आज देश के सबसे बड़े प्रदेश यानी यूपी का बजट पेश होने जा रहा है। बढ़ती महंगाई से पीडि़त प्रदेश की जनता को प्रदेश सरकार से जो अपेक्षाएं हैं,वह पूरी होंगी या उसका बजट भी केंद्र सरकार से प्रेरित होगा। लेकिन इतना तय है कि इस बार का बजट योगी सरकार के कार्यकाल का अंतिम बजट होगा, उम्मीद की जा रही है, इस बजट में आम जनता के लिए कुछ राहत भरे पैकेज का ऐलान हो सकता है। फिलहाल यूपी ही नहीं बल्कि पूरा देश आम लोगों से जुड़ी वस्तुओं पर बढ़ती महंगाई को लेकर चिंतनशील है। गैर भाजपाई सरकारों में महंगाई को मुद्दा बनाकर धरने प्रदर्शन करने वाले लोग अब बढ़ती महंगाई पर चुप क्यों हैं? यदि केंद्र सरकार कोरोना महामारी से बिगड़ी आर्थिकी की दुहाई देते हुए महंगाई बढ़ा रही है तो हमारे पड़ोसी देश भी तो महामारी का शिकार हुए हैं। वहां पेट्रोलियम पदार्थों की कीमत कम यों हैं। पेट्रोल और डीजल की कीमतें 11 दिन में लगातार 14 बार बढ़ चुकी हैं। कोरोना महामारी के संकट से देश की आर्थिक को उभारने के लिए सरकार ऐसी वस्तुओं पर लगातार वृद्धि कर रही है जिनसे आम आदमी जुड़े हैं।
अब से दस साल पहले जिस महंगाई को म़ुद्दा बनाकर भाजपा ने कांग्रेस को सत्ता से बाहर किया था। अब उस पर नियंत्रण पाना उसके कब्जे से बाहर होता जा रहा है। घरेलू गैस के दामों में लगातार हो रही वृद्धि से आम आदमी हताश नजर आ रहा है। वहीं पेट्रोलियम पदार्थों पर दिन प्रतिदिन वृद्धि हो रही है। जिससे प्रतिदिन आवागमन करने वाले लोगों के जीवन पर प्रभाव डाल रहा है। लगभग 18 दिन पहले केंद्र सरकार द्वारा पेश किए गए पेपरलैस बजट में भी पेट्रोलियम पदार्थों पर एक और सेस लगाया गया है जिसके चलते दो चार रुपये की वृद्धि की गई है। यही नहीं, भारत के पड़ोसी देश पाकिस्तान, लंका व नेपाल में भी इन पदार्थों की कीमतें इतनी नहीं बढ़ी हैं जितनी भारत में बढ़ रही हैं। पिछले दिनों राज्यसभा में महंगाई को लेकर कटाक्ष करते हुए सपा सांसद ने माता सीता के देश यानी नेपाल व रावण के देश लंका का हवाला देकर पूछा था कि भगवान राम के देश में पेट्रोल की कीमतें यों बढ़ रही हैं। हालांकि, पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने तेल के दामों पर बढ़ रहे सवालों पर जवाब दिया था कि फ्यूल अपने ऑलटाइम हाई पर चल रहा है जिससे कीमतों में उछाल आ रहा है।
उन्होंने इंटरनेशनल क्रूड आयल का हवाला देकर बताया कि इसका असर पूरी दुनिया पर पड़ रहा है। यदि ऐसा है तो सरकार द्वारा इन पदार्थों पर लगे टैसों को कम करके जनता को राहत दे सकती है। पिछले 300 दिनों के अंदर 60 दिन ऐसे हैं, जब कीमतें बढ़ाई गई थीं, पेट्रोल की कीमतें 7 दिन घटाई गईं, वहीं डीजल के दाम 21 दिन घटाए गए, लगभग 250 दिन ऐसे हैं, जब कीमतों में कोई बदलाव नहीं किया गया। इसके अलावा एलपीजी गैस सिलेंडर दामों में भी लगातार वृद्धि हो रही है। सरकार द्वारा गरीबों को उज्जवला योजना के अंतर्गत बांटे गए गैस सिलेंडर भी नहीं भरवाए जा सके है। सकरार ने निन वर्ग को दी जाने वाली सब्सिडी को भी बंद कर दिया है। यानी अब गैस सिलेंडर के पूर्ण दाम देने पड़ रहे हैं। प्रदेश में अगले वर्ष विधानसभा चुनाव होने हैं तो लग रहा है कि सरकार जनता को राहत देने के लिए अपने अंतिम बजट में आम लोगों से जुड़े उत्पाद पर टैस हटा सकती है। जिससे जनता में सरकार के प्रति महंगाई को लेकर नाराजगी कम हो जाए। बजट में गरीबों के लिए क्या है इसका पता तो गुरुवार को चलेगा।