योग हमारा दर्पण है, जो दिखाता है आप हैं क्या ?

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थोड़ा इस बात पर विचार कीजिए कि आप किस तरह से जी रहे हैं। मतलब जैसे हैं, वैसे जी रहे हैं या दूसरों को देखकर उनकी नकल करके अपना जीना तय कर रहे हैं। हम लोगों की एक कमजोरी होती है कि पहले बाहर देखते हैं। कोई धनवान-पैसे वाला दिखे तो अपने आपको वैसा बनाने की कल्पना में लग जाते हैं। किसी बहुत पावरफुल व्यक्ति को देखकर हमारे भीतर भी रुतबा पाने की इच्छा अंगड़ाई लेने लगती है। फिर वो ही करने लगते हैं, जो वह कर रहा है। हममें से कई लोग ऐसे हैं जिन्होंने इस दौर में बहुत कुछ खो दिया। दुख कई शलों में आया। ऐसे में हम दूसरे जो अच्छे रह गए, जो समर्थ दिख रहे हैं, उनके जैसा बनने की कोशिश करने लगते हैं। यहीं से अशांति बढऩे लगती है। तो बुनियादी रूप से जो और जैसे हैं, वैसे ही जीने का प्रयास करें। यह भगवान का चमत्कार ही है कि दुनिया में जितने लोग हैं, सब अलग-अलग हैं और हर एक अपने जैसा है। एक-दूसरे जैसा परमात्मा ने किसी को बनाया ही नहीं।

लेकिन, ‘हम सबसे अलग हैं’ यह जानने की कोशिश न करके दूसरों जैसा होना चाहते हैं। अपने आप में ईश्वर की समूची कृति हैं हम। सारा श्रेष्ठ हमारे भीतर डाल रखा है उसने। तो इस कठिन दौर में थोड़ा समय अपने आपको जानने के लिए निकालिए। इसका सरल तरीका है योग। योग वह दर्पण है, जो दिखाता है आप हैं या। शांत रहो: दुनिया में कोई काम कठिन नहीं होता। हमारी नासमझी के कारण वह कठिन लगने लगता है, या हम अपनी आदतों से उसे कठिन बना लेते हैं। चूंकि कोरोना के बाद बहुत कुछ बदला-बदला है, तो कई लोगों को ऐसा लग रहा है कि लाइफ टफ हो गई, अब फिर से वैसा ही सबकुछ मिलना मुश्किल है।

लेकिन, यह भी गलतफहमी है। ध्यान रखिएगा, यदि काम को सरलता से करेंगे तो वह सरल हो जाएगा। इसलिए इस बदले हुए दौर में आदत बनाइए हर काम शांति से, सरलता से करेंगे। शांति प्राप्त कर लेना किसी के लिए नामुमकिन नहीं है। कई लोगों को लगता है अब शांत होना बड़ा कठिन हो गया है। हां, पैसा-सुविधाएं मिल जाएं तो शांत हो जाएंगे। ऐसा नहीं है। अमीर लोग शांत भी हों, यह जरूरी नहीं। शांति प्राप्त करना इतना सरल है कि चाहे तो दुनिया का हर इंसान आसानी से प्राप्त कर सकता है। बस, मुद्दा यह है कि उसकी तैयारी कैसे की जाए। इसके लिए सिर्फ अपने भीतर मुडऩे की तैयारी करना है। जैसे पानी उबलकर भाप बन जाता है, एक कली फूल बन जाती है, जैसे चिडिय़ा पंख फैलाकर उड़ जाती है। ये सब सहज और सरल क्रियाएं हैं, जो होती ही हैं। ठीक ऐसा ही शांति को प्राप्त करना है। इस समय हम सबका पहला प्रयास होना चाहिए स्वस्थ रहना।

प. विजयशंकर मेहता
(लेखक आध्यात्मिक गुरु हैं ये उनके निजी विचार हैं)

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