ग्रामीण विकास का वास्ताविक अर्थ यह है कि – शहरों में उपलब्धव शिक्षा, स्वाकस्य्क , परिवहन जैसी मूलभूत आवश्यतकताओं से जुडी सुविधाएं, ग्रामीण क्षेत्रों में भी उपलब्धप हों। कृषि की नई तकनीकें किसानों के खेतों तक पहुंचें और उन्हें श्रम तथा लागत का उचित एवं लाभकारी मूल्यल प्राप्त हो। 1947 में हमें राजनीतिक स्वातंत्रता तो मिल गई, परन्तुप हम आर्थिक स्वोतंत्रता से कोसों दूर रहे। आर्थिक स्वंतंत्रता के लिए कृषि क्षेत्र को मजबूत बनाना सबसे ज्या दा जरूरी है। चूंकि भारत कृषि प्रधान देश है, इसलिए देश की आर्थिक समृद्धि, कृषि-समृद्धि पर निर्भर है। मोदी सरकार भारत को गरीबी मुक्तु और किसानों को समृद्ध बनाने की दिशा में तेजी से काम कर रही है। वर्तमान सरकार का मुख्य लक्ष्यब है – सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वाडस। मैं मानता हूं कि अभी देश के किसानों की आर्थिक स्थिति बहुत संतोषजनक नहीं है। कई मामलों में उन्हेंी न्यननूतम पारिश्रमिक भी प्राप्तन नहीं होता। परंतु मोदी सरकार उनकी आय दोगुनी करने के लिए कई ठोस कदम उठा रही है। खेती लाभकारी व्यीवसाय बने इसके लिए हम रासायनिक उर्वरकों का सहारा छोड़कर जैविक कृषि पर ध्यारन केंद्रित कर रहे हैं। किसान के चेहरे पर लाली और देश में खुशहाली हमारी प्राथमिकता है। लघु एवं सीमांत कृषकों की आय बढ़ाने की दिशा में चौतरफा प्रयास अपेक्षित हैं और इस दिशा में भरपूर प्रयास किए भी जा रहे हैं। इसके लिए सिंचाई सुविधाओं में विस्ता र, अनुदान, पेंशन, बीमा, विपणन, न्यू नतम समर्थन मूल्ये इत्यालदि पहलुओं पर प्रभावी तरीके से काम किया जा रहा है। मौजूदा बजट में अन्न दाता को सशक्त और ऊर्जावान बनाने का संकल्पस स्वाहगत-योग्यत कदम है। मेरा यह भी मानना है कि भारत को 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्य वस्थाव वाला देश बनाने के लिए स्मार्ट खेत बनाने के साथ स्मार्ट खेती अपनानी होगी। किसान और गांव स्मावर्ट होंगे, तो हमारी अर्थव्य वस्थाि भी स्माार्ट होगी।
हमें किसान के सामने खेती के नए अवसर, नए विकल्पा प्रस्तुंत करने होंगे। हमारे वैज्ञानिक नित नया अनुसंधान करें, किसान अभिनव प्रयोग करें और सरकार उनकी जरूरत के अनुसार सुविधाएं प्रदान करती रहे, तो कृषि क्षेत्र में क्रांति सुनिश्चित है। यह सरकार इस दिशा में अनेक प्रयत्ना कर रही है और कृषि के ढांचागत विकास पर 25 हजार करोड़ रुपये का निवेश इस दिशा में एक महत्वरपूर्ण कदम है। देश के किसान नए भारत के निर्माण में प्रधान मंत्री जी के साथ खड़े हैं। सब जानते हैं कि 1970 में गेहूं का न्यूिनतम समर्थन मूल्यज मात्र 76 रुपये प्रति क्विंटल था, जबकि वर्ष 2018 में यह बढ़कर 1730 रुपये प्रति क्विंटल हो गया। कीमतें बढ़ी हैं, उपज बढ़ी है, किसानों में जागरूकता बढ़ी है और उनकी आय-सुरक्षा भी बढ़ी है। हमारी सरकार खेती को लाभ का कारोबार बनाने के उद्देश्यम से उत्पाऔदकता बढ़ाने तथा कृषि उपज की बेहतर विपणन व्यकवस्था करने की दिशा में अग्रसर है। इस बारे में राज्योंउ को समन्वित प्रयास करने की जरूरत है और अनुदान राशि का वितरण सभी क्षेत्रों में किए जाने की अपेक्षा है। मुझे यह कहने में प्रसन्न्ता हो रही है कि देश भर में किसानों को पहले चरण के अंतर्गत 10 करोड़ 73 लाख मृदा-स्वाहस्य्ेश कार्ड वितरित किए जा चुके हैं। दूसरे चरण में 9 करोड़ 82 लाख कार्ड वितरित किए जाने का लक्ष्यु है। अब देश में यूरिया की कमी नहीं है। किसानों को सुरक्षा कवच प्राप्तज हो, इसके लिए प्रधान मंत्री फसल बीमा योजना कार्यान्वित की गई है। इस योजना के अंतर्गत विगत 5 वर्षों में 8 करोड़ 95 लाख किसानों को 74,895 करोड़ रुपये की सहायता दी गई, जबकि वर्ष 2014 से पहले 6 करोड़ 3 लाख किसानों को मात्र 26 हजार 679 करोड़ रुपये की सहायता दी गई थी। वास्तंव में, हमें अपने देश के किसानों के प्रति इस बारे में कृतज्ञ होना चाहिए कि उन्होंेने अपने अथक परिश्रम से देश को खाद्यान्नस के क्षेत्र में आत्मरनिर्भर बनाने का सपना पूरा किया है। कृषि वैज्ञानिकों का भी इसमें महत्वपूर्ण योगदान रहा है।
बात करें ग्रामीण विकास की, तो यह कहने में कोई अतिशयोक्ति नहीं कि सरकार गांव का विकास शहरों की तर्ज पर करने के लिए संकल्प बद्ध है ताकि गांव के व्यीक्ति को शहरों की ओर पलायन करने को मजबूर न होना पड़े। मुझे यह कहने में प्रसन्नाता हो रही है कि वर्ष 2019-20 के लिए ग्रामीण विकास का बजट प्रावधान 1,19,874 करोड़ रुपये निर्धारित किया गया है। इसके अतिरिक्त 26,175 करोड़ रुपये का गैर-बजटीय प्रावधान भी है। इस प्रकार वर्तमान सरकार गांव, गरीब और किसान के कल्यारण के लिए वित्तीतय संसाधनों की कोई कमी नहीं होने देगी। वर्तमान सरकार ने ग्रामीण विकास गतिविधियों पर यूपीए सरकार की तुलना में काफी अधिक राशि खर्च की है। वर्ष 2008-09 से 2013-14 तक यूपीए सरकार ने ग्रामीण विकास योजनाओं के लिए 3,54,524.00 करोड़ रुपये का प्रावधान किया था, जब कि मोदी सरकार ने इस क्षेत्र के लिए वर्ष 2014-15 से 2019-20 तक 6,21,799.26 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है, जो कि 73.47 प्रतिशत अधिक है। वर्तमान सरकार ने प्रधान मंत्री ग्राम सड़क योजना के अंतर्गत 80,250 करोड़ रुपये की लागत से तीसरे चरण में 1.25 लाख किलोमीटर सड़क निर्माण की स्वी कृति प्रदान की है। यूपीए सरकार में प्रतिदिन 75 किलोमीटर सड़क निर्माण हुआ था, जबकि वर्तमान सरकार प्रतिदिन 135 किलोमीटर सड़कों का निर्माण कर रही है। नवीन-प्रौद्योगिकी के उपयोग से 27 हजार किलोमीटर सड़क निर्माण किया गया है। हम सड़कों की गुणवत्ता् पर भी विशेष ध्याेन दे रहे हैं। विभाग में ‘मेरी सड़क’ ऐप से कोई भी व्यसक्ति सड़कों की गुणवत्ताण की जानकारी ले सकता है। इस बारे में अब तक प्राप्त 1,02,078 शिकायतों में से 1,02,031 का संतोषजनक ढंग से निराकरण किया जा चुका है। वास्तिव में, यह ग्रामीण विकास की दिशा में महत्वापूर्ण कदम है।
केन्द्री में श्री मोदी जी के नेतृत्वह में वर्तमान राष्ट्री य जनतांत्रिक गठबंधन सरकार ने महात्माी गांधी राष्ट्री य ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम – मनरेगा को भ्रष्टांचार मुक्तो बनाने के साथ पारदर्शी एवं जनहिकारी बनाने के अनेक प्रयास किए हैं। इस योजना के अंतर्गत 3.62 करोड़ परिसम्पहत्तियों को जियो-टैग कर पब्लिक डोमेन में उपलब्धत कराया जा चुका है। 12 करोड़ से अधिक जॉब कार्ड-धारकों में से 10.50 करोड़ को आधार कार्ड से जोड़ दिया गया है। सात करोड़ कामगारों को आधार-आधामरित भुगतान प्रणाली से जोड़ा गया है। मनरेगा में काम कर रहे 93 प्रतिशत श्रमिकों की मजदूरी अब प्रत्यसक्ष लाभ अंतरण के जरिए सीधे उनके खाते में पहुंच रही है। बिचौलियों की भूमिका समाप्ती कर दी गई है। वर्ष 2018-19 में मनरेगा में 268.08 करोड़ मानव दिवस सृजित किए गए और अब इस योजना में महिलाओं की भागीदारी बढ़कर 53 प्रतिशत हो गई है।
मानव जीवन के लिए तीन मूलभूत आवश्यईकताएं होती हैं – रोटी, कपड़ा और मकान। इसे दृष्टि में रखते हुए लोगों की अपनी छत का सपना पूरा करने की दिशा में प्रधान मंत्री आवास योजना का योगदान अद्वितीय रहा है। इस योजना के अंतर्गत विगत 5 वर्षों में 1 करोड़ 55 लाख आवासों का निर्माण कर लाभार्थियों को सौंपे जा चुके हैं। वर्ष 2022 तक प्रत्येजक व्य क्ति का अपना पक्का मकान हो, प्रधान मंत्री जी के इस संकल्प को पूरा करने की दिशा में सरकार तेजी से कदम बढ़ा रही है। इसके लिए 1.95 करोड़ आवासीय इकाइयों का निर्माण किया जाएगा। इस योजना में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए लाभार्थियों को इलेक्ट्रॉ निक आवास सॉफ्ट-पी.एफ.एम.एस. के माध्य्म से सहायता अंतरित की जाती है। प्रत्ये्क लाभार्थी के बैंक/डाकघर लेखा खातों में निधि अंतरण आदेश (एफ.टी.ओ.) के जरिए निधियों का त्रुटिरहित इलेक्ट्रॉकनिक अंतरण किया जा रहा है।
दीनदयाल उपाध्याटय ग्रामीण कौशल्यत योजना के अंतर्गत लगभग 8 लाख 30 हजार युवाओं को प्रशिक्षित किया गया है। इनमें से 5 लाख 13 हजार युवाओं को रोजगार भी उपलब्धल कराया गया है। इस योजना में राष्ट्रीखय ग्रामीण आजीविका मिशन के अंतर्गत देश भर में 5.40 लाख से अधिक स्वल-सहायता समूह कार्यरत हैं, जिनके माध्यगम से 6 करोड़ महिलाओं को रोजगार मिला है। विगत 6 वर्षों में बैंकों ने इन स्वि-सहायता समूहों को 2.25 लाख करोड़ रुपये के ऋण उपलब्धल कराये हैं। ऋण की सहायता से उन्हेंर निजी रोजगार स्थाापित करनें में बहुत मदद मिली है।
मोदी सरकार का दृढ़ विश्वांस है कि गांव का विकास होगा तभी देश का विकास होगा। गांव, गरीब और किसान के चेहरे पर खुशी आएगी, तभी देश खुशहाल होगा। मुझे पूरा विश्वामस है कि सरकार की प्रतिबद्धता और आम जनता की सक्रिय सहभागिता इसे हकीकत में बदल कर रहेगी।
नरेन्द्र सिंह तोमर
केन्द्रीय मंत्री