भीलवाड़ा। राजस्थान के भीलवाड़ा जिले के रहने वाले अभिषेक जैन किसान परिवार से ताल्लुक रखते हैं। पिता खेती करते थे। अभिषेक की शुरुआती पढ़ाई गांव में ही हुई। इसके बाद उन्होंने बीकॉम में दाखिला ले लिया, क्योंकि उन्हें खुद का बिजनेस करना था। पढ़ाई पूरी करने के बाद अभिषेक ने मार्बल का बिजनेस शुरू किया। अच्छी कमाई भी हो रही थी, लेकिन 2007 में हार्ट अटैक से उनके पिता की मौत हो गई। अभिषेक दो भाइयों में बड़े थे। परिवार की जिम्मेदारी भी उनके कंधों पर आ गई। गांव से बाहर बिजनेस करना मुश्किल हो गया। इसके बाद 2008 में उन्होंने बिजनेस छोड़ दिया और खेती को ही अपना करियर बना लिया। उन्होंने नए तरीके से कॉमर्शियल फार्मिंग करना शुरू किया। आज वे 6 एकड़ जमीन पर नींबू और अमरूद की खेती कर रहे हैं।
इससे सालाना 12 लाख रुपये वे मुनाफा कमा रहे हैं। अभिषेक तीन एकड़ जमीन पर नींबू और तीन एकड़ जमीन पर अमरूद की खेती कर रहे हैं। इसमें देशी और ग्राफ्टेड दोनों ही तरह के प्लांट उन्होंने लगाए हैं। 35 साल के अभिषेक के लिए यह सफर आसान नहीं था। वे किसान परिवार से थे, लेकिन उन्होंने कभी खेती नहीं की थी। ये फील्ड उनके लिए बिल्कुल नई थी। उनके पिता जो बगीचा छोड़ कर गए थे, उसी को अभिषेक ने संवारना शुरू किया। खेती की नई तकनीकों के बारे में पढऩा शुरू किया। केमिकल फर्टिलाइजर की जगह ऑर्गेनिक खाद का उपयोग करने लगे। इससे उन्हें दोहरा लाभ मिला। एक तरफ लागत कम हुई तो दूसरी तरफ प्रोडशन रेट और जमीन की उर्वरा शति भी बढ़ गई।
आज अभिषेक तीन एकड़ जमीन पर नींबू और तीन एकड़ जमीन पर अमरूद की खेती कर रहे हैं। इसमें देशी और ग्राफ्टेड दोनों ही तरह के प्लांट उन्होंने लगाए हैं। उनके बगीचे में 800 प्लांट अमरूद और 550 से ज्यादा प्लांट नींबू के हैं। उनके ज्यादातर फल खेत से ही बिक जाते हैं। बाकी जो बच जाता है, उसे वे मंडी में भेज देते हैं। अमरूद की खेती से वे तीन लाख रुपये कमा रहे हैं जबकि नींबू की खेती से 6 लाख रुपए तक मुनाफा कमा रहे हैं। कई बार नींबू पूरा बिक नहीं पाता था। फिर उसे संभालकर रखना मुश्किल काम होता था। हम जो आचार घर के लिए बनाते हैं यों न उसे बाजार के लिए तैयार किया जाए। मेरी मां आचार बनाती थीं। अभी अभिषेक सोशल मीडिया के जरिए अपने प्रोडट की मार्केटिंग कर रहे हैं।