बिना पानी पिए फटाफट निबटाया बजट

0
338

पहले नियमानुसार 28 फरवरी को बजट पेश हुआ करता था। घंटों लग जाते थे। बोलते-बोलते वित्तमंत्री का गला सूखने लगता था। कई-कई बार बीच में पानी पीना पड़ता था। हमारे जैसे ट्रांजिस्टर पर सुनने वाले नमकीन,
चाय, खैनी आदि का प्रबंध करके तसल्ली से बैठते थे। लेकिन मोदी जी ने आते ही ‘सारे घर के बदल डालूंगा’ की तजऱ् पर 2016 से ही बजट का शेड्यूल बदल डाला। जैसे भारत में कोई भी टाइम टी टाइम हो सकता है, ‘स्वच्छ भारत’ के बावजूद कोई भी स्थान शंका-समाधान-स्थल हो सकता है, गैस और डीज़ल पेट्रोल के दाम कभी भी बढ़ सकते हैं, लोक तांत्रिक ज़रूरतों के हिसाब से कोई भी पशु गाय और कोई भी मांस गौमांस हो सकता है, वैसे ही बजट कभी भी पेश किया जा सकता है। टुकड़ों में, एक साथ, जैसे भी स्पष्ट बहुमत वाली सरकार के प्रधान सेवक चाहें। कल शुक्र वार 5 जुलाई 2019 को मोदी सरकार ‘पार्ट टू’ के पहले बजट का दिन था। हालांकि इसका पोस्टर फरवरी में आ चुका था। 5 जुलाई, मेट्रिक के सर्टिफिकेट के हिसाब हमारा अठहत्तरवां जन्म दिन। बजट 11 बजे से शुरू होना था। हमने अपना भविष्य सुबह चाय के साथ ही देख लिया।

लिखा था मंगल बक्री हो रहा है। अमंगल की संभावना है। ऐसे में ‘चाय पर चर्चा’ जैसी छोटी-मोटी बातों के बारे में क्या सोचना? तोताराम भी नहीं आया। वह बजट के बहाने टीवी में अपने ‘अच्छे दिन’ ढूंढ़ रहा होगा। हम भी सचेत और सतर्क होकर बजट में अपने अमंगल की आशंका का पूर्वानुमान जानने के लिए ट्रांजिस्टर से कान चिपकाए हुए थे। बजट बड़ी जल्दी समाप्त हो गया। वित्तमंत्री ने बजट पेश करते समय एक बार भी पानी नहीं पिया। पानी तो हमें पिला दिया। बजट में कहीं नहीं बताया कि हमारे पे कमीशन के 31 महीने के करीब एक लाख रुपए के एरियर का क्या हुआ? मिलेगा भी या नहीं? क्या स्विस बैंक से काला धन आने पर मिलेगा या नीरव मोदी बैंकों का पैसा लौटा देगा? कितनी आमदनी हुई और कितना खर्च, यह भी पता नहीं चला। यह क्या बजट? लगता है कि सेवकों की गोपनीयता की शपथ के तहत या देश की सुरक्षा के नाम पर किसी रक्षा सौदे के बारे में कुछ भी नहीं बताने की तरह या जैसे तोताराम सब्जी और थैला दे देता है, सब कुछ मैना के अनुमान लगाने के लिए। निर्मला जी ने बजट फ़टाफ़ट निबटा दिया। शनिवार को भी तोताराम नहीं आया। हमने सोचा, उसका भी वही हाल है जो जी.एस.टी., और नोटबंदी पर मोदी जी की कैबिनेट का था या चेतन भगत जैसे एमबीए लेखकों का था । तोताराम आज आया। हम तोताराम की आर्थिक क्षमताओं और अर्थशास्त्र की काबिलियत के बारे में जानते हैं।

जैसा हमें समझ में आया, उसे भी वैसा ही समझ में आया होगा लेकिन हम उसकी समझ की पोल खोलें उससे पहले उसी ने हम पर प्रश्न उछाल दिया- कैसा लगा बजट? हमने कहा- बस, सार-सार को ग्रहण कर लिया और थोथा- थोथा उड़ा दिया। बोला- मतलब ? हमने कहा- मतलब यह कि लोग आशा, विश्वास और आकांक्षा से भरे हुए हैं । बोला- तू तो अपनी बात बता। हमने कहा- अष्ट सिद्धि नव निधि योग है। तोताराम आश्चर्यचकित हो र बोला- इस योग का न तो मोदी जी के नामांकन भरने के समय वाले ‘साध्य योग’ में उल्लेख था और न ही 21 जून वाले मोदी जी के अर्धमत्येंद्रासन से इसका कोई संदर्भ जुड़ रहा है। हमने कहा- यह योग कई संयोगों से फलित होगा। इससे हिंदी को सम्मान प्राप्त हुआ- बजट की जगह- बहीखाता। सीतारामन ब्रीफ केस की बजाय बजट लाल कपड़े के लिफाफे नुमा थैले में ले गईं । लाल रंग हनुमान जी का रंग है। सीता और हनुमान का रिश्ता माता और पुत्र का। सीता जी ने हनुमान चालीसा में स्पष्ट कहा है- अष्ट सिद्धि नव निधि के दाता । अस बार दीह्न जानकी माता ।। इसलिए यह बजट अष्ट सिद्धि नव निधि लाने वाला है। सबके लिए क्योंकि हनुमान जी आदिवासी, दलित, क्षत्रिय, सवर्ण आदि सब कुछ। अत: यह बजट सब बजरंग बली वालों के लिए शुभ होगा। अली वालों का पता नहीं। बस, एक कमी है। मोदी जी ने थोड़ा निराश किया। तोताराम जैसे आसमान से गिरा।

रमेश जोशी
(लेखक वरिष्ठ व्यंगकार हैं,ये उनके निजी विचार हैं)

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here