अमेरिका : दलीलों से चुनाव नहीं जीतेंगे बाइडेन

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करीब सालभर पहले मैंने बिना किसी से सलाह लिए अपना जॉब डिस्क्रिप्शन बदल दिया। पहले लिखता था- न्यूयॉर्क टाइम्स फॉरेन अफेयर कॉलमनिस्ट। अब लिखता हूं- न्यूयॉर्क टाइम्स में अपमान और गौरव पर कॉलम लिखने वाला। इतना ही नहीं, बिजनेस कार्ड पर भी यही प्रिंट कराया। 1978 में पत्रकारिता शुरू की। आम लोगों, नेताओं, शरणार्थियों, आतंकवादियों और देश के साथ ही राज्यों से जुड़े मामलों पर लिखता रहा। अपमान और गौरव या सम्मान इंसान की दो सबसे ताकतवर भावनाएं हैं।

आज इसका जिक्र जरूरी आज इस बात का जिक्र जरूरी है। जो बाइडेन को ट्रम्प कैम्पेन के खिलाफ कामयाबी मिलती दिख रही है। क्योंकि, वो उसी भाषा में जवाब देना जानते हैं, जो विरोधियों की है। इससे ट्रम्प के कुछ समर्थक अपमानित महसूस करते हैं। ये काम पिछले चुनाव में हिलेरी क्लिंटन नहीं कर पाईं थीं। ट्रम्प पहली बार जब प्रेसिडेंट की रेस में शामिल हुए तो उनके समर्थक हर उस व्यक्ति से नफरत करते थे, जो ट्रम्प से नफरत करता था।

मीडिया ने भी इसमें बड़ी भूमिका निभाई। ट्रम्प के कई समर्थक ऐसे है, जो उनकी नीतियों नहीं, बल्कि उनके बर्ताव से प्रभावित हैं। उन्हें लोगों को नीचा दिखाने में खुशी मिलती है। मेरे हिसाब से पॉलिटिक्स और इंटरनेशनल रिलेशन्स में अपमान की ताकत का कभी ठीक से अंदाजा नहीं लगाया गया। गौरव या सम्मान के मामले में गरीबी, व्यवहार में पैसे की गरीबी से ज्यादा साफ नजर आती है।

अपमान सहन नहीं होता मुश्किल, भूख या दर्द। ये आदमी सहन कर सकता है। जॉब, कार या दूसरे फायदों के लिए आपका शुक्रगुजार भी हो सकता है। लेकिन, अगर आप उनकी बेइज्जती करेंगे तो वे ताकत से जवाब देंगे। नेल्सन मंडेला ने कहा था- अपमानित आदमी से ज्यादा खतरनाक कोई और नहीं हो सकता। किसी को शांति से सुनना सम्मान का ही प्रतीक है।

उदाहरण भी मिलते रहे फॉरेन पॉलिसी की बात करें तो मैंने कई चीजें देखीं। कोल्ड वॉर में रूस पिछड़ गया तो पुतिन की ताकतवर इमेज सामने आई। इराक पर अमेरिकी हमले के बाद सुन्नियों का क्या हुआ, उन्हें सेना और सरकार के अहम पदों से बाहर कर दिया गया। फिलिस्तीनियों को इजराइल के चेक प्वॉइंट्स पर बेइज्जत होना पड़ता है। यूरोप में मुस्लिम युवाओं के साथ क्या होता है। चीन आज वर्ल्ड पॉवर है। वहां के लोग कहते हैं कि उन्होंने एक सदी तक विदेशी ताकतों के हाथों अपमान सहा, बर्दाश्त किया।

जॉर्ज फ्लॉयड की गर्दन पर पुलिसकर्मी घुटना रखे रहा। जॉर्ज मदद मांगता रहा, लोग वीडियो बनाते रहे। उसका अपमान हुआ। अश्वेतों के साथ रोजाना होने वाले अपमान के खिलाफ ब्लैक लाइव्स मैटर आंदोलन चला। हॉवर्ड के पॉलिटिकल फिलॉस्फर माइकल सेन्डेल की किताब का जिक्र करूंगा। माइकल मेरे दोस्त भी हैं। वो ‘अपमान की राजनीति’ जैसे शब्दों के जरिए बताते हैं कि ट्रम्प लोकप्रिय क्यों हुए।

ट्रम्प ने क्या किया सेन्डेल कहते हैं- ट्रम्प ने लोगों की शिकायतों, झुंझलाहट और दुख को जरिया बनाया और आवाज दी। इसका जवाब मेनस्ट्रीम पार्टीज के पास नहीं था। शिकायतें आर्थिक और नैतिक ही नहीं सांस्कृतिक तौर पर भी थीं। सेन्डेल चेतावनी देते हैं- अगर बाइडेन लोगों की ट्रम्प के प्रति इन शिकायतों और अपमान का सही जवाब नहीं दे पाए तो नुकसान होगा। कोरोना से निपटने में ट्रम्प की नाकामी ही बाइडेन को जीत नहीं दिला सकती। ट्रम्प इसी का फायदा उठा रहे हैं।

अमेरिका की राजनीति दो हिस्सों में बंटी है। एक वे जिनके पास कॉलेज डिग्री है। दूसरे वे- जिनके पास यह डिग्री नहीं है। 2016 के चुनाव में ट्रम्प को मिले कुल श्वेत अमेरिकी वोटों में से दो तिहाई ऐसे थे जिनके पास कॉलेज डिग्री ही नहीं थे। यानी वे ग्रेजुएट नहीं थे। न्यूयॉर्क के एलीट क्लास के सामने ट्रम्प कुछ नहीं हैं। ये डेमोक्रेटिक पार्टी के समर्थक हैं। इमीग्रेंट्स और दूसरे देशों के लोग आज इन पर हंसते हैं।

बाइडेन सही कहते हैं… सेन्डेल के मुताबिक- बाइडेन का यह कहना बिल्कुल दुरुस्त है कि ट्रम्प कोरोना से निपटने में विफल रहे। उन्होंने संविधान का उल्लंघन किया और नस्लवादी तनाव बढ़ाया। ये ट्रम्प को चुनाव हराने के लिए काफी हैं। लेकिन, मैं ये मानता हूं कि दलीलों में जीतने के बाद भी बाइडेन चुनाव हार सकते हैं। बाइडेन को उन लोगों को भरोसे में लेना होगा, जिन्हें लगता है कि उनकी आवाज उठाने वाला कोई नहीं। ये लोग ट्रम्प के साथ माने जाते हैं। हालांकि, ट्रम्प की नीतियों से उन्हें कभी कोई फायदा नहीं हुआ।

तो क्या करना चाहिए अब बाइडेन को सेन्डेल यह भी बताते हैं कि ट्रम्प के वोटर्स को बाइडेन कैसे अपने फेवर में कर सकते हैं। सेन्डेल कहते हैं- बाइडेन को दूर-दराज के उन गांवों और कस्बों में जरूर जाना चाहिए, जहां ट्रम्प का आधार है। वहां के लोगों को ध्यान से सुनना चाहिए। इससे उन्हें अहसास होगा कि उनका भी सम्मान किया जाता है। फिर, प्रेसिडेंशियल डिबेट में इसका जिक्र करना चाहिए। इससे वर्किंग क्लास वोटर उनके साथ आएगा। बाइडेन डेमोक्रेटिक पार्टी के अकेले ऐसे नेता हैं जो लोगों को जोड़ सकते हैं।

ट्रम्प बाइडेन के वोटर्स को उनसे अलग करना चाहते हैं। अब बाइडेन को भी यही करना होगा। इसके लिए ट्रम्प के वोटर्स को सम्मान देना होगा। उनका भरोसा जीतना होगा। उनका डर खत्म करना होगा। वैसे जहां तक दावों की बात है तो वो दोनों ओर से कम नहीं हैं। ट्रंप ने खुद को नंबर-1 पर्यावरण प्रेमी राष्ट्रपति बताया है। ट्रंप फ्लोरिडा के जूपिटर इनलेट लाइट हाउस पहुंचे। समुद्री तट पर ऑयल- गैस ड्रिलिंग प्रतिबंध 10 साल बढ़ा दिया। फ्लोरिडा में लोग समुद्र में ड्रिलिंग का विरोध कर रहे थे। उनका मानना है कि इससे टूरिज्म सेटर और पुराने बीच (समुद्री तट) को नुकसान होगा। पर्यावरण को लेकर ट्रंप का रिकॉर्ड उनके दावों से उलट हैं। वह जलवायु परिवर्तन को अफवाह बताते रहे हैं। उन्होंने पेरिस एग्रीमेंट से अमेरिका को बाहर निकालने का वादा किया है।

प्रदूषण पर लगे प्रतिबंधों को कमजोर किया और राष्ट्रीय सुरक्षा के खतरों की लिस्ट से जलवायु परिवर्तन जैसे विषय को बाहर ही कर दिया। पर्यावरण संगठन सिएरा लब के पॉलिटिकल डायरेटर एरियन हायेस ने कहा- ट्रंप पर्यावरण के लिहाज से सबसे खराब राष्ट्रपति हैं। उन्होंने कारोबारियों को हमारा साफ पानी बेच दिया। पर्यावरण से जुड़े कामों के लिए फंड जारी नहीं किया। फ्लोरिडा में ट्रंप ने कहा- अगर बाइडेन राष्ट्रपति बने तो पर्यावरण को बहुत नुकसान पहुंचेगा। लेफ्ट का एजेंडा पर्यावरण की रक्षा करना नहीं है। जवाब में बाइडेन ने ट्वीट किया- कुछ महीने पहले ट्रंप फ्लोरिडा में ऑयल और गैस ड्रिलिंग को मंजूरी देने वाले थे। चुनाव से 56 दिन पहले, उन्होंने पलटी मारी। फ्लोरिडा में हाल ही में हुए कई सर्वे में सामने आया है कि यहां बाइडेन और ट्रप के बीच कड़ी टक्कर है। ट्रप का यहां पर खुद पर्यावरण प्रेमी बताना भी वोटरों को लुभाना है। योंकि, यह राज्य तूफान और बाढ़ से जूझता रहा है। यहां दोनों पार्टी के वोटर जलवायु परिवर्तन के मुद्दे को गंभीरता से लेते हैं। देखना है ऊंट किस करवट बैठता है?

थॉमस एल. फ्रीडमैन
(लेखक तीन बार पुलित्जर समान विजेता और नियमित स्तंभकार हैं ये उनके निजी विचार हैं)

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