..फिर भी सायरा को कई बीमारियां

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खबर है कि सायरा बानो बीमार हैं। उन्हें ब्लड शुगर की अधिकता है और उनका रक्तचाप भी अनियंत्रित है। दरअसल अपने शौहर दिलीप कुमार की लंबे समय तक सेवा करते हुए वे अपनी बीमारियों पर ध्यान ही नहीं दे पाईं। बहरहाल, उन्हें कोई आर्थिक कमी नहीं है। मुंबई के पाली हिल क्षेत्र में दिलीप कुमार का बंगला है व उनके पास संपत्ति भी है। सायरा की मां नसीम भी नायिका रही हैं और उनके पास भी जायदाद रही है।

दिलीप अभिनय के लिए बहुत रकम पाते थे। उनकी जीवन शैली में सादगी रही और किफायत रही है। शम्मी कपूर अभिनीत फिल्म ‘जंगली’ से सायरा ने अभिनय प्रारंभ किया उन्हें ‘पड़ोसन’ में भी पसंद किया गया। दिलीप से निकाह के बाद सायरा ने उनके साथ ही कुछ फिल्मों में अभिनय किया था। राजेंद्र कुमार के साथ ‘झुक गया आसमान’ के अलावा कई फिल्मों में भी उन्होंने काम किया।

मुंबई के श्रेष्ठि वर्ग के क्षेत्र पाली हिल में नरगिस और सुनील दत्त का बंगला, सायरा बानो के घर के निकट था। पड़ोसी फरीदा जलाल के सगे भाई खालिद समी के दिलीप कुमार और सायरा से अच्छे संबंध रहे। खालिद से ही ज्ञात हुआ है कि सायरा बीमार हैं। सायरा ने ‘शागिर्द’ के अलावा राज कपूर के साथ ‘दीवाना’ में भी अभिनय किया था। अपने दौर के नामी सितारों के साथ उन्होंने काम किया है। सायरा को अपनी सेहत का इतना ख्याल था कि वे उस दौर में भी फिल्टर वॉटर पीती थीं। मां नसीम बानो ने सायरा को स्विट्जरलैंड पढ़ने के लिए भेजा।

सायरा के जीवन में अनेक परिवर्तन हुए। कहां तो उनके लिए पानी उबालने के बाद ठंडा करके फिल्टर किया जाता था और कहां उन्होंने शौहर की बीमारी में उनकी खिदमत करते हुए अपनी नफासत का भी त्याग कर दिया था। दिलीप की याददाश्त दशकों तक गुम रही और वे सायरा से अपरिचितों की तरह व्यवहार भी करते रहे।

दिलीप से जुड़े तमाम विवादों पर सायरा उनका बचाव करती रहीं। एक बार दिलीप पाकिस्तान आमंत्रित किए गए, वहां उन्हें सम्मान भी दिया गया, बड़ी हाय तौबा मची, जबकि वही सम्मान कुछ वर्ष पूर्व मोरारजी देसाई को भी दिया गया था। गौरतलब है कि पाकिस्तान में ही मिल्खा सिंह को फ्लाइंग सिख भी कहा गया था। अत: हमारे दोहरे सामाजिक मानदंडों का खामियाजा बहुत लोगों ने भुगता और आज भी भुगत रहे हैं।

ज्ञातव्य है कि सायरा बानो के अपने बेबुनियाद शक और दुविधाएं भी रही हैं। मसलन, सायरा को शक था कि उनके शौहर को कोई जहर देना चाहता है। फिल्म शूटिंग के लिए दो बार वे इंदौर भी आए और मांडू में उन्होंने शूटिंग की थी। उन्हें इंदौर की बालूशाही बहुत पसंद थी। सलीम खान की लिखी ‘शक्ति’ में भी उन्होंने अभिनय किया।

इंदौर में जन्में सलीम खान अग्रवाल मिठाई दुकान की बनी बालूशाही दिलीप कुमार के घर ले जाते थे। एक बार सलीम साहब को पता चला कि सायरा अपने शक के कारण दिलीप के लिए लाए गए व्यंजन कचरे में फेंक देती हैं। यह काम भी अपने शौहर की सुरक्षा के अपने फितूर के कारण वे करती रहीं। गोया कि हमारे सारे भरम हमारा मन ही रचता है।

शैलेंद्र रचित गीत सायरा बानो की विचार शैली पर खूब जमता है कि ‘तू ये माने के न माने लोग मानेंगे जरूर, ये मेरा दीवानापन है या मोहब्बत का सुरूर तू न पहचाने तो है ये तेरी नजरों का कुसूर।’ बहरहाल, सायरा अपनी विविध बीमारियों से जूझ रही हैं। क्या यह जंग उनकी अपनी अंतिम और निर्णायक लड़ाई है या अभी कई मुकाम आएंगे, जो उन्हें आजमाएंगे।

ज्ञातव्य है कि बिमल रॉय की सबसे अधिक धन कमाने वाली फिल्म ‘मधुमति’ जन्म-जन्मांतर की प्रेम कथा है, जिसमें एक जन्म में बिछड़े प्रेमी दूसरे जन्म में मिलते हैं। क्या इसी तर्ज पर कभी दिलीप व सायरा बानो भी मिलेंगे? अगर नए जन्म में दिलीप तथा सायरा की भूमिकाओं में उलटफेर हो तो शेक्सपियर के नाटक की तरह पात्र पोर्शिया पुरुष भेष में अपने प्रेमी का मुकदमा लड़ेगी और मधुबाला गवाह कक्ष में खड़ी रहेगी?

जयप्रकाश चौकसे
(लेखक फिल्म समीक्षक हैं ये उनके निजी विचार हैं)

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