टिड्डियों को लेकर किसानों की चिन्ता बढ़ रही है। अब खरीफ की बुवाई का समय नजदीक आ रहा है। ऐसे में टिड्डियों का हमला जारी रहा तो इसका प्रत्यक्ष प्रभाव खरीफ की फसलों पर पड़ेगा। वैज्ञानिकों का मानना है कि टिड्डियों का हमला डेढ़ महीने पहले ही शुरू हो गया है। देश इस समय कोरोना के संकट से जूझ रहा है और टिड्डियों का समय से पूर्व हमला इन दोनों कारणों ने विशेष तैयारी का मौका नहीं दिया। इस समय टिड्डियों का ब्रीडिंग समय नहीं है अत: हवाओं के साथ इनकी उड़ान बहुत तेज होती है। अब तक टिड्डियों ने उार प्रदेश के दो, मध्यप्रदेश के 12, राजस्थान के 19, पंजाब के एक और गुजरात के दो जिलों में अपना प्रभाव जमाया है। पिछले 22 व 24 मई को टिड्डियों ने झांसी में उत्पात मचाया था। अब फिर झांसी के गरौठा तहसील में टिड्डियों का दल पहुंच गया है। टिड्डियों के हमले से नहीं निपटा गया तो देश के खाद्यान्न उत्पादन पर इसका सीधा असर दिखाई देगा। 1926 से 1931 के बीच टिड्डियों की वजह से देश को दस करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था। 1940 व 1946 के मध्य भी देश को टिड्डियों की वजह से काफी नुकसान उठाना पड़ा।
एक शोध के अनुसार इनकी खाने की क्षमता बहुत होती है। टिड्डियों का एक छोटा दल भी एक दिन में दस हाथियों या पच्चीस ऊँटों के बराबर खाना खाता है। इसी के अंदाजा लगाया जा सकता है कि टिड्डियों का कितना प्रभाव हमारे खाद्यान्न उत्पादन पर पड़ सकता है। अभी जिस टिड्डी दल ने राजस्थान पर अपना प्रभाव जमाया था उसका आकार छ: किलोमीटर चौड़े क्षेत्र में था। अभी उतने नुकसान की आशंका नहीं है योंकि रवि की फसल कट गई है। भारत में जायद की खेती परंपरागत रूप से कम होती है। किसानों ने हरा चारा के अलावा ज्वार, बाजरा, सब्जी और मूंग आदि बो रखी है। इसलिए बहुत अधिक हानि नहीं होगी। परन्तु यह हमला और जारी रहता है तो देश के किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ेगा। कोरोना के संकट काल में अगर खेती पर असर आया तो काफी लोगों को आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ेगा। अधिकतर मजदूर ग्रामीण क्षेत्रों में हैं और ये अब खेती-किसानी पर निर्भर हैं। अगर टिड्डियों के हमले पर नियंत्रण नहीं पाया गया तो देश में ग्रामीण अर्थव्यवस्था का ताना बाना टूट जाएगा।
हालांकि प्रदेश सरकार ने टिड्डियों के हमले को लेकर सतर्कता बरतने को कहा है। मुख्यमंत्री व कृषि मंत्री ने समीक्षा बैठक कर जिलाधिकारियों व कृषि विभाग के अधिकारियों को बचाव के लिए आवश्यक कार्रवाई करने का निर्देश दिया है। भाकपा सहित अन्य विपक्षी दलों ने लापरवाही बरतने का आरोप भी प्रदेश सरकार पर लगाया है। मुख्यमंत्री ने आपदा प्रबंधन अधिनियम की व्यवस्था के तहत जिलाधिकारियों को संसाधनों की व्यवस्था करने को कहा है। सरकार टिड्डियों के प्रकोप से बचाने का प्रयास कर रही है, परन्तु अधिकारियों व कर्मचारियों को अपने दायित्व का निर्वहन पूरी निष्ठा से करना होगा। टिड्डी नियंत्रण में लेखपाल, कृषि विभाग के अधिकारी व कर्मचारी, ग्राम पंचायतकर्मियों की महत्वपूर्ण भूमिका है। इसके साथ ही वहां के निवासियों व जनप्रतिनिधियों को अपना सामाजिक दायित्व निभाना होगा। टिड्डियों के आक्रमण को सामूहिक प्रयास से निष्फल आसानी से किया जा सकता है। उम्मीद है कि पूर्व की भांति इस बार भी इस आपदा पर हम नियंत्रण पा लेंगे।