मोटों को ज्यादा घेरती है बीमारी

0
191

सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी), अमेरिका के ताजा अध्ययन में चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं। इसके मुताबिक अमेरिका में कोविड-19 के कारण अस्पताल में भर्ती होने वाले, वेंटीलेटर पर जाने वाले या जान गंवाने वाले 78 फीसद लोगों का वजन ज्यादा था या वे मोटापे का शिकार थे। सीडीसी के मुताबिक 42 फीसद अमेरिकी आबादी 2018 में मोटापे (ओबेसिटी) से पीडि़त थी। जब बीएमआई (बॉडी मास इंडेस) 30 से ज्यादा होता है, तो उस ओबेसिटी कहते हैं। वहीं ज्यादा वजन (ओवरवेट) का मतलब है 25 से ज्यादा बीएमआई। वैसे बीएमआई सर्वश्रेष्ठ माप नहीं है, लेकिन फिर भी उपयोगी है और दुनियाभर में स्वीकृत मापदंड है।

अतिरिक्त वजन को हमेशा स्वास्थ्य जोखिमों से जोड़ा जाता है, जैसे हृदय रोग, डायबिटीज, उच्च रक्तचाप, जोड़ों की समस्या आदि। अब हम इस सूची में कोविड-19 भी जोड़ सकते हैं। हालांकि, हमने वैश्विक लॉकडाउनों की अनुशंसा की, मास्क व सोशल डिस्टेंसिंग अनिवार्य किए, फिर भी हममें सार्वजनिक रूप से यह स्वीकारने की हिम्मत नहीं है कि लोगों को कोविड-19 से सुरक्षित रहने के लिए वजन कम करने की भी जरूरत है। हम कह सकते हैं कि ओबेसिटी अमेरिकी समस्या है। भारतीयों में यह उतनी नहीं है। बेशक, हमारी 42 फीसद आबादी (अब तक) मोटापे का शिकार नहीं है।

वास्तव में, हमारे गरीब तबके में भूख व कुपोषण है। हालांकि, मध्यमवर्ग और अमीर आबादी में महामारी के दौरान मोटापा बढ़ा है। भारत में अपर्याप्त डाटा है। चार राज्यों के आईसीएमआर-इंडियाबी 2015 अध्ययन के मुताबिक 25-40 फीसद शहरी आबादी ओवरवेट (25 से ज्यादा बीएमआई) पाई गई थी। यहां तक कि ग्रामीण क्षेत्रों के आंकड़े (4-20 फीसद ) बेहतर थे। अध्ययन में 30 से ज्यादा बीएमआई को शामिल नहीं किया गया। हालांकि, हम जानते हैं कि हमारी शहरी आबादी का बड़ा हिस्सा ओवरवेट है और ओबेसिटी की दर भी बढ़ी है।

कोरोना ने हमें स्वास्थ्य पर ध्यान देने का एक और मौका दिया है, खासतौर पर डाइट व एसरसाइज के जरिए। डाइट के मामले में भारतीयों में अच्छा खाने के प्रति जागरूकता बढ़ी है। हालांकि, अब भी बहुत गलतफहमियां हैं कि ‘हेल्दी खाना’ क्या है। मुझे भी गलतफहमी थी कि अगर किसी खाने को ‘हेल्दी’ माना जाता है, तो उसे जितना चाहे खा सकते हैं। भारतीय कई उच्च कैलोरी वाले भोजनों को बहुत हेल्दी मानते हैं, जैसे घी, गुड़, शहद, फुल क्रीम दूध, सफेद मखन, फलों का ताजा रस, फुल फैट पनीर। बेशक इनमें कुछ पोषण होता है, हालांकि वे कैलोरी से भरे हैं, इसलिए आसानी से वजन बढ़ा सकते हैं। ये ओवरवेट व्यक्ति के लिए न हेल्दी हैं, न अच्छे।

वजन कम करने का एक मुख्य आधार है कम कैलोरी वाली चीजें खाना या जितनी कैलोरी बर्न करते हैं, उससे कम कैलोरी लेना। इस मायने में एक सीमा के बाद कोई भी भोजन हेल्दी नहीं है। क्या, कितना खाना है, यह बहुत जरूरी है, हालांकि इसपर हमारी डाइट में जोर नहीं दिया जाता। किसी भोजन को सिर्फ इसलिए अच्छा नहीं मान सकते क्योंकि वह हमारी पारंपरिक संस्कृति का हिस्सा है। कैलोरी न देशभक्त होती हैं और न सांस्कृतिक रूप से संवेदनशील। जलेबी, पराठा और पकौड़ों का हमारे लिए भावनात्मक मोल हो सकता है, पर ये हमारे अंदर वे वैसे ही फैट में बदलते हैं, जैसे बर्गर-पिज्जा।

इन्हें बंद करें। हमारी कई भोजन परंपराएं कृषक आबादी की हमारी जड़ों से आती हैं। हमारे पूर्वज खेतों पर कड़ी मेहनत करते हैं। हम घर पर बैठकर वेबसीरीज देखते हैं क्या लैपटॉप पर ईमेल के जवाब देते हैं और इसे काम कहते हैं। हम उन जैसा भोजन नहीं कर सकते। अमेरिका में ओबेसिटी की समस्या का एक कारण है कि वहां फूड कंपनियों ने नुकसानदेह भोजन का भारी प्रचार किया है। ऐसा ही यहां हो रहा है। बेशक अनहेल्दी खाना स्वादिष्ट होता है। पर उनसे वजन बढ़ता है, जो आपको विभिन्न बीमारियों के प्रति असुरक्षित बनाता है, जिसमें दुनिया बंद कराने वाली बीमारी भी शामिल है।

सब्जी युक्त, कम कैलोरी वाला भोजन खाएं, साबुत अनाज, प्रोटीन व कम मात्रा में फैट भी लें। पैकेट में आने वाली चीजें न खाएं। दूसरा जरूरी पहलू है एसरसाइज। सरकार ने ‘फिट इंडिया’ पहल को बढ़ावा दिया है, जिसका नारा है, ‘फिटनेस का डोज़, आधा घंटा रोज़’। ज्यादातर लोग शरीर को आधा घंटा दे सकते हैं। मानवीय शरीर चलने फिरने के लिए बने हैं, बैठे-बैठे टचस्क्रीन पर उंगलियां चलाने के लिए नहीं। चलें, सीढिय़ां चढ़ें, दौड़ें। भारतीयों को स्वास्थ्य के बारे में कई गलतफहमियां हैं, जो वॉट्सएप पर बड़ी संख्या में फॉरवर्ड होने वाले संदेशों में देख सकते हैं। हमारी डाइट स्वादिष्ट है, लेकिन इसमें बदलाव कर आधुनिक जीवनशैली के मुताबिक कम कैलोरी वाले स्वस्थ विकल्पों की जरूरत है। हमें एसरसाइज की भी जरूरत है। आपके स्वस्थ होने से न सिर्फ आपको लाभ होगा, बल्कि स्वास्थ्य पर खर्च होने वाले देश के अरबों रुपए भी बचेंगे। और हां, हाथ धोने और मास्क पहनने की तरह, फिट रहना भी आपको कोविड-19 से बचाएगा।

चेतन भगत
(लेखक अंग्रेजी के उपन्यासकार हैं ये उनके निजी विचार हैं)

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here