नागरिकता : भारतीय जनता पार्टी फिर सोचे

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यह नागरिकता कानून कमाल का है। इसने जैसी गलतफहमी देश में फैलाई है, मुझे याद नहीं पड़ता किसी अन्य कानून ने फैलाई है। सबसे पहले तो इसने हमारी संसद की इज्जत को पैंदे में बिठा दिया है। जिन दलों ने इसका आंख मींचकर समर्थन किया था, उनमें से कुछ ने अब इसका विरोध शुरु कर दिया है। नीतीश कुमार के जनता दल, नवीन पटनायक के बीजू जनता दल, रामविलास पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी, उद्धव ठाकरे की शिवसेना और पंजाब के शिरोमणि अकाली दल अब इसका विरोध कर रहे है। उन्हें लग रहा है कि इसका समर्थन करने से उनके मुस्लिम वोट तो शत-प्रतिशत कटेंगे ही, हिन्दू वोट भी हिल जाएंगे। उकना तर्क जो भी हो, जिन सांसदों ने इस विधेयक का समर्थन कर दिया था, उनसे मैं पूछना चाहता हूं कि क्या वे अपनी अक्ल को पार्टी-नताओं की जेब में गिरवी रखकर सदन में बैठते हैं। किसी भी मसले पर वोट करते समय वे अपने विवेक का इस्तेमाल क्यों नहीं करते? पार्टी-अनुशासन का महत्व जरूर है लेकिन अपने मतदाताओं और देश के प्रति भी उनकी कोई जिम्मेदारी है या नहीं। यही सवाल मैं मंत्रिमंडल के सभी सदस्यों से पूछना चाहता हूं।

उन्होंने नोटबंदी के वक्त अपना मुंह क्यों नहीं खोला। वे लूली-लंगड़ी जीएसटी पर चुप क्यों रहे। देश के आर्थिक संकट पर वे खर्राटे क्यों खींच रहे हैं। वे नरेन्द्र मोदी और अमित शाह के मत्थे सारी जिम्मेदारी मढ़कर अगले चुनाव में अपना मुंह कैसे दिखाएंगे? क्या उनका हाल आज वैसा ही नहीं हो रहा है, जैसा कांग्रसी सांसदों का इंदिरा गांधी के जमाने में हो गया था। इस कानून का विरोध मुसलमान लोग खुलकर कर रहे हैं। इस संशोधित कानून से उन्हें रत्तीभर भी नुकसान नहीं है लेकिन इसने उनके दिल में डर बैठा दिया है कि जब नागरिकता रजिस्टर बनेगा तो उन पर आसमान टूट पड़ेगा। सारे भारत में हजारों लोग गिरफ्तार हो रहे है और दर्जनों लोग हताहत हो गए है। विदेशी शरणार्थियों के लिए बने इस कानून में से मुसलमान शरणार्थियों को निकाल देने का विरोध देश के लाखों हिन्दू भी कर रहे हैं। मेगासेसे सम्मान विजेताओं ने इस कानून की भर्त्सना की है। उनमें एक भी मुसलमान नहीं है। एक बात अच्छी हुई जिस पर मैं गौर कर रहा हूं, वह यह कि भारत के मुसलमान अपनी भारतीयता पर आज जमकर गर्व कर रहे हैं। पाकिस्तान के हिन्दू नेता डरे हुए हैं। उन्हें जर है कि इस कानून के आधार पर पाकिस्तान के नेता अब वहां के हिन्दुओं को कहेंगे कि अब तुम भारत भागे। तुम्हारे लिए अब यहां रहना जायज नहीं है।

डॉ. वेदप्रताप वैदिक
लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं, ये उनके निजी विचार हैं

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