बढ़ेंगे मिल्कियत के झगड़े

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गत 24 अप्रैल को पंचायती राज दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए स्वामित्व योजना का आगाज किया। इसके तहत गांवों के रिहायशी इलाके की माप अत्याधुनिक ड्रोन कैमरों की मदद से की जाएगी, उसके बाद गृहस्वामियों को उनके मकान का एक प्रॉपर्टी कार्ड यानी स्वामित्व प्रमाणपत्र जारी होगा। सरकार कहती है कि यह हर ग्रामवासी के लिए मालिक बनने का एक अवसर है। देश के लगभग 6.62 लाख गांव इस योजना में अगले चार साल में शामिल होंगे। फिलवक्त पायलट प्रॉजेट के तौर पर इसमें 6 राज्य- उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, हरियाणा, कर्नाटक, महाराष्ट्र और उत्तराखंड शामिल हैं। इस डिजिटल युग में अगर एक लिक पर सारी सूचनाएं मुहैया हों, घंटों का काम मिनटों में हो तो इससे अच्छी बात या हो सकती है। इससे मोटी-मोटी फाइलों को अनंत काल तक सहेजने व उनके नष्ट हो जाने के डर और खतरे से भी बचा जा सकता है। प्रधानमंत्री सहित कृषि मंत्री भी प्रचार-प्रसार में किसानों को मालिक हो जाने का फील दे रहे हैं।

योजना का पूरा अंग्रेजी नाम है- सर्वे ऑफ विलेज एंड मैपिंग विद इम्प्रोवाइज्ड टेनॉलजी इन विलेज एरियाज, जिसका संक्षिप्त नाम स्वामित्व हुआ। स्वामित्व योजना के लिए सरकार ने पंचायती राज की वेबसाइट पर जो फ्रेमवर्क जारी किया है, वह चार बातों पर विशेष जोर देता है- मालिकाना हक, लोन प्राप्ति, गांवों में कानूनी विवादों को कम करना व संपत्ति कर का निर्धारण। इस फ्रेमवर्क पर कई सवाल खड़े होते हैं, जिनके जवाब मिलने अभी बाकी हैं। एक तो यही कि जो लोग पीढिय़ों से अपने घर के मालिक हैं, उन्हें एक अदद कागज और थमा देने से उनके मालिकाना हक पर या प्रभाव पड़ेगा? गांव में घर आपसी सहमति से चलता है, उनमें बंटवारे के विवाद बहुत कम हैं। ऐसे में जब सरकार मालिकाना हक बांटने लगेगी, तो सब अपने हक का प्रमाणपत्र पाना चाहेंगे। यानि अब एक गैरजरूरी विवाद इस कोरोना संकट के समय घर में दाखिल हो गया। अगला कदम बताया गया है कि मकान को आधार से लिंक किया जाएगा। यह घर में किसके आधार से लिंक होगा, इस पर इस फेमवर्क में कुछ नहीं कहा गया है।

…प्रधानमंत्री गांव के मकान पर लोन दिए जाने और आत्मनिर्भर होने की बात भी कह रहे हैं। पर इस फ्रेमवर्क में यह भी साफ नहीं है कि बैंक घर के कितने सदस्यों को एक ही संपत्ति पर लोन देगा? फिर लोन न चुका पाने पर घर के कितने हिस्से को बैंक बंधक बनाएगा? जिनके घर मिट्टी, पत्थर या बांस-फूंस के बने हैं, उन घरों में मालिकाना हक और लोन की राशि कैसे तय होगी? मकान का विवाद गांवों में न के बराबर है। अदालतों में भी गांव से खेतों और मेड़ों के ही विवाद ज्यादा पहुंचते रहे हैं। इस योजना में सरकार का अगला उद्देश्य संपत्ति कर का निर्धारण है। यह उद्देश्य पूरा होता जरूर नजर आ रहा है। इस कवायद से गांव का एक-एक घर टैस के दायरे में आ जाएगा। मौजूदा सरकार में कृषि कर लगाने की बात पहले से ही उठाई जा रही है। 201516 के आर्थिक सर्वेक्षण में भी कृषि कर लगाने की बात थी तो 2019 में नीति आयोग ने भी कृषि कर लगाने का सुझाव सरकार को दिया है।

अगर गांवों में हाउस टैस का दरवाजा खुल गया, तो निश्चित रूप से कृषि टैस लगाने की राह भी बन जाएगी। औरतों को आए दिन घर से बेदखल कर देने की घटनाएं सामने आती रहती हैं। ऐसे में अच्छा होता कि महिलाओं को घर का मालिकाना हक अनिवार्य रूप से दिया जाता, लेकिन दुर्भाग्य से औरतें इस फ्रेमवर्क से गायब हैं। स्वामित्व योजना ऐसे समय में लाई गई है, जब कोरोना के साथ भूख और बेरोजगारी को भी मात देना एक बड़ा सवाल है। ऐसे संकट की घड़ी में ऐसी योजना की लॉन्चिंग हर किसी पर अतिरिक्त बोझ ही बढ़ाने वाली है। कोरोना के चलते गांव अभी बड़ी मुसीबत से जूझ रहे हैं, ऐसे में यह योजना किस तरह से खाज का काम करेगी, यह अनुमान लगाना मुश्किल काम नहीं है।

नाइश हसन
(लेखिका स्तंभकार हैं ये उनके निजी विचार हैं)

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