पूरा कांग्रेस संगठन चाहता है राहुल गांधी अध्यक्ष बनें, वे कहते हैं-मैं सोच रहा हूं,मैं सोच रहा हूं

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कांग्रेस में खुले विचार मंथन का दौर जारी है। पार्टी के शीर्ष नेता अपनी बात खुलकर रख रहे हैं और पार्टी को संगठन से लेकर जमीनी स्तर तक पुनर्जीवित करने की वकालत कर रहे हैं। राज्यसभा में कांग्रेस की मुखर आवाज माने जाने वाले जयराम रमेश ने दैनिक भास्कर से खास बातचीत में पार्टी और उसके नेताओं के बारे में बारे में खरी-खरी बातें कही।

महाकाव्य ‘लाइट आफ एशिया’ पर हाल ही में प्रकाशित पुस्तक से चर्चा में आए जयराम रमेश ने सोनिया गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस की भीतरी स्थिति, पार्टी की कमान संभालने में राहुल गांधी की स्वीकार्यता और संगठन की कमजोरियों पर खुलकर बात की। उनसे बातचीत के संपादित अंश-

कुर्सी से चिपकना और शीर्ष की पूजा करते जाना…क्या कांग्रेस अब इन्हीं दो अवगुणों की शिकार है?
देश में सभी कांग्रेस विशेषज्ञ हैं। कांग्रेस पर निशाना साधना एक राष्ट्रीय खेल बन चुका है। सत्ता से चिपकना सभी पार्टियों को भाता है। कांग्रेस एनजीओ नहीं है, सत्ता के लिए लड़ती है। भक्ति का सवाल है तो, बाबा साहब अम्बेडकर ने दशकों पहले कहा था कि एक दिन हम सब भक्तियोगी बन जाएंगे, कर्मयोगी नहीं रहेंगे। कांग्रेस से गलतियां भी हुईं हैं। कमजोरियां भी हैं।

2014 और 2019 की हार की समीक्षा की गई?
ये चिंता का विषय है। पहले भी अटल बिहारी वाजपेयी के समय हम 6 साल सत्ता में नहीं थे। पर अटल बिहारी वाजपेयी की भाजपा और नरेंद्र मोदी-अमित शाह की भाजपा में जमीन-आसमान का फर्क है। मोदी-शाह की भाजपा बहुत क्रूर है। अब इनकम टैक्स हो, प्रवर्तन निदेशालय हो, सीबीआई हो…इन्हें कोई संकोच नहीं है। वाजपेयी-आडवाणी नेहरुवादी दुनिया में बड़े हुए थे।

पार्टी दो साल से अध्यक्ष पर फैसला क्यों नहीं कर पाई है?
अध्यक्ष तो सोनिया जी हैं। पर वह अंतरिम अध्यक्ष हैं। सभी लेवल पर हमें लीडरशिप मजबूत करने की जरूरत है। ऐसा नेतृत्व जो जनता में विश्वास पैदा करे।

राहुल गांधी के गैर-गांधी अध्यक्ष के सुझाव से सहमत हैं?
मैं समझता हूं कि कांग्रेस संगठन चाहता है राहुल जी वापस आएं। अगर आप सभी से बात करें तो भारी बहुमत से लोग चाहेंगे कि राहुल गांधी कमान संभालें।

फिर हिचक क्या है?
मैं इस बारे में क्या कहूं। मैंने राहुल जी से कहा संगठन में सब चाहते हैं कि आप वापस आएं। उन्होंने कहा कि मैं सोच रहा हूं, मैं सोच रहा हूं।

कांग्रेस कुछ ज्यादा लोकतांत्रिक पार्टी है…लगता है अनुशासन जरूरी है

पार्टी में जी-23 की राय है
ये मीडिया का आविष्कार है। हम लोकतांत्रिक पार्टी हैं। हम एक-दूसरे की आलोचना करते हैं, टांग खींचते हैं। कभी-कभी लगता है कि पार्टी में अनुशासन जरूरी है। कांग्रेस में कोई मीटिंग होती है तो 10 मिनट बाद पूरे मीडिया को पता चल जाता है। भाजपा, सीपीएम की मीटिंग का तो पता नहीं चलता।

ज्योतिरादित्य और जितिन जैसे लोग अवसरवादी हैं, अपना फायदा देखते हैं

जितिन, ज्योतिरादित्य के जाने से क्या नुकसान हुआ?
एक जितिन प्रसाद, एक सिंधिया जाएंगे, हजार नौजवान जिनके पास बड़े परिवार का नाम नहीं है, वे कांग्रेस में आएंगे। सिंधिया को, जितिन को क्या नहीं दिया गया। जितिन को प्रभारी बनाया गया। सिंधिया को पीसीसी अध्यक्ष का ऑफर मिला था। ये लोग अवसरवादी हैं। ये अपना फायदा देखते हैं।

जयराम रमेश
( लेखक राज्यसभा सांसद हैं, मुकेश कौशिक से बातचीत में जैसा उन्होंने बताया, ये उनके निजी विचार हैं)

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