कोरोना से प्रभावित हैं। इन राज्यों में चुनाव प्रचार के लिए भी चुनाव आयोग को नए नियम लागू करना चाहिए। उसके तहत जनसभाएं न करके सभी राजनीतिक पार्टियां केवल सोशल मीडिया पर प्रचार करें। मतदाताओं को केवल नेटवर्किंग के माध्यम से अपने चुनावी वादे करके अपने हक में वोट डालने को प्रेरित करें। यहां संक्रमण अधिक बढ़ इसके लिए चुनाव आयोग को निर्धारित करना चाहिए कि बिना मास्क व गिलस के आने वाले लोगों को मतदान से वंचित करने का निर्देश दे। इसके अलावा मतदान वाले दिन मतदाताओं को कोविड नियम पालन के लिए सुविधा देना निश्चित करे। ताकि यहां संक्रमण न फैले।