भारत में कोरोना वायरस की हालत पतली होती दिख रही है। दुनिया के बाकी देशों के मुकाबले, भारत में कोरोना की न सिर्फ रफ्तार धीमी रही है। बल्कि बीमारी से उबरने वालों की संख्या भी ज्यादा है। देश का रिकवरी रेट इस वत 75.77 प्रतिशत है जो कि अमेरिका, ब्राजील, रूस जैसे देशों से कहीं बेहतर है। आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, देश में कोरोना के 4.25 लाख मामलों में से 2.37 लाख से ज्यादा रिकवर हो चुके हैं। इसके अलावा, आबादी के लिहाज से भी कोरोना को काबू करने में भारत ने अच्छा प्रदर्शन किया है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन की एक रिपोर्ट का हवाला दिया है।
इसके मुताबिक, भारत अपने उच्च जनसंख्या घनत्व के बावजूद प्रति लाख आबादी पर सबसे कम कोरोना केसेज देशों की सूची में शामिल है। भारत में प्रति एक लाख आबादी पर 30.04 मामले हैं जबकि ग्लोबल एवरेज इसके तीन गुने से भी ज्यादा, 114.67 है। किसी देश में कोरोना का रिकवरी रेट ठीक हो चुके मरीजों के मुकाबले वहां कुल मरीजों की संख्या का अनुपात है। मान लीजिए किसी देश में 100 मामले सामने आए हैं जिनमें से 40 रिकवर हो चुके हैं तो उस देश का रिकवरी रेट 40 पर्सेंट होगा। रिकवरी रेट से किसी देश में कोरोना के हालात की भयावहता का अंदाजा मिलता है। जैसे-इटली, स्पेन और अमेरिका में एक वत रिकवरी रेट बेहद कम था और बड़ी संख्या में लोगों की मौत हो रही थी। साथ ही नए मामले भी सामने आते जा रहे थे।
भारत में ऐसा नहीं है। यहां अगर नए केसेज सामने आ रहे हैं तो रोज उससे ‘यादा मरीज ठीक हो रहे हैं। देश की राजधानी जो अभी तक कोरोना केसेज के बोझ तली दबी थी, वहां से अच्छी खबर आई है। पहली बार दिल्ली में ठीक हो चुके कोरोना पेशंट, ऐटिव मरीजों से ज्यादा हो गए हैं। पिछले चार दिन में दिल्ली के रिकवरी रेट में 18 पर्सेंट का उछाल देखने को मिला है। पिछले चार महीने में जितने मरीज ठीक नहीं हुए, लगभग उतने मरीज चार दिनों में रिकवर होकर अपने घर पहुंच गए हैं। फिलहाल दिल्ली का रिकवरी रेट 55.25 पर्सेंट है। पूरी दुनिया में कोरोना से सबसे ज्यादा प्रभावित देशों को देखें तो जर्मनी का रिकवरी रेट सबसे बेहतर है।