निराशा में भी दिल जीता मोदी ने

0
198

शुक्रवार की आधी रात के बाद निश्चित समय पर चंद्रयान-2′ का लैंडर ‘विक्रम’ चांद पर तो उतर गया था लेकिन चाँद पर उतरते ही उसका जमीनी स्टेशन से संपर्क टूट गया | कोई अन्य प्रधानमंत्री होता तो शायद इस घटना को अनहोनी समझ कर पी जाता , वह बूझ नहीं पाता कि वैज्ञानिकों के दिल पर क्या बीत रही होगी | गहरा झटका नरेंद्र मोदी को भी लगा था इसलिए निराशा के उस क्षण में वह उठ कर चले गए थ लेकिन वैज्ञानिकों के उस दर्द को नरेंद्र मोदी ने जैसे समझा तो सुबह आठ बजे वह फिर इसरो सेंटर वैज्ञानिकों के बीच पहुंचे और उन के सामने ही राष्ट्र को सम्बोधित किया |

उन की तरफ से दिखाई गई आत्मीयता ने न सिर्फ वैज्ञानिकों का बल्कि भारत से प्यार करने वाले हर भारतीय का दिल जीत लिया उन्होंने वैज्ञानिकों का न सिर्फ हौसला बढ़ाया बल्कि उन्होंने कहा कि पूरा दे उनके साथ है |

वैज्ञानिकों और राष्ट्र को सम्बोधित करके मोदी जब बेंगलुरु के स्पेस सेंटर से बाहर निकल रहे थे तो इसरो अध्यक्ष के सिवन को रुआंसा देख कर गले लगा लिया इस दौरान खुद भी काफी भावुक हो गए | मोदी ने काफी समय तक इसरो अध्यक्ष को गले लगाए रखा और उनका हौसला बढाने के लिए लम्बे समय तक उन की पीठ सहलाई | भारतीय राजनीतिक इतिहास में ऐसे क्षण बहुत कम देखने को मिले हैं। लोग अपनी व्यक्तिगत भावनाओं के लिए तो भावुक होते हैं लेकिन राष्ट्रीय भावनाओं के लिए भावुक होने का यह अद्भुत दृश्य था |

मोदी के वापस स्पेस सेंटर जाने और वैज्ञानिकों को फिर से चंद्रयान मिशन के लिए तैयारी करने की हरी झंडी से वैज्ञानिक अभिभूत हैं| उन्हें प्रधानमंत्री से ऐसी आत्मीयता की उम्मींद बिलकुल नहीं थी , क्योंकि जब विक्रम का जमीनी स्टेशन से सम्बन्ध टूट गया था तो वह उठ कर चले गए थे |

अपन जब सुबह सात बजे पाकिस्तान के एक टीवी चेनल की ख़बरें सुन रहे थे तो वहा टीवी चैनल जब नरेंद्र मोदी के निराशा में उठ कर चले जाने की खबर दे रहा थातो मोदी तब तक दुबारा इसरो पहुंचने की खबर पहुंचा चुके थे | वहीं से राष्ट्र को सम्बोधित करते हुए उन्होंने वैज्ञानिकों से कहा, ”आप वो लोग हैं जो मां भारती के लिए उसकी जय के लिए जीते हैं,। आप वो लोग हैं जो मां भारती के जय के लिए जूझते हैं, आप वो लोग हैं जो मां भारती के लिए जज्बा रखते हैं , मां भारती का सिर ऊंचा हो इसके लिए पूरा जीवन खपा देते हैं। अपने सपनों को समाहित कर देते हैं |”

मोदी ने रात को अपने चले जाने पर सफाई देते हुए कहा, ” मैं कल रात को आपकी मनोस्थिति को समझता था। आपकी आंखें बहुत कुछ कहती थीं, आपके चेहरे की उदासी मैं पढ़ रहा था और इसलिए मैं ज्यादा देर आपके बीच नहीं रुका | इस मिशन के साथ जुड़ा हुआ हर व्यक्ति एक अलग ही अवस्था में था | बहुत से सवाल थे और बड़ी सफलता के साथ आगे बढ़ते हैं और अचानक सबकुछ नजर आना बंद हो जाए, मैंने भी उस पल को आपके साथ जिया है ,जब कम्युनिकेशन ऑफ आया और आप सब हिल गए थे, मैं देख रहा था उसे | मन में स्वाभाविक प्रश्न था क्यों हुआ कैसे हुआ?

बहुत सी उम्मीदें थी, मैं देख रहा था कि आपको उसके बाद भी लगता था कि कुछ तो होगा, क्योंकि उसके पीछे आपका परिश्रम था| साथियों आज भले ही कुछ रुकावटे हाथ लगी हों, लेकिन इससे हमारा हौसला कमजोर नहीं पड़ा है, बल्कि और मजबूत हुआ है | ”

अजय सेतिया
लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं, ये उनके निजी विचार हैं

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here