अक्ल हर काम को जुल्म बना देती है

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अबू धाबी में खेले जा रहे आईपीएल तमाशे में नया तड़का यह लगा है कि सुनील गावस्कर ने कोहली द्वारा छोड़े गए कैच की विराट संख्या उजागर कर दी। विराट की पत्नी अनुष्का शर्मा ने इस पर आपत्ति उठाई और अपना नाम इसमें खींचे जाने पर सख्त ऐतराज जताया। सनी गावस्कर द्वारा स्पष्टीकरण देने के बाद चाय की प्याली में उठा तूफान थम सा गया है, लेकिन जीवन के मूल मुद्दों पर बात नहीं की जाने वाले इस दौर में बासी कढ़ी में भी उबाल आता रहता है। सुनील गावस्कर ने कहा कि लॉकडाउन से समय विराट ने संभवत: अनुष्का शर्मा की गेंजबाजी पर अभ्यास किया है। ज्ञातव्य है कि सुनील गावस्कर के दौर में वेस्ले हॉल, ग्रीफिथ और डेविडसन जैसे तेज गेंदबाज तीव्र गति से गेंदबाजी करते थे और सुनील गावस्कर ने कभी हेलमेट नहीं पहना। सुनील गावस्कर ने ही कोहनी पर लगाया जाने वाला सुरक्षा कवच बनाया था। उन दिनों के तेज गेंदबाजों की तुलना में वर्तमान तेज गेंदबाज, फिरकी गेंदबाज के समान लगते हैं। सचिन तेंदुलकर के आगमन के समय इम्तियाज अली और वकार की तरह के गेंदबाज सक्रिय थे। एक तरह से सचिन तेंदुलकर का यज्ञोपवीत संस्कार आग उगलने वाले गेंदबाजों द्वारा किया गया। रिलायंस फिल्म कंपनी की कबीर द्वारा निर्देशित फिल्म ‘83’ इस साल 25 दिसंबर को प्रदर्शित हो सकती है।

सब कुछ कोरोना पर निर्भर करता है। सार्वजनिक प्रदर्शन के पूर्व कुछ लोगों ने फिल्म देखी है। उनका कहना है कि फिल्म सिनेमाघरों में भीड़ जुटाएगी। कबीर की ही सलमान खान अभिनीत ‘बजरंगी भाईजान’ से अधिक मुनाफा कमाएगी। ज्ञातव्य है कि 1983 में आयोजित विश्वकप कपिल देव की कप्तानी वाली टीम ने जीता था। इस प्रतियोगिता के एक लीग मैच के समय भारत हार की कगार पर था। कपिल देव ने ताबड़तोड़ 175 रन बनाकर पासा पलट दिया। वेस्ट इंडीज की धाकड़ टीम को पराजित किया। मोहिंदर अमरनाथ की मध्यम तेज गति की स्विंग गेंदों ने वेस्ट इंडीज के बल्लेबाजों को थका दिया। इस मैच में कपिल देव ने बहुत बड़ी दूरी तय करके एक कठिन कैच लपक लिया था। ऋषि कपूर, अनुष्का शर्मा और अक्षय कुमार अभिनीत फिल्म ‘पटियाला हाउस’ अत्यंत रोचक क्रिकेट प्रेरित फिल्म थी। फिल्म में ऋषि कपूर इंग्लैंड में बसे अत्यंत धनवान व्यक्ति हैं। उन्हें यह खब्त है कि उनका पुत्र इंग्लैंड के लिए क्रिकेट नहीं खेले। उनका स्वदेश प्रेम कुछ अजीब है कि जिस देश ने उन्हें रोजीरोटी और सम्मान दिया, उसी देश के लिए उनका पुत्र नहीं खेले। देश प्रेम हर कालखंड में अलग-अलग रूप में उजागर हुआ है। यह गौरतलब है कि वर्तमान में देशद्रोह के आरोप में अनेक लोग जेल में बंद हैं। उन्हें कभी अदालत में प्रस्तुत नहीं किया जा रहा है।

ज्ञातव्य है कि सुनील गावस्कर की आत्मकथा ‘सनी डेज’ बहुत प्रशंसित किताब है। अनुष्का शर्मा ने ‘बैंड-बाजा-बारात’ से अभिनय जगत में प्रवेश किया था। उनकी फिल्म ‘एनएच-10’ मील का पत्थर है। इसके अलावा उन्होंने एक हॉरर फिल्म ‘परी’ का भी निर्माण किया है। अपने-अपने कार्यक्षेत्र में श्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले सुनील गावस्कर और अनुष्का शर्मा आज एक-दूसरे के विरुद्ध खड़े हैं। सोशल मीडिया को ईंधन मिल रहा है। अवाम चटखारे लेकर मजे ले रहा है। देश में अफसानों का दौर चल रहा है और आर्थिक विषमता, बेरोजगारी इत्यादि गंभीर समस्याओं पर कोई बात नहीं करना चाहता। आईपीएल तमाशा खत्म होते ही टीवी पर अमिताभ बच्चन संचालित ‘कौन बनेगा करोड़पति’ प्रारंभ हो जाएगा। टीवी पर सारे फॉर्मेट आयात किए हुए हैं। हमने अभी तक अपना कोई स्वदेशी कार्यक्रम नहीं बनाया है। इस तरह के हर कार्यक्रम पर हम विदेशों को रॉयल्टी चुका रहे हैं। मौलिकता अभिष्ट नहीं है। जब नकल से काम चल रहा है तब अक्ल का इस्तेमाल क्यों करें। इस विषय पर एक शेर है- अक्ल हर काम को जुल्म बना देती है, बेसबब सोचना, वेसूद पशींया होना। क्या अवाम ये ढर्रा छोड़ेगा: तिलिस्मी, जादुई घटनाओं वाली फिल्म ‘अलिफ लैला’ होमी वाडिया ने 1954 में बनाई थी।

1980 में धर्मेंद्र और जीनत अमान अभिनीत ‘अली बाबा 40 चोर’ निर्माता एफ.सी मेहरा ने रूसी फिल्म विभाग के सहयोग से बनाई थी। फ्रेंच और अंग्रेजी भाषाओं में भी अली बाबा प्रेरित फिल्में बनी हैं। अली बाबा एक लकड़हारा है और जंगल में काम करता है। उस दौर में 40 चोर का एक चोरों का गिरोह था जो अपना चोरी का माल एक गुफा में छुपाकर रखता था । गुफा द्वार पर जलप्रपात का पानी भी गुफा छुपाने में मदद करता था। लकड़हारे अली बाबा को इोफ़ाक से गुफा का और इस बात का पता चला कि ‘खुल जा सिम सिम’ बोलने से गुफा द्वार खुलता है। वह कभी-कभी गुफा में प्रवेश करता था। गुफा में हीरे-मोती और सोने के सिक्कों का अंबार लगा था। अली बाबा ने कभी कुछ चुराया नहीं। उसने चीजों को उलट-पुलट कर देखा। चीन ने कुछ भारतीय कंपनियों में पूंजी निवेश किया है और सुलगती सरहदों के चलते भी चीन ने अपनी पूंजी वापस नहीं ली है। अली बाबा ई-कॉमर्स संसार की बड़ी हैसियत मानी जाती है।

‘समरथ को नहीं दोष गुसाईं, हमेशा चरितार्थ होता रहता है’। आश्चर्य की बात यह है कि ‘प्यासा’ और ‘कागज के फूल’ जैसी गंभीर फिल्में बनाने वाले गुरुदा ने भी ‘अलीबाबा और 40 चोर’ नामक फिल्म बनाने की तैयारी की थी। राज कपूर ने सहर्ष ‘अली बाबा’ की भूमिका अभिनीत करने के लिए सहमति दे दी थी। उन दिनों गुरुदा और राज कपूर टेनिस खेलने जाते थे। दोनों ही प्रेमल ह्रदय व्यक्ति थे और संभवत उन्हें टेनिस खेल का स्कोर मन भाया। खेल का प्रारंभ होता है लव-ऑल स्कोर से। बहरहाल जाने किस कारण गुरुदा ने आत्महत्या कर ली। उन दिनों मीडिया में इस पर वैसा बवाल नहीं उठा जैसा आज एक कलाकार की आत्महत्या पर मच रहा है। उन दिनों मीडिया राष्ट्रीय मुद्दों पर अधिक ध्यान देता था। आज बेरोजग़ारी, कोरोना वायरस व गिरती जीडीपी पर कोई विचार नहीं हो रहा है। आज कौन अली बाबा और कौन चोर है कोई जानना ही नहीं चाहता! ‘खुल जा सिम सिम’ से अधिक रमा हुआ है ‘सो जा सिम सिम सो जा सिम सिम में’। क्या अवाम कभी अपनी कुंभकरणी प्रवृात्ति छोड़ पाएगा?

जयप्रकाश चौखसे
(लेखक फिल्म समीक्षक हैं ये उनके निजी विचार हैं)

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