अमेरिका का सबसे विवादित चुनाव!

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अमेरिका अपने इतिहास के सबसे विवादित चुनाव के मुहाने पर खड़ा है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने राष्ट्रपति चुनाव को एक ऐसे तमाशे में बदल दिया है, जिसके अंत नतीजे को लेकर अभी से संदेह होने लगा है। ऐसा नहीं है कि अमेरिकी चुनाव में पहले विवाद नहीं हुए हैं। इस सदी की शुरुआत ही सन 2000 के विवादित चुनाव से हुई थी जब डेमोक्रेटिक पार्टी के उम्मीदवार अल गोर ने रिपब्लिकन उम्मीदवार जॉर्ज बुश को जीत की बधाई दी थी लेकिन बाद में फ्लोरिडा स्टेट का चुनाव अटक गया और अल गोर ने अपनी बधाई वापस ले ली थी। गोर पॉपुलर वोट में जीत गए थे परंतु इलेक्टोरल कॉलेज के वोट में वे हार गए। इसमें जॉर्ज बुश के भाई और फ्लोरिडा के उस समय के गवर्नर जेब बुश की धांधलियों का बड़ा हाथ रहा। बहरहाल, वह मामला सुप्रीम कोर्ट में जाकर निपटा।

उससे पहले भी अमेरिकी चुनाव में विवाद हुए थे, परंतु चुनाव प्रचार के दौरान ही ऐसी बातें पहले कभी नहीं हुई थीं, जिनसे नतीजों को लेकर संदेह पैदा हो जाए। इस बार ऐसा लग रहा है कि चुनाव तो ऐतिहासिक विवाद वाला होगा ही, इसके नतीजे भी विवादित होंगे और इस वजह से दुनिया के सबसे जीवंत लोकतंत्र वाले इस देश में सत्ता हस्तांतरण भी आसानी से नहीं होने वाला है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिकी चुनाव से जुड़ी हर हस्ती और हर संस्था की साख पर हमला किया है, उसकी निष्पक्षता पर सवाल उठाया है, उसकी योग्यता व क्षमता को कठघरे में खड़ा किया है, मतदाताओं के विवेक को चुनौती दी है और मतदान प्रक्रिया को अपने कार्यकारी आदेश से प्रभावित करने का प्रयास किया है।

पिछले चुनाव में यह बात सामने आई थी कि रूस ने अमेरिकी चुनाव को प्रभावित किया है। चुनाव के बाद इस पर कई किस्म की जांच हुई और यह साबित भी हुआ कि तकनीक और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल करके मतदाताओं की मानसिकता को खास तरीके से प्रभावित किया गया। इस बार चुनाव से पहले ही राष्ट्रपति ट्रंप और उनके प्रशासन से जुड़े उच्च अधिकारी इस किस्म की बातें करने लगे हैं। बुश प्रशासन के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने कहा है कि चीन ने चुनाव को प्रभावित करने की बड़ी तैयारी की है। उन्होंने इशारों में रूस और ईरान को भी इसमें शामिल बताया है।

सोचें, दुनिया की एकमात्र महाशक्ति देश का राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार इस किस्म की बातें कर रहा है। इन बातों का इसके सिवाय और कोई मकसद नहीं है कि चुनाव नतीजों को पहले से विवादित बनाया जाए। इस किस्म के प्रचार से ट्रंप और उनके सहयोगी अभी से अमेरिकी नागरिकों के मन में यह संदेह पैदा कर रहे हैं कि दुनिया की दूसरी ताकतें खास कर चीन और रूस चुनाव नतीजों को प्रभावित करने की कोशिश कर रहे हैं। इसी बात को स्थापित करने के लिए ट्रंप बार बार डेमोक्रेटिक पार्टी के उम्मीदवार जो बाइडेन को चीन का आदमी बता रहे हैं।

अमेरिका में कोरोना वायरस के संक्रमण ने ट्रंप को यह मौका दिया है कि वे चुनाव की पूरी प्रक्रिया को विवादित बना दें। कोरोना संक्रमण की वजह से इस बार वोटिंग के लिए पोलिंग बूथ कम बनने की संभावना है। ध्यान रहे अमेरिका में भारत की तरह चुनाव आयोग हर नागरिक के लिए बूथ बनवा कर, सरकारी कर्मचारियों की ड्यूटी लगा कर उनसे वोट नहीं डलवाता है। वहां लोग वालंटियर करते हैं। मतदान केंद्रों पर आम लोग स्वेच्छा से जाकर काम करते हैं और लोग वहां वोट डालते हैं। इस बार कोरोना के कारण कम लोग वालंटियर कर रहे हैं, उनको संक्रमित होने का डर है तो दूसरी ओर बड़ी संख्या में ऐसे लोग हैं, जिनको लग रहा है कि कम मतदान केंद्र होने से लंबी लाइन लगेगी और वहां जाकर वोट डालना मतलब कोरोना को न्योता देना है। इस वजह से ज्यादा से ज्यादा लोग मेल इन बैलेट यानी पोस्टल बैलेट से वोटिंग के विकल्प को चुन रहे हैं।

इस वजह से अमेरिका में एक नया संकट खड़ा हुआ है। ज्यादा पोस्टल बैलेट हैंडल करने के लिए पोस्टल विभाग को अतिरिक्त भरती करने की जरूरत थी। साथ ही बुनियादी संरचना पर भी खर्च करना था, लेकिन ट्रंप ने अतिरिक्त धन देने से मना कर दिया। अमेरिकी पोस्टल सेवा की इमरजेंसी जरूरतों के लिए 25 अरब डॉलर देना था या राज्यों को चुनावी काम की जरूरतों के लिए साढ़े तीन अरब डॉलर देने थे। कोरोना राहत पैकेज में ही इसे शामिल करना था और डेमोक्रेटिक पार्टी ने इसके लिए पर्याप्त दबाव भी बनाया परंतु ट्रंप ने पैसे नहीं दिए। इसका नतीजा यह हुआ है कि बड़ी संख्या में लोगों के पोस्टल बैलेट को इकट्ठा करना और गिनती के लिए समय पर पहुंचा पाना मुश्किल हो गया है। कई जगहों पर चुनाव की तारीख से दो दिन पहले तक मेल इन वोटिंग की इजाजत है। इसकी वजह से बहुत से पोस्टल वोट समय से गिनती के लिए नहीं पहुंच पाएंगे और अवैध हो जाएंगे।

पिछली बार इसी वजह से छह लाख वोट अवैध हो गए थे, जो गिने जाते तो नतीजे अलग हो सकते थे। जो पोस्टल बैलेट पहुंच जाएंगे, उनकी गिनती में बहुत समय लगेगा। ऊपर से ट्रंप ने अभी से पोस्टल बैलेट से वोटिंग पर अविश्वास जताते हुए बार बार कहा है कि डेमोक्रेट्स इसमें गड़बडी कर रहे हैं। उन्होंने अपने आरोपों को और दम देने के लिए कई राज्यों में अपने समर्थकों से कहा है कि वे दो बार वोट डालें। एक बार पोस्टल बैलेट से और दूसरी बार मतदान केंद्र पर जाकर। इसके जरिए वे चुनाव की पूरी प्रक्रिया को अविश्वसनीय और विवादित बनाने का प्रयास कर रहे हैं।

चुनाव हारने की चिंता में ट्रंप बार बार कह रहे हैं कि मतदान डिसरप्ट हो सकता है यानी मतदान में गड़बड़ी हो सकती है। जैसे जैसे देश का मूड उनके खिलाफ हो रहा है और सर्वेक्षणों में वे पिछड़ रहे हैं वैसे वैसे इस बात का अंदेशा बढ़ता जा रहा है कि वे अपने समर्थन वाले राज्यों में खास कर फ्लोरिडा आदि में जान बूझकर गड़बड़ी करा सकते हैं ताकि चुनाव प्रक्रिया बाधित हो और लोगों का अविश्वास बढ़े। ट्रंप प्रशासन के पोस्टमास्टर जनरल लुईस डिजॉय को लेकर भी संदेह जताया जा रहा है। माना जा रहा है कि वे पोस्टल बैलेट की वोटिंग प्रक्रिया को सफल नहीं होने देना चाहते। सो, लोगों से अपने आसपास के पोस्ट बॉक्स की निगरानी के लिए भी कहा जा रहा है।

अमेरिकी बुद्धिजीवी और सामाजिक कार्यकर्ता लोगों से अपील कर रहे हैं कि मतदान प्रक्रिया में ज्यादा से ज्यादा लोग वालंटियर करें, मतदान केंद्र बनाने में मदद करें, उसे डिसइन्फेक्ट करने में मदद करें, लोगों को भरोसा दिलाएं कि मतदान केंद्र पर जाकर मतदान करना सुरक्षित है। लोगों से अपील की जा रही है कि वे किसी भी हाल में मतदान केंद्रों पर पहुंच कर वोट करें। अमेरिका के लोग इस बात को लेकर चिंतित हैं कि सदियों के संघर्ष से जो अमेरिका बना है, ट्रंप उसे खत्म कर रहे हैं।

वे अमेरिका को फिर से महान बनाने के नाम पर अमेरिका की महानता को कलंकित कर रहे हैं। उन्होंने लोकतंत्र के उत्सव को विवादित चुनावी अभियान में बदला है। कहीं ऐसा न हो कि अमेरिका का चुनाव और उसका नतीजा नेटफ्लिक्स के लोकप्रिय सीरिज ‘हाउस ऑफ कार्ड्स’ की तरह हो जाए। इस सीरिज का मुख्य पात्र है जो डेमोक्रेट है परंतु उसका समूचा आचरण ट्रंप वाला है और राजनीति भी वैसी ही है जैसी अभी ट्रंप कर रहे हैं।

अजीत द्विवेदी
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं ये उनके निजी विचार हैं।)

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