वाराणसी के घाटों पर श्रृद्धालुओं ने भगवान भास्कर से की कोरोना मुक्ति की कामना, दशाश्वमेध, अहिल्याबाई, दरभंगा, राजघाट, तुलसीघाट, अस्सी समेत सभी घाटों पर श्रद्धालु स्न्नान करने पहुंचे
मकर संक्रांति के महापर्व पर गुरुवार को काशी के गंगा घाटों पर सुबह से ही स्नान के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमडऩे लगी। सभी के मन मे यही कामना की मां गंगा और भगवान भास्कर कोरोना महामारी से मुक्ति दिलाये। ज्योतिष विभाग के जानकारों की माने तो इस वर्ष आंदोलन, प्रदर्शन, भ्रष्टाचार बढ़ेगा। साथ ही कुछ बड़े नेता साा से बाहर भी हो सकते है। गुरुवार को संक्रांति का पर्व प्रात: 8.18 बजे से आरंभ हो कर सायं काल पर्यत मनाया जाएगा। सूर्य जब धनु राशि को छोड़कर मकर राशि में प्रवेश करता है, तो मकर संक्रांति होती है। ज्योतिष विभाग के अध्यक्ष प्रो विनय कुमार पांडेय ने बताया ग्रंथों में बताया गया है, कि जब सूर्य का राशि बदलता है उस समय संक्रांति वाली कुंडली बनाई जाती है। जिससे अगले 30 दिनों का राजनैतिक, सामाजिक और आर्थिक भविष्य फल निकाला जा सकता है। इस बार सूर्य के राशि बदलते ही मकर राशि में सूर्य के साथ चंद्रमा, बुध, गुरु और शनि होने से पंचग्रही योग बना। ग्रहों की यह युति बड़े राजनीतिक और सामाजिक बदलाव लाने का ज्योतिषीय संकेत दे रही है। भारत में 15 फरवरी तक आंदोलन के बढऩे के आसार: 15फरवरी तक देश में असामाजिकता बढ़ सकती है। अन्य देशों से भारत के संबंध मजबूत होंगे। देश में अनाज भंडारण भी बढ़ेगा। धार्मिक क्षेत्र, न्याय क्षेत्रों में अति संघर्ष, असन्तोष और आन्दोलन प्रदर्शन होंगे। भ्रष्टाचार की वृद्धि और कुछ नेताओं को साा से बाहर किया जायेगा। वही बलिया से स्नान करने आये सोहन राजेश्वरी ने बताया महामारी से जल्दी मुक्ति की कामना है।