मोदी के दूसरे मंत्रिमंडल के अर्थ

0
211

नरेंद्र मोदी मंत्रिमंडल का गुरूवार का शपथ-समारोह अपने आप में ऐतिहासिक है, क्योंकि यह ऐसा पहला गैर-कांग्रेसी मंत्रिमंडल है, जो अपने पहले पांच साल पूरे करके दूसरे पांच साल पूरे करने की शपथ ले रहा है। पिछले शपथ-समारोह से यह इस अर्थ में भी थोड़ा भिन्न है कि इसमें दक्षेस (सार्क) की बजाय ‘बिम्सटेक’ सदस्य-राष्ट्रों के प्रतिनिधि आए हैं। इसके कारण हमारे तीन पड़ौसी देशों की उपेक्षा हो गई। मालदीव, पाकिस्तान और अफगानिस्तान!

मेरी राय यह थी कि दक्षेस और बिम्सटेक के अलावा अन्य पड़ौसी राष्ट्रों को भी बुलाया जाता तो बेहतर होता। ऐसे पड़ौसी राष्ट्र, जो भारत को महाशक्ति और महासम्पन्न बनाने में विशेष सहायक हो सकते हैं। शपथ-समारोह इतने कम समय में आयोजित हुआ है कि शायद इतने राष्ट्रों को एक साथ बुलाना संभव नहीं था।

खैर, इस नए मंत्रिमंडल के शपथ-समारोह में मुझे यह भी अच्छा लगा कि राजनाथसिंह, अमित शाह और नितिन गडकरी की वरिष्ठता को यथोचित्त रखा गया। इन लोगों के बीच सुषमा स्वराज और अरुण जेटली को बैठा न देखकर मुझे दुख हो रहा है। सुषमा और अरुण, दोनों अपने स्वास्थ्य के कारण बाहर रहने को मजबूर हुए हैं। यह इस नए मंत्रिमंडल के लिए घाटे का सौदा है। स्वर्गीय पर्रिकर और अनंतकुमार की भी याद ताजा हुई।

अमित शाह को मंत्री बनाकर मोदी ने अनौपचारिक उप-प्रधानमंत्री का पद कायम कर दिया है। जैसे अटलजी और आडवाणीजी की जुगल-जोड़ी ने काम किया, उससे भी बेहतर काम नरेंद्र भाई और अमित भाई की यह भाई-भाई जोड़ी काम करेगी। डा. जयशंकर को मंत्री बनाकर मोदी ने अपनी विदेशनीति को नई धार देने की कोशिश की है। जयशंकर चीन और अमेरिका में हमारे राजदूत रह चुके हैं और विदेश सचिव भी रहे हैं। उनके पिता स्वर्गीय के. सुब्रहमण्यम भारत के माने हुए रणनीति-विशेषज्ञ रहे हैं। कुछ पूर्व मुख्यमंत्रियों को भी इस बार मंत्रिमंडल में जोड़ा गया है, इससे केंद्र सरकार को उनके अनुभव का लाभ तो मिलेगा ही, उन-उन प्रांतों में भी भाजपा का जनाधार बढ़ेगा।

इस नए मंत्रिमंडल में कई पुराने मंत्रियों को बरकरार रखा गया है। जाहिर है कि ज्यादातर मंत्रियों ने अपना काम ठीक-ठाक किया है। जैसे कई कांग्रेसी सरकार के मंत्रियों और मुख्यमंत्रियों पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगे थे, वैसे आरोप मोदी मंत्रिमंडल के सदस्यों पर नहीं लगे। आशा है कि मोदी सरकार की इस दूसरी अवधि में भी इस मंत्रिमंडल के सदस्यों का आचरण विवादों के परे रहेगा। इस मंत्रिमंडल में कई नए सदस्यों को भी जोड़ा गया है। इनमें से कुछ भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष रहे सांसद भी मंत्री बने हैं। यह भी भाजपा के जनाधार को बढ़ाने में मदद करेगा।

इस मंत्रिमंडल में महिलाओं और अहिंदी प्रांतों के सांसदों को काफी स्थान मिला है। यह भाजपा के लिए ही नहीं, संपूर्ण भारत के लिए शुभ-संकेत है। देश की जनता को सरकार, नौकरशाही, पुलिस और फौज से ज्यादा जोड़नेवाली ताकत कोई होती है तो वह एक अखिल भारतीय राजनीतिक पार्टी होती है। यह काम जो कांग्रेस करती रही, अब वही भाजपा करती दिखाई पड़ रही है। एक मजबूत पार्टी और मजबूत सरकार भारत को अगले पांच साल में विश्व-स्तरीय शक्ति बना सकती है।

डॉ. वेदप्रताप वैदिक
लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं, ये उनके निजी विचार हैं

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here