उज्जवल भविष्य को देखता भारत

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राजनीति के नभ पर तीन दशक पहले एक नया तारा उभरा जो आज सेवा के आसमान में ध्रुवतारा बनकर स्थापित है। गरीबी की गोद में पला, सेवा की संस्कृति से सुसज्जित, गुजरात के एक छोटे से गांव से शुरू हुई यह जीवन यात्रा किसी ऐतिहासिक गाथा से कम नहीं। जिस प्लेटफॉर्म पर खड़े रहकर नरेंद्र भाई ने असंख्य रेल गाड़ियों को अपनी मंज़िल तक पहुंचते हुए देखा, शायद ही तब उन्होंने सोचा होगा कि एक दिन उनका अपना जीवन राष्ट्र की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए एक ऊंची उड़ान भरेगा।

जब साल 2013 में नरेंद्र भाई का नाम प्रधानमंत्री के उम्मीदवार के रूप में घोषित हुआ, तब कांग्रेस ने अपने अहंकार का जयघोष करते हुए कहा कि एक चाय वाला कभी भी देश का प्रधानमंत्री नहीं बन सकता। देश की हकीकत से बेख़बर कांग्रेस पार्टी को सच का सामना करवाया देश की जनता ने और भाजपा को एक ऐतिहासिक जीत का आशीर्वाद दिया। 2014 के उस लोकतंत्र के उत्सव ने राष्ट्र के सम्मुख एक नई संभावना को जन्म दिया। संभावना नव निर्माण की, संभावना गरीब के उत्थान की; और उस संभावना के सारथी ने पहले दिन ही संसद की चौखट पर शीश झुकाकर अपने आप को देश का प्रधान सेवक घोषित किया।

एक सेवक की अभिलाषा ये कि घर की लक्ष्मी का सम्मान हो और इसीलिए राष्ट्र के इतिहास में पहली बार देश के प्रधानमंत्री ने आह्वान किया कि अगर हम महिला के सम्मान की चिंता करते हैं तो पहले उसके लिए हर घर में शौचालय का निर्माण करें। ‘स्वच्छ भारत’ का वो संकल्प 11 करोड़ गरीब परिवारों को शौचालय का अधिकार सुनिश्चित कर पाया। जिस देश में स्वयं एक प्रधानमंत्री इस व्यथा को व्यक्त करते कि देश की तिजोरी से निकला 1 रुपया गांव गरीब तक पहुंचते दस पैसा हो जाता है, उसी राष्ट्र के इस प्रधान सेवक ने जनधन योजना के माध्यम से 40 करोड़ गरीबों का बैंक का खाता खुलवाया ताकि देश की तिजोरी से निकला विकास रूपी ये धन देश के गरीब के खाते में सीधा पहुंचे।

जिस समाज ने गरीब के सपनों को मजबूरी के बोझ तले दम तोड़ते देखा, उसी गरीब की निष्ठा, लगन और प्रतिभा के समर्थन में मुद्रा योजना की शुरुआत हुई। आज 15 करोड़ सेे अधिक हिंदुस्तानी, मुद्रा की मदद से स्वयं के सपनों को साकार कर पाए हैं।

एक तरफ जहां गांव गरीब के वर्षों से लंबित चुनौतियों को समाधान तक पहुंचाने का निरंतर प्रयास चलता रहा, वहीं दूसरी ओर भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो)की मंगल यात्रा ने विश्व में भारत का डंका बजवाया। सड़क चाहे गांव की हो या हो नेशनल हाइवे, देश के इतिहास में पहली बार 100 लाख करोड़ के इंफ्रास्ट्रक्चर फंड की घोषणा कर प्रधान सेवक ने राष्ट्र उन्नति की नयी दिशा निर्धारित की। जो किसान कभी ये सोच ना सकता था कि उसके सम्मान में देश की सरकार किसी निधि को स्थापित करेगी, आज देश का वह किसान सालाना अपने बैंक खाते में 6 हजार रुपए पा रहा है।

इन 1.5 वर्ष में ‘किसान सम्मान निधि’ के माध्यम से 9.5 करोड़ किसान परिवारों तक 71 हजार करोड़ रुपए पहुंचना किसी प्रशासनिक इतिहास से कम नहीं। किंतु जो लोग नरेंद्र भाई के व्यक्तित्व को समझने का प्रयास करते है, वह जानते हैं कि उनका जीवन कीर्तिमान स्थापित करने की होड़ में नहीं बल्कि राष्ट्र को सशक्त करने के संकल्प को समर्पित है।

यह संकल्प एक और बार फलीभूत हुआ जब धारा 370 हटाकर कश्मीर से कन्याकुमारी तक राष्ट्र को एक ही संविधानिक सूत्र में बंधा। राष्ट्र का गौरव, हम सबके आराध्य प्रभु श्रीराम की जन्म भूमि को विवाद के चक्रव्यूह से निकालकर, सर्वोच्च न्यायालय की गरिमा को बरकरार रखते हुए जब श्री राम जन्मभूमि का शिलान्यास हुआ, तब वह अविस्मरणीय क्षण हम सबको दीपावली का अनुभव करवा गया।

आज प्रधान सेवक के जन्म दिन के अवसर पर जब राष्ट्र उनके दीर्घायु होने की कामना कर रहा है ऐसे में एक संकल्पित राष्ट्र उस भविष्य की ओर अग्रसर है जहां ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास’ मात्र एक आह्वान नहीं बल्कि जीवन मंत्र बन चुका है। वह मंत्र जो भारत को इस आधुनिक युग में पुरातन वैभव की अनुभूति करवाने में ना केवल सक्षम है बल्कि एक नव युग में नव राष्ट्र को विद्यमान करने में सहायक है। वर्तमान की ओट से उज्ज्वल भविष्य को देखता यह भारत आशान्वित है क्योंकि देश का प्रधान सेवक नरेंद्र दामोदरदास मोदी है।

स्मृति ईरानी
(लेखिका केंद्रीय कपड़ा तथा महिला एवं बाल विकास मंत्री हैं ये उनके निजी विचार हैं)

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