हमें सांड से बहुत डर लगता है। लगना भी चाहिए क्योंकि संसद से सड़क तक इन्हीं का राज है। जिसका राज है उसे नाराज़ नहीं किया जा सकता। किसी ने पूछा- राम, बड़ा या गोगा जी? उत्तर मिला- भाई, बड़ा तो जो है वही है लेकिन बिना बात सांपों से बैर क्यों करवाता है। ध्यान रहे, गोगा जी सांपों के देवता हैं। राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले में गोगा जी का मंदिर है।
सांड, गाय का नर और शिव का वाहन होने के कारण डबल आदरणीय है जैसे कि कोई भी एमएलए या एमपी. अनिवार्य रूप से आपके लिए आदरणीय है। वह कैसा भी कुकर्म करे आपको उसे आदर देना ही पड़ेगा, यह संवैधानिक आदेश है। यदि वह ‘माननीय’ सत्ताधारी दल का है तो वह स्वतः ही डबल आदरणीय हो जाता है। इसी तरह इस समय सांड देश की राजनीति में सबके लिए महत्त्वपूर्ण है इसलिए भी हर पार्टी के शासन में वह आदरणीय रहता है।
हमारे सीकर में जब-जब सांड किसी पर अपनी कृपा दृष्टि करता है अर्थात किसी को घायल या मरणान्तक रूप से घायल करता है तो सांड जिसे सम्मानपूर्वक नंदी कहा जाता है, चर्चा में आ जाता है। वैसे तो बहुत से जनसेवक और गुंडे भी जनता को दुखी किए हुए हैं लेकिन वे अपने राजनीतिक संपर्कों के कारण बचे रहते हैं लेकिन सांड का कोई प्रत्यक्ष राजनीतिक पक्ष नहीं है। आस्था के कारण सब इस बारे में चिंता और आक्रोश तो जताते हैं लेकिन सच बात कहने से डरते हैं। हम दुखी और डरे हुए हैं क्योंकि कल एक नंदी महाशय ने सीकर के 82 वर्षीय हृदयनारायण को हार्दिक चोट पहुंचा कर दिवंगत कर दिया तो आज हमारा नंबर आ सकता क्योंकि इनके शिकार बुज़ुर्ग ही होते हैं जैसे बलात्कारियों का शिकार किसी गरीब या दलित की लड़की ही होती है। किसी गुंडे, नेता या बड़े अफसर की बेटी के साथ यह समस्या नहीं है।
जैसे ही तोताराम आया, हमने गुस्से में कहा- तोताराम, ज़िंदगी में पहले से ही जाने कितने दुःख हैं और अब यह आवारा सांडों का आतंक।
बोला– मास्टर, अपनी इस अनास्था पूर्ण वाणी को विराम दे। शिव के वाहन और गौ माता के पति नंदी जी को आवारा और आतंकवादी कहने की तेरी हिम्मत कैसे हुई? यह आस्था का मामला है। इस पर कोई तर्क, कानून और संविधान लागू नहीं होता। गाय और सांड सच्चे भारतीय और विशेषकर सच्चे हिंदू के लिए आदरणीय हैं।
यदि सांड किसी कारण से नाराज़ हैं तो उन्हें विशेष विधि-विधान से प्रसन्न किया जाना चाहिए। उनके लिए विशेष भोजन, पूजा और अनुष्ठान किए जाने चाहिए। तो वे किसी को नुक्सान नहीं पहुंचाएंगे जैसे बंदरों के संकट से बचने के लिए योगी जी ने कहा है कि प्रभावित लोगों को हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए।
हमने कहा- क्या गारंटी है कि इतने स्वागत-सुविधा के बावजूद नंदी जी आपको नहीं मारेंगे?
बोला– हो सकता है तुम्हारी सेवा-पूजा में कोई कमी रही होगी। या फिर तुम्हारे पूर्व जन्म के ऐसे कर्म रहे हैं जिसका नंदी जी तुम्हें दंड दे रहे हैं। बिना कारण के कोई कार्य नहीं होता।
हमने कहा- क्या ऐसा नहीं किया जा सकता कि जिसकी गाय को बछड़ा हुआ है वह उस गौसुत को, उस नंदी-पुत्र को अपने घर पर रखे और सेवा का पुण्य-लाभ लेकर अपने लिए स्वर्ग का मार्ग प्रशस्त करे।
बोला– यह स्वर्ग महंगा पड़ता है। एक सांड को रोज कम से कम एक सौ रुपए का चारा चाहिए जबकि स्वर्ग तो गौपाष्टमी को किसी गाय को दो पूडियाँ खिला कर या गौशाला के अध्यक्ष जी को एक सौ रुपया चंदा देकर भी प्राप्त किया जा सकता है।
हमने कहा– लेकिन यह भी सच है कि भारत में मुसलमान तो आजकल गाय के फोटो से भी डरने लगे हैं तो गाय और सांड की सद्गति या दुर्गति का उत्तरदायित्त्व भी हिंदुओं को ही लेना पड़ेगा।
बोला– मुसलमानों की बात से मुझे ध्यान आया, कहीं यह पाकिस्तान की कोई चाल तो नहीं है जो चुपके से हमारे देश में सांड और न ब्याहने वाली गायें हांक देता हो ?
हमने कहा- तोताराम, कूटनीति के मामले में तो तू भारत के वर्तमान चाणक्य का भी बाप है। नदी-समस्या के इस पक्ष पर जोर देकर हम बिना कुछ किए ही नंदी समस्या की ज़िम्मेदारी से मुक्त हो सकते हैं और पाकिस्तान तथा मुसलमानों के विरुद्ध जनमत बनाकर राष्ट्रीय विचारधारा और देशभक्ति को भी मजबूत कर सकते हैं।
रमेश जोशी
लेखक देश के वरिष्ठ व्यंग्यकार और ‘विश्वा’ (अंतर्राष्ट्रीय हिन्दी समिति, अमरीका) के संपादक हैं। ये उनके निजी विचार हैं। मोबाइल – 9460155700
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