एक्सटेंशन वालों के सहारे सरकार

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मोदी सरकार का कार्यकाल तो पक्का है और पूर्ण बहुमत भी है लेकिन सरकार एसटेंशन यानी सेवा विस्तार पाए अधिकारियों के सहारे ही चल रही है। सरकार के थोड़े से अधिकारियों को छोड़ दें तो ज्यादातर महत्वपूर्ण विभागों के अधिकारी सेवा विस्तार पर चल रहे हैं। भारत सरकार की नीतिगत दिशा तय करने वाली सर्वोच्च संस्था यानी नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी, सीईओ अमिताभ कांत को एक साल का सेवा विस्तार दिया गया। यह उनका तीसरा सेवा विस्तार है। अब वे जून 2022 तक सीईओ बने रहेंगे। भारत सरकार के सबसे बड़े कानून अधिकारी यानी अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल भी सेवा विस्तार पर चल रहे हैं। उनको दूसरा सेवा विस्तार मिला है। उनका पहला सेवा विस्तार जुलाई 2020 में खत्म हुआ था और दूसरे अभी खत्म हुआ। लेकिन सरकार ने उनको एक साल का सेवा विस्तार दिया है। वे अगले साल जुलाई तक अटॉर्नी जनरल रहेंगे। कुछ ही दिन पहले भारत सरकार ने देश की दो सबसे बड़ी खुफिया एजेंसियों के प्रमुखों को एक-एक साल का सेवा विस्तार दिया। रिसर्च एंड एनालिसिस विंग यानी रॉ के प्रमुख सामंत गोयल और खुफिया ब्यूरो यानी आईबी के प्रमुख अरविंद कुमार को एक-एक साल का सेवा विस्तार दिया है।

भारत सरकार के प्रमुख अधिकारियों में से एक प्रवर्तन निदेशालय के प्रमुख यानी ईडी संजय मिश्रा भी सेवा विस्तार पर चल रहा है। उनका दो साल का निर्धारित कार्यकाल पिछले साल नवंबर में खत्म हुआ था और सरकार ने उनको एक साल का सेवा विस्तार दे दिया। ध्यान रहे इस समय ईडी सबसे सक्रिय एजेंसियों में से एक है, जो विपक्ष के अनेक नेताओं के खिलाफ दायर धन शोधन के मामलों की जांच कर रही है। इस बीच खबर है कि देश के सबसे बड़े अधिकारी यानी कैबिनेट सचिव राजीव गौबा को भी सेवा विस्तार मिल सकता है। उनसे पहले के कैबिनेट सचिव पीके सिन्हा दो साल का निर्धारित कार्यकाल पूरा करने के बाद दो साल और कैबिनेट सचिव रहे थे। बहरहाल, निर्धारित कार्यकाल वाले पदों पर सेवा विस्तार देकर अधिकारियों को रखने के कई फायदे हैं। सेवा विस्तार या अतिरिक्त प्रभार पर काम करने वाले अधिकारी सरकार की कृपा के मोहताज होते हैं।

उनको किसी भी समय हटाया जा सकता है। इसलिए वे पद पर बने रहने के लिए सरकार की पसंद-नापसंद का खास याल रखते हैं। वैसे तो निर्धारित कार्यकाल वाले अधिकारियों को भी हटाया जा सकता है लेकिन उन्हें हटाने में तकनीकी मुश्किलें रहती हैं, कारण बताने होते हैं और मीडिया में खबर भी बनती है। उसके मुकाबले सेवा विस्तार वाले अधिकारी को किसी समय हटाया जा सकता है। ऐसा नहीं है कि भारत सरकार सिर्फ एसटेंशन पाए अधिकारियों के सहारे चल रही है, अतिरिक्त प्रभार वाले अधिकारी, मंत्री, राज्यपाल, प्रशासक आदि भी इसमें अपना योगदान दे रहे हैं। सरकार के पास समय ही नहीं है कि वह पूर्णकालिक नियुति कर सके! दिल्ली पुलिस के कमिश्नर एसएन श्रीवास्तव रिटायर हुए हैं तो केंद्र सरकार ने उनकी जगह बालाजी श्रीवास्तव को दिल्ली पुलिस कमिश्नर का अतिरिक्त प्रभार सौंपा है। ठीक इसी तरह एसएन श्रीवास्तव को एक मार्च 2020 को दिल्ली पुलिस आयुक्त का अतिरिक्त प्रभार मिला था। केंद्र सरकार के कई अहम मंत्रालय अतिरिक्त प्रभार में चल रहे हैं। भाजपा की सहयोगी शिव सेना अलग हुई तो उसके कोटे के मंत्री अरविंद सावंत ने इस्तीफा दे दिया। उसके बाद उनका भारी उद्योग मंत्रालय प्रकाश जावडेकर को सौंप दिया गया, जिनके पास पहले से सूचना व प्रसारण और वन व पर्यावरण जैसे भारी भरकम मंत्रालय हैं।

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