महाराष्ट्र से लेकर केंद्र की राजनीति में बरसों तक चोली-दामन का साथ निभाने वाली बीजेपी और शिव सेना की दुश्मनी यहां तक आ पहुंचेगी, इसका अंदाजा राजनीतिक पंडितों ने भी शायद ही लगाया हो. केंद्रीय मंत्री नारायण राणे के एक बयान से भड़की शिव सेना सरकार ने उन्हें गिरफ्तार करके महाराष्ट्र से लेकर दिल्ली तक की सियासत में ऐसा भूचाल ला दिया है, जिसके अंजाम के बारे में कोई नहीं जानता. लेकिन इतना तय है कि इस घटना के बाद बदले की राजनीति और तेज होगी और आखिरकार इसका खामियाजा राज्य की महा अघाड़ी सरकार को भुगतने के लिए तैयार रहना होगा.
महज 16 बरस की उम्र में शिव सैनिक बनकर बाला साहेब ठाकरे के आशीर्वाद से महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बनने वाले राणे की बड़ी गलती यही है कि उन्हें मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के लिए “कान के नीचे थप्पड़ लगाने” जैसी भाषा का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए था. हो सकता है कि उन्होंने भावावेश में ही इन शब्दों का प्रयोग किया हो लेकिन पुराने शिव सैनिक होने के नाते उन्हें इतना अहसास तो होगा ही कि इससे शिव सेना किस हद तक भड़क सकती है, जो अपना गुस्सा हिंसा के जरिये निकालने के लिये मशहूर है. राजनीति में विचारधारा के स्तर पर एक-दूसरे के खिलाफ चाहे जितनी दुश्मनी हो लेकिन एक सुलझा हुआ चतुर राजनीतिज्ञ सार्वजनिक रूप से भाषण देते समय अक्सर अपने विरोधियों के लिए संयमित भाषा का ही इस्तेमाल करता है. लिहाज़ा राणे की गिरफ्तारी की तीखी आलोचना करने के बावजूद महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने बिल्कुल सही कहा है कि राणे को बोलते समय थोड़ा संयम बरतना चाहिए था.
हालांकि महाराष्ट्र की सियासत को नजदीक से जानने वाले बताते हैं कि राणे और उद्धव ठाकरे की अदावत पुरानी है, लेकिन उसका सार्वजनिक रूप लोगों को अब देखने को मिला है. शिव सेना में जब उद्धव ठाकरे का उभार होना शुरू हुआ, तभी से राणे की उनसे खुन्नस शुरू हो गई थी. वे ये कतई नहीं चाहते थे कि बाल ठाकरे के बाद उन्हें उद्धव की भी जी-हुजूरी करने के लिए मजबूर होना पड़े. कहते हैं कि तब नाराजगी इतनी ज्यादा बढ़ गई कि राणे ने शिव सेना छोड़कर कांग्रेस का दामन थाम लिया था.
लेकिन ये बेहद दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है कि एक केंद्रीय मंत्री की गलती का नतीजा आज महाराष्ट्र की आम जनता को भुगतने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है. पूरे राज्य के दो दर्जन से ज्यादा शहरों में शिव सैनिकों ने उग्र प्रदर्शन करते हुए बीजेपी के दफ्तरों में प्रदर्शन किए हैं. मुंबई के जुहू इलाके में राणे के घर के बाहर भी बवाल हुआ है और कई इलाकों में राणे की तस्वीर के साथ ‘मुर्गी चोर’ लिखे पोस्टर चस्पा कर दिए गए हैं. दरअसल, सक्रिय राजनीति में आने और कॉरपोरेटर का चुनाव लड़ने से पहले तक राणे की चिकन शॉप हुआ करती थी, लिहाज़ा शिव सेना ने अब गड़े मुर्दे उखाड़ना शुरू कर दिए हैं.
वैसे महाराष्ट्र के राजनीतिक इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है, जब महज एक बयान के कारण किसी केंद्रीय मंत्री को गिरफ़्तार किया गया है. उनकी गिरफ्तारी सही है या असंवैधानिक है, इसका फैसला तो अदालत करेगी, लेकिन बड़ा सवाल ये है कि राज्य सरकार के इस एक्शन पर बीजेपी कार्यकर्ताओं की तरफ से जो रिएक्शन होगा, उसे कैसे काबू किया जायेगा. इसकी आशंका इसलिये है कि गिरफ्तार होने की खबरों के बीच ही उनके बेटे नीतीश राणे ने सोशल मीडिया में लिखा, ‘खबर है कि युवा सेना के सदस्यों को हमारे जूहू आवास के बाहर इकट्ठा होने को कहा गया है. या तो मुंबई पुलिस उन्हें वहां जाने से रोके या फिर जो कुछ भी वहां होता है वह हमारी जिम्मेदारी नहीं होगी. शेर की मांद में जाने की हिम्मत न करो, हम इंतजार कर रहे होंगे’ चेतावनी इशारा करती है कि महाराष्ट्र की सियासत में लगी आग इतनी जल्दी बुझने वाली नहीं है. मुंबई और दिल्ली के बीच शुरू हुई नफरत की ये सियासत अब बदले का एक बड़ा रूप ले सकती है.
नरेंद्र भल्ला
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं ये उनके निजी विचार हैं)