श्रावण पूर्णिमा 15 अगस्त, गुरुवार को सायं 5 बजकर 59 मिनट तक
बहने सजाएंगी रक्षासूत्र से भाई की कलाई
भाई-बहन का प्रमुख त्योहार है रक्षा बन्धन
श्रावण मास का लोकप्रिय महापर्व रक्षाबन्धन भाई-बहन के रिश्ते के स्नेह को अटूट व मधुर बनाने के लिए प्रतिवर्ष श्रावण शुक्लपक्ष की पूर्णिमा तिथि के दिन हर्ष उमंग व उल्लास के साथ मनाने की परम्परा है। प्रख्यात ज्योतिषविद् श्री विमल जैन जी ने बताया कि इस बार यह पर्व 15 अगस्त, गुरुवार को मनाया जाएगा। श्रावण शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि 14 अगस्त, बुधवार को अपराह्ण 3 बजकर 46 मिनट पर लग रही है जो कि अगले दिन 15 अगस्त, गुरुवार को सायं 5 बजकर 59 मिनट तक रहेगी। व्रत की पूर्णिमा 14 अगस्त, बुधवार को पड़ रही है। आज के दिन श्रीसत्यनारायण व्रत कथा का आयोजन किया जाता है तथा रात्रि में चन्द्रमा को अर्घ्य देकर व्रत का पारण किया जाता है। पूर्णिमा तिथि पर ही राखी बांधने वाली बहनें 12 अगस्त, गुरुवार को सायं 5 बजकर 59 मिनट तक ही अपने भाइयों की कलाइयों पर राखी सजा सकेंगी। पूर्णिमा तिथि पर श्रवण नक्षत्र 15 अगस्त, गुरुवार को प्रातः 8 बजकर 02 मिनट तक रहेगा। बहने अपने परम्परा के अनुसार पूर्व या उत्तर दिशा की ओर सुख करके, भाइयों के मस्तक पर टीका लगाकर, उनकी कलाई पर राखी बांधती हैं। तत्पश्चात बहने भाई को उपहार प्रदान करती हैं, साथ ही भाई भी उन्हें मंगल आशीर्वाद से सन्तुष्ट करके उनके जीवन की रक्षा का वचन देता है। रक्षा बन्धन के समस्त पुनीत कार्य पूर्णिमा तिथि पर ही करना लाभप्रद रहता है। रक्षा सूत्र अपने पारिवारिक धार्मिक परम्परा के अनुसार ही बांधना चाहिए।
ज्योतिषविद् श्री विमल जैन जी ने बताया कि अपने समस्त दैनिक कृत्यों से निवृत्त होकर इस दिन धार्मिक विधि-विझान से अपने आराध्य देवी-देवता की पूजा के पश्चात सप्तऋषियों की भी पूजा करने का विधान है। उनके आशीर्वाद से मंगल कल्याण होता है। भविष्यपुराण के अनुसार विधि-विधानपूवर्क रक्षासूत्र धारण करने पर व्यक्ति के समस्त रोग उससे दूर रहेत हैं, उसे जीवन भर आरोग्य सुख मिलता है। रक्षासूत्र धारण करने पर जाने-अनजाने जो भी अशुभ कार्य होते हैं, वे सभी नष्ट हो जाते हैं। इस पर्व को और अधिक खुशनुमा बनाने के लिए ज्योतिष गणना के मुताबिक राशियों के रंग के अनुसार रक्षा बन्धन भाई-बहन के रिश्तों को और अधिक स्नेहयुक्त बनाकर जीनव को खुशहाल बना सकते हैं।
प्रख्यात ज्योतिषविद् श्री विमल जैन जी ने बताया कि श्रावण पूर्णिमा या रक्षा बन्धन पर अपने कुल पुरोहित या श्रेष्ठ विद्वतजन से अपनी कलाई पर रक्षासूत्र (राखी) अवश्य बंधवाना चाहिए। तत्पश्चात् उन्हें यथा सामर्थ्य भेंट व नकद द्रव्य देकर उनसे आशीर्वाद लेना चाहिए। जिससे जीवनपर्यन्त सुख-समृद्धि खुशहाली बनी रहती है।
ज्योतिषविद् श्री विमल जैन जी ने बताया कि रक्षाबन्धन के पर्व को और अधिक खुशनुमा बनाने के लिए राशियों के रंग के अनुसार बहनें यदि राखि बांधे तो भाइयों के सौभाग्य में वृद्धि तो होगी ही साथ ही उनको अन्य लाभ भी मिलेगी। सामान्यतः सुनहरा, पीला और लाल रंग की राखी बांधने का रिवाज है। इन रंगों की राखी बांधने के साथ ही भाइयों के राशि के अनुसार भी राखी का रंग रखने से सौभाग्य में वृद्धि होगी। लाल रंग से जीवन में ऊष्मा व ऊर्जा का संचार होता है, वहीं सुनहले व पीले रंगों से प्रसन्नता मिलती है। आजकल राखियों के रंग के अनुसार राखी बांधने का प्रचलन बढ़ रहा है।
द्वादश राशियों के अनुसार रंगो का चयन –
मेष – लाल, गुलाबी एवं नारंगी।
वृषभ – सफेद एवं क्रीम।
मिथुन – हरा व फिरोजी।
कर्क – सफेद एवं क्रीम।
सिंह – केसरिया, लाल व गुलाबी।
कन्या – हरा व फिरोजी।
तुला – सफेद व हल्का नीला।
वृश्चिक – नारंगी, लाल व गुलाबी।
धनु – पीला व सुनहरा।
मकर व कुम्भ- भूरा, स्लेटी व ग्रे।
मीन – पीला व सुनहरा।