भगवान शिव का पवित्र सावन का महीना शुरू हो चुका है। भोलेनाथ को प्रिय सावन का महीना 3 अगस्त तक रहेगा। इसके बाद 4 अगस्त से भाद्रपद मास की शुरुआत होगी। श्रावण मास में शिवजी की उपासना का बड़ा महत्व बताया गया है। इस दौरान कुछ खास बातों का ध्यान रखना भी जरूरी बताया गया है।
भूलकर भी ना करें ये 8 गलतियां
1. सावन के पवित्र महीने में खानेपीने की चीजों को लेकर बेहद सावधानी बरती जाती है। इस महीने मांस-मछली के सेवन से परहेज किया जाता है। आपका भोजन सात्विक होना चाहिए. उसमें लहसुन-प्याज का भी इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
2. हरी सब्जियों का सेवन करने वालों को बैंगन खाने से भी परहेज करना चाहिए. दरअसल बैंगन को एक अशुद्ध सब्जी माना जाता है. इसी कारण लोग द्वादशी और चतुर्दशी पर बैंगन नहीं खाते हैं।
3. श्रावण मास में शिवलिंग का दूध से जलाभिषेक करना काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। इसी कारण इस महीने दूध पीने से परहेज करना चाहिए। भाद्र मास में दही की तरह सावन में दूध से परहेज करना चाहिए।
4. भगवान शिव को बेलपत्र, भांग और धतूरा काफी प्रिय है, लेकिन पूजा के वक्त कुछ खास चीजें चढ़ाने से बचना चाहिए. शिवलिंग पुरुष तत्व से संबंधित है तो उस पर हल्दी नहीं चढ़ानी चाहिए।
5. किसी का अपमान न करें और किसी भी प्रकार के बुरे विचार मन में नहीं लाना चाहिए। खासतौर से गुरु, जीवनसाथी, माता-पिता, मित्र और द्वार पर आए लोगों का अपमान नहीं करना चाहिए।
6. अगर घर के द्वार पर कोई गाय या बैल आए तो उसे मारकर भगाने की बजाए कुछ खाने के लिए जरूर दें। बैल को मारना भगवान शिव की सवारी नंदी का अपमान करने के समान है।
7. इसके अलावा शरीर पर तेल लगाने से भी परहेज करना चाहिए. साथ ही भोजन के लिए कांसे के बर्तनों का इस्तेमाल करना चाहिए।
8. सावन में पूजा के समय भगवान शिव या शिवलिंग को केतकी का अर्पित करने से बचना चाहिए। इसके अलावा दिन के वक्त सोने से भी बचना चाहिए। ऐसे करें अभिषेक, पूरी होगी हर मनोकामना: पुराणों में कहा गया है
कि अन्य दिनों के अपेक्षा सावन के महीने में भगवान शिव की पूजा अर्चना करने से उसका कई गुना लाभ व्यक्ति को मिलता है। भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए उनके भक्त इस महीने शिवलिंग पर फूल और प्रसाद चढ़ाते हैं। आइए जानते हैं कि किन 7 चीजों से शिवलिंग का अभिषेक करने पर भोलेबाबा जल्द प्रसन्न हो जाते हैं? दूध से अभिषेक: अगर आपके घर में हर समय कलह का वातावरण बना रहता है तो आपको शिवलिंग पर दूध चढ़ाना चाहिए। ऐसा करने से घर, ऑफिस का कलह शांत होने के अलावा मूर्ख व्यक्ति भी बुद्धिमान बन जाता है। जल चढ़ाएं: शिवलिंग पर जल से अभिषेक करने से विभिन्न कामनाएं पूरी होती हैं। रोजाना शिवलिंग पर जल चढ़ाने से मन शांत रहता है और शिव जी जल्द प्रसन्न हो जाते हैं। देसी घी से अभिषेक: यदि घर में कोई व्यक्ति अक्सर बीमार रहता है तो आपको भगवान महादेव के लिंग पर शुद्ध देसी घी का अभिषेक करना चाहिए। ऐसा करने से रोग दूर होने के साथ आपके वंश का विस्तार भी होता है। इत्र चढ़ाएं: अगर आप अपने शादीशुदा जीवन से खुश नहीं है तो भगवान शिव के लिंग पर इत्र से अभिषेक करें। ऐसा करने से आपके अपने पति के साथ संबंध मधुर बनेंगे। शहद से करें अभिषेक: यदि घर में किसी व्यक्ति को गंभीर रोग है तो उसे शहद से शिवलिंग का अभिषेक करना चाहिए। ऐसा करने से स्वास्थ्य से जुड़ी बीमारियां दूर हो जाती हैं। गन्ने के रस से अभिषेक: यदि आप अपने जीवन से बेहद दुखी हैं तो ऐसे में आप गन्ने के रस से शिवलिंग का अभिषेक करें।
ऐसा करने से आपके घर में खुशियां लौट आएंगी। गंगाजल चढ़ाएं: जो शिवभक्त मृत्यु के बाद मोक्ष प्राप्त करना चाहते हैं उन्हें शिवलिंग पर गंगाजल से अभिषेक करना चाहिए। 558 साल बाद दुर्लभ योग इस बार सावन माह में गुरु, शनि, राहु और केतु चारों ग्रह एक साथ वक्रीरहेंगे। 2020 से पहले ऐसा योग 558 साल पहले 1462 में बना था। उस समय सावन 21 जून से 20 जुलाई 1462 तक था। सोमवार से शुरू और सोमवार को ही सावन खत्म होने से इस माह का महत्व और अधिक बढ़ गया है। उत्तर भारत और दक्षिण भारत के पंचांग में भेद भी हैं। दक्षिण भारत, महाराष्ट्र और गुजरात में 21 जुलाई से सावन शुरू और 19 अगस्त को खत्म होगा। जहां उार भारत का पंचांग प्रचलित है, वहां 6 जुलाई से 3 अगस्त तक सावन रहेगा। इस माह में गणेश चतुर्थी व्रत 8 जुलाई को, कामिका एकादशी 16 को, हरियाली अमावस्या 20 को, हरियाली तीज 23 को, विनायकी चतुर्थी व्रत 24 को, नाग पंचमी 25 को, पुत्रदा एकादशी 30 को और रक्षा बंधन 3 अगस्त को मनाया जाएगा। तीज पर देवी पार्वती, चतुर्थी पर गणेशजी, पंचमी पर नागदेवता, एकादशी पर विष्णुजी, अमावस्या पर पितर देवता और पूर्णिमा पर चंद्रदेव की विशेष पूजा करनी चाहिए। स्वामी वैंकुटनाथ: सावन पांचवां हिन्दी माह है।
इसके स्वामी वैकुंठनाथ हैं, और श्रवण नक्षत्र में इसकी पूर्णिमा आने से इसे श्रावण या सावन माह कहा जाता है। श्रवण नक्षत्र के स्वामी चंद्रदेव हैं। चंद्र का एक नाम सोम भी है। चंद्रवार को ही सोमवार कहते हैं। शिवपुराण के अनुसार शिवजी और पार्वतीजी का विवाह मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र में हुआ था, उस दिन सोमवार ही था। इस साल ये तिथि 19 दिसंबर को रहेगी। रोहिणी नक्षत्र के स्वामी भी चंद्र हैं। चंद्रदेव को शिवजी ने अपने मस्तक पर स्थान दिया है। पार्वतीजी के साथ विवाह सोमवार को होने से और चंद्रदेव का वार होने से भी शिवजी को सोमवार विशेष प्रिय है। पंचतत्वों में पृथ्वी तत्व के देवता हैं शिव: पंचतत्वों में आकाश तत्व के देवता विष्णु, अग्रि तत्व देवी दुर्गा, वायु तत्व के सूर्य, पृथ्वी तत्व के शिव और जल तत्व के देवता गणेशजी हैं। गर्मी में पृथ्वी से जल वाष्प बनकर उड़ जाता है, और सावन में पृथ्वी तत्व यानी की शिवजी पर पुन जल तत्व वर्षा द्वारा अभिषेक करता है। क्यों चढ़ाते हैं दूध: सावन माह में लगातार बारिश होती है। इस कारण कई तरह के छोटे-छोटे जीवों की उत्पात्ति होती है। कई प्रकार की विषैली नई घास और वनस्पतियां उगती हैं। जब दूध देने वाले पशु इन घासों को और वनस्तपतियों को खाते हैं तो पशुओं का दूध विष के सामान हो जाता है।