अश्वेत की हत्या पर भारत सरकार की चुप्पी

0
212

अमेरिका के एक अश्वेत नागरिक जाॅर्ज फ्लाएड की हत्या के विरोध में कितने जबर्दस्त प्रदर्शन हो रहे हैं। अमेरिका में ऐसी उथल-पुथल तो उसके गृह-युद्ध के समय ही मची थी लेकिन इस बार तो कनाडा से लेकर जापान के दर्जनों देशों में रंगभेद के खिलाफ आवाज़ें गूंज रही हैं। ब्रिटेन और यूरोपीय देश, जो कि मूलतः गोरों के देश हैं, वहां भी इतने बड़े-बड़े प्रदर्शन हो रहे हैं, जितने कि अमेरिका में भी नहीं हो रहे हैं। अमेरिका और यूरोपीय देशों के राष्ट्रपतियों की सभाओं में जहां दो-चार हजार आदमी जुटाना मुश्किल होता है, वहां 20-30 हजार लोग इन रंगभेदी प्रदर्शनों में स्वतः शामिल हो रहे हैं।

इन देशों में भी भारत की तरह तालाबंदी है और कोरोना का संकट कहीं ज्यादा है, फिर भी पुलिस और फौज भी लोगों को रोक नहीं पा रही है लेकिन भारत, जो कि दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है, यहां तो उस अश्वेत की नृशंस हत्या पर जूं भी नहीं रेंग रही है। हम लोग क्या इतने स्वार्थी और पत्थरदिल लोग हैं ? वर्तमान सरकार हमारी जनता के इन कुंभकर्णी खर्राटों से खुश होगी, वरना कोरोना के इन बिगड़ते दिनों में एक नया पत्थर उसके गले में लटक जाता। भारत की जनता के दिल में भी दर्द जरुर है लेकिन कोरोना ने उसके दिल में मौत का डर इतना गहरा जमा दिया है कि वह हतप्रभ हो गई है। अमेरिका के गोरे लोग मांग कर रहे हैं कि वहां के पुलिसवालों पर राज्य सरकारें पैसा खर्च करना बंद करें, क्योंकि गोरे पुलिसवाले काले लोगों पर जानवरों की तरह टूट पड़ते हैं।

यदि पुलिस के अत्याचारों के खिलाफ कोई भी आवाज़ उठाता है तो पुलिस यूनियनें उस पर टूट पड़ती हैं। डोनाल्ड ट्रंप भी बार-बार पुलिस और फौज के इस्तेमाल की धमकी दे रहे हैं। उनका रक्षा मंत्रालय भी उनके साथ नहीं है। उनकी अपनी रिपब्लिकन पार्टी के कई नेता और कार्यकर्त्ता उनके विरुद्ध उठ खड़े हुए हैं लेकिन नवंबर में होनेवाले राष्ट्रपति के चुनाव में ट्रंप की कोशिश है कि इस मुद्दे पर अमेरिका के बहुसंख्यक गोरों के वोट वे अपने पक्ष में पटा लें। कोरोना के मामले में उनका बड़बोलापन तो उन्हें भारी पड़ ही रहा है, देखें यह रंगभेद क्या रंग दिखाता है ? अमेरिका की आंतरिक राजनीति में भारत न उलझे लेकिन रंगभेद पर उसकी चुप्पी आश्चर्यजनक है।

डा.वेद प्रकाश वैदिक
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं ये उनके निजी विचार हैं)

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here