सामाजिक दायित्वों का निर्वहन जरूरी

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लॉकडाउन के बाद भी प्रदेश में कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या बढ़ रही है। सरकार अपनी तरफ से अनेक प्रयास कर रही है, इसके बावजूद संक्रमण का ग्राफ बढ़ रहा है। इससे प्रतीत हो रहा है कि सामाजिक स्तर पर या तो इस बीमारी को गंभीरता से नहीं लिया जा रहा है या जागरूकता की कमी है। प्रथम कारण का विश्लेषण करने पर पता चलता है कि कतिपय लोग इस बीमारी में बचाव को लेकर गंभीर नहीं हैं। सब्जी मंडी में खरीदारों की भीड़ उमड़ जाती है तो वही प्रवासी मजदूर ट्रकों में बैठकर सोशल डिस्टेसिंग की धज्जियां उड़ाते हैं। यहां तक कि शराब की खरीदारी को लेकर लोगों ने जमकर सामाजिक दूरी की अवहेलना की। प्रदेश के गृह विभाग के अनुसार अब तक धारा 188 के तहत 47793 लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गयी है। इसके साथ ही 39679 वाहनों को नियमों के उल्लंघन को लेकर सीज किया गया है। इससे स्पष्ट हो जाता है कि लोग अपने सामाजिक दायित्वों को लेकर गंभीर नहीं हैं। यह समय काफी विकट है। इस समय हम सभी को अपने कर्तव्यों का पालन करना होगा। बीमारी से लडऩे का केवल सरकार का ही दायित्व नहीं है। यह लड़ाई हमारी है जिसे हमें सरकार के सहयोग से स्वयं लडऩा होगा।

इस बात को प्रत्येक नागरिक को समझना होगा। यदि हमने अपने सामाजिक दायित्वों को ईमानदारी से नहीं निभाया तथा दुर्भाग्यवश स्थिति और खराब होती है तो इसके जिम्मेदार केवल हम ही होंगे। नैतिक रूप से अपना पल्ला किसी और पर नहीं डाल सकते। हमें संकल्प लेना होगा कि कोरोना से बचाव के लिए हम हर नियमों का पालन करेंगे। कोरोना बीमारी को देखते हुए सरकार ने पान-मसाला व गुटखा पर रोक लगाया परंतु कई जगह गुटखा व पान मसाला का स्टॉक पकड़े जाने की खबर बराबर आ रही है। क्या हम अपने बचाव के लिए इसे खाना नहीं छोड़ सकते। यदि हम पान मसाला नहीं खाएंगे तो इसकी बिक्री सम्भव नहीं है। इसके कारण का विश्लेषण करें तो यह निष्कर्ष निकलता है कि कहीं न कहीं जागरूकता की कमी है। वैसे भी प्रदेश में साक्षरता शत प्रतिशत नहीं है। जनसंचार माध्यमों के जरिये जागरूकता फैलाया जा रहा है परंतु अभी भी इसका कहीं-कहीं अभाव दिखाई देता है। हॉटस्पाट घोषित क्षेत्रों में से कई जगह संक्रमण तेजी से फैला, यह इस बात का आधार हो सकता है कि लोग अभी भी कोविड-19 को लेकर पूरी तरह जागरूक नहीं हैं। सरकार के अतिरिक्त समाज के प्रबुद्ध वर्ग व स्वास्थ्य के क्षेत्र के लोगों को कोविड-19 के प्रति लगातार अभियान चलाकर जागरूकता फैलाना चाहिए जिससे आम लोग कोरोना संक्रमण से बचाव के प्रति जागरूक रहें, साथ में स्वयं और अन्य लोगों को संक्रमण से दूर रख सकें।

कोविड-19 से संक्रमण मुक्त होने का सबसे कारगर उपाय इसके संक्रमण से बचना है। इसके लिए जागरूकता सबसे बड़ा हथियार है। एक तीसरा कारण भी विश्लेषण करने के उपरांत उभरकर आ रहा है,वह है प्रशासनिक स्तर पर चूक। सरकार को इस पर भी ध्यान देना चाहिए। कुछ दिन पूर्व कोरोना पॉजिटिव को केजीएमयू में सामान्य मरीज के तौर पर भर्ती कर लिया गया था। आरोप लगा था कि किसी वरिष्ठ चिकित्सक के दबाव में उसे भर्ती किया गया था। इसके अलावा राजधानी में एक कोरोना पॉजिटिव मृतक का पोस्टमार्टम बिना जांच रिपोर्ट आये ही करा लिया गया। अब मर्चरी के कई कर्मचारी अपनी स्थिति को लेकर सशंकित हैं। इसी तरह आगरा सेंट्रल जेल में कोरोना का संकट उत्पन्न हो गया है। एक कैदी की मृत्यु हो गयी है और कई कैदी संक्रमण के प्रभाव में हैं। माना जा रहा है कि जेल में संक्रमण किसी सफाईकर्मी, राशन, सजी या फल के जरिये हुआ है। जेल महानिदेशक की तरफ से आदेश हुआ है कि खाद्य पदार्थों की आपूर्ति विसंक्रमित करके की जाये। इसका ध्यान पहले ही रखा जाना चाहिए था। यदि हम सभी अपने-अपने दायित्वों का निर्वहन सत्यनिष्ठा के साथ करेंगे तो वह दिन दूर नहीं जब कोरोना संक्रमण बीते दिनों की याद रह जाएगा। हम सभी आपसी सहयोग व नियमों का पालन करके इस बीमारी पर पूरी तरह से विजय प्राप्त कर लेंगे।

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