पाक की समझदारी

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पाकिस्तान ने आखिरकार अपने हवाई क्षेत्र को भारतीय विमानों के लिए खोल दिया। दरअसल बालाकोट में भारत की एयर स्ट्राइक के बाद उसने 26 फरवरी से यह रोक लग रखी थी। पिछले दिनों पाकिस्तान की तरफ से यह कहा गया था कि भारत जब तक सीमा के नजदीकी अड्डों से अपने फाइटर प्लेन नहीं हटाता, उसका एयर स्पेस भारत के लिए प्रतिबंधित रहेगा। वैसे भारत ने अभी कुछ दिन पहले पाकिस्तान को अपना एयर स्पेस खोलने को कहा था लेकिन तब मना कर दिया गया। अब अपने आप प्रतिबंध हटा लिया गया। क्या यह पाक का सद्भावना संदेश है। या फिर उसकी अपनी मजबूरी। क्योंकि अपना एयर स्पेस बंद करने से बड़ा आर्थिक नुकसान उसे ही हो रहा था, वो उसकी मौजूदा आर्थिक बदहाली को देखते हुए बड़ी हानि है। यही वजह रही कि उसे अपना आर्थिक नुक सान बचाने के लिए अपने क दम पीछे करने पड़े। अनुमान है कि प्रतिबंध के चलते पाकिस्तान को 688 क रोड़ रुपये से ज्यादा का नुकसान हुआ है। हालांकि भारत को भी इसका खामियाजा भुगतना पड़ रहा था।

इस प्रतिबंध की वजह से भारतीय विमानों को यूरोप और अमेरिका के लिए लंबा रास्ता तय करना पड़ रहा था। पाकिस्तानी एयर स्पेस बंद होने के चलते अकेले एयर इंडिया को ही अब तक 499 करोड रुपये का नुकसान हो चुका है। चलिये देर आयद दुरूस्त आयद पाकिस्तान को खुद के आर्थिक हालात की समझ आई। वरना इस जिद में पाकि स्तान ज्यादा नुक सान में रहता। बेशक इस फैसले के पीछे एक पक्ष निश्चित रूप से आर्थिक है लेकिन समय को देखें तो इधर एकाध हफ्ते से पाकिस्तान थोड़ा बदला हुआ भी दिख रहा है, भले ही फौरी तौर पर हो, लेकिन उसके मिजाज में कुछ नरमी तो है। पिछले दिनों करतारपुर कारीडोर को लेकर भी उसका रुख आमतौर पर सकारात्मक ही रहा। भारत की तरफ से रखी मांगे तकरीबन 80 फीसदी मान ली गईं। यह पाकिस्तान के अतीत को देखते हुए आश्चर्यचकि त भी क रता है। पर इसी के साथ दूसरे मामालों में उसका दोहरा रवैया भी साथ-साथ चलता है।

मसलन एफटीए अर्थात आतंकी फंडिंग की निगरानी करने वाली अन्तर्राष्ट्रीय एजेंसी द्वारा काली सूची में डाले जाने से बचने के लिए पाकि स्तान अपने यहां उसी के द्वारा पाले-पोसे गये आतंकी संगठनों पर कार्रवाई भी करता है। आतंकी हाफिज सईद पर पाक सरकार ने पिछले दिनों शिकंजा कसा था। कोर्ट में मामले की इतनी कमजोर पैरवी हुई कि उसे जमानत भी मिल गई। इसके बाद फ र इधर उसके खिलाफ कुछ एफआईआर दर्ज की गई और गिरफ्तारी हुई है तो यह अन्तर्राष्ट्रीय संस्थाओं की आंख में धूल झोंकने के लिए उसकी तरफ से दिखावटी कार्रवाई है। इसके अलावा भारत की तरफ से दूसरे देशों को भी समय-समय पर बताया जाता रहा है कि कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है। उसको छोडक़र अन्य मसलों पर पाकिस्तान से द्विपक्षीय बातचीत ही होगी। किसी तीसरे देश की इसमें भूमिका स्वीकार्य नहीं है। दरअसल पाक की तरफ से जब उसे अन्तर्राष्ट्रीय मंचों पर अपनी बात कहने का मौका मिलता है वो बेसागता कश्मीर का मुद्दा उठा देता है। पाकिस्तान से इतने जटिल रिश्तों के कारण ही उसमें तनिक भी बदलाव अचम्भित करता है और सचेत भी। बेशक पाकिस्तान अभी आर्थिक मोर्चे पर हैरान-परेशान है, लेकिन आगे भी उसका यह गुडविल जेस्चर बरकरार रहेगा, यह नहीं कहा जा सकता।

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