कोरोना से जंग को सकारात्मक सोच जरूरी

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आज कोरोना वायरस की महामारी को लेकर संपूर्ण विश्व चिंतित है और इसके निदान के उपाय सोच रहा है। ऐसे में महामारी के खात्मे के लिए एक सकारात्मक सोच जरूरी है। जब तक हम सकारात्मक सोच के साथ सभी मानव जाति को लेकर संघर्ष नहीं करेंगे, तब तक हमें सफलता मिलना असंभव है। इसी सकारात्मक सोच का परिचय देते हुए हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सकारात्मक पहल करते हुए जी-20 की बैठक बुलाने पर बल दिया, यही नहीं उन्होंने एक-दूसरे पर आरोप लगाने की बजाये कोरोना से निपटने को सभी से मंत्रणा की। जी-20 की बैठक में कोरोना वायरस के बारे में सही सूचना न देने के आरोप से घिरे चीन को लेकर कई देशों में नाराजगी है। कुछ देशों द्वारा चीन को निशाना बनाए जाने का खतरा था। पीएम मोदी ने अपने संबोधन में सकारात्मक पहल करते हुए माहौल बदल दिया। पीएम मोदी का यह कहना कि कोरोना वायरस कोविड-19 का जन्म कहां हुआ, वायरस के प्रकोप के लिए किसी को दोष देने का प्रयास नहीं किया जाना चाहिए। अभी मौजूदा संकट से निपटने के उपायों पर बात होनी चाहिए। पीएम मोदी के संबोधन का असर था कि किसी मतभेद बिना सबकी सहमति से ठोस फैसले लिए गए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संदेश में मानवता को कोरोना वायरस के संकट बचाना था। बैठक में 19 देशों के साथ यूरोपीय संघ, अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष, संयुक्त राष्ट्र और विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रतिनिधियों ने मानवता को सर्वपरि माना और उसके संरक्षण पर चर्चा की।

कोरोना वायरस किसी एक धर्म या संप्रदाय या जाति के लिए घातक नहीं है बल्कि संपूर्ण मानव जाति के लिए खतरा बना हुआ है। जो अपने आपको सुपर पावर कहालाते थे वह भी इस भयंकर वायरस से जूझ रहे हैं। इसलिए दुनिया के सभी देशों विशेषकर भारत के सभी सियासी दलों को एकजुट होकर इससे बचाव के तरीके ढूंढने चाहिए। कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी ने भी विपक्ष की भूमिका से अलग हटते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा और कोरोना वायरस से जंग के लिए सरकार के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम करने का विश्वास दिलाया। उन्होंने सरकार को सुझाव दिए हैं कि धर्म-जाति की राजनीति से ऊपर उठरकर कोरोना को खत्म करने के लिए सकारात्मक पहल करने का सुझाव दिया। उन्होंने अपने पत्र में बताया कि जिस तरह दूसरे राज्यों में भाजपाई सरकारें कोरोना को लेकर गंभीर होते हुए ठोस कदम उठा रही हैं उसी तरह केरल, राजस्थान, छत्तीसगढ़, पंजाब और दिल्ली के गैर-भाजपाई मुख्यमंत्री डटकर काम कर रहे हैं। एक अच्छी पहल राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ तथा अन्य संगठनों ने जमात-ए-तलीगी के मामले का सांप्रदायिकीकरण करने का विरोध किया है। इस सकारात्मक पहल से जहां कुछ संगठन युवाओं सांप्रदायिकता का जहर घोलने में लगे थे और उनके कारण पूरे समुदाय विशेष को शर्मसार किया जा रहा था, अब उसको विराम लगेगा।

और कोरोना से जंग में देश के एक सौ पैंतिस करोड़ लोग ठीक उसी तरह से हिस्सा लेंगे जिस तरह देश को आजाद कराने में सभी ने हिस्सा लिया था। जब जंग में सामूहिकता की भावना नहीं पैदा होगी तब तक कामयाबी मिलने के आसार नजर नहीं आते। हमारे पीएम नरेंद्र मोदी व यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने धर्मगुरुओं की बैठक लेते हुए उनसे कोरोना से जंग में सहयोग मांगा है। अब धर्म गुरुओं का भी फर्ज बनता है कि वह सरकार को सहयोग देते हुए इस जंग में शामिल हों। एक मुसलमान अपने वादे का पक्का होता है, इसलिए तलीगी जमात के लोगों ने अपने कृत्य से पूरे समुदाय को शर्मसार किया है। अब धर्मगुरू इस बात की पहल करें कि जो जमात के लोग या स्थानीय जमात से जुड़े जिमेदार लोग खुद सामने आकर अपनी जांच कराएं ताकि उनको तलाश करने में सरकार का जो खर्च हो रहा है वो धन जनहित में खर्च हो सके। इस समय मानव जाति की रक्षा करना एक राष्ट्रभक्ति के समान है। भारतीय मुसलमानों को अपनी राष्ट्रभक्ति दिखाने का ये एक अच्छा मौका है कि वह सरकार की पहल पर अपनी सकारात्मक भूमिका निभाएं।

एम. रिजवी मैराज
(लेखक एक पत्रकार हैं, ये उनके निजी विचार हैं)

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