शिरड़ी साई मंदिर बंद, कर्नाटक में एक हफ्ते शटडाउन
नई दिल्ली। कोरोना वायरस के कहर को देखते हुए साफ-सफाई के इंतजामों पर भारत में खास ध्यान दिया जा रहा है। मोदी सरकार ने बढ़ती संख्या को देखते हुए अपने बॉर्डर को सील करने का फैसला किया है। रविवार से पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल, भूटान और यांमार बॉर्डर से आवागमन पर रोक लगा दी गई है। मुंबई चिडिय़ाघर व करतारपुर कारिडोर भी बंद कर दिया गया है। देश में कोरोना पीडि़तों की संख्या 110 तक पहुंच गई है। कर्नाटक में एक हते के लिये शटडाउन कर दिया गया है। देश में रविवार को कोरोनावायरस संक्रमण के 10 नए मामले सामने आए। इनमें से केरल में 3 और महाराष्ट्र में 6 और तेलंगाना में 1 संक्रमण की पुष्टि हुई। मुंबई पुलिस ने समूह में यात्रा करने पर पाबंदी लगाई दी है। कहा है कि एक साथ कई लोगों को कहीं जाना जरूरी हो तो पुलिस आयुक्त कार्यालय से अनुमति लें। वहीं, श्री साईंबाबा संस्थान ट्रस्ट, शिरडी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अरुण डोंगरे ने अगले कुछ दिनों तक श्रद्धालुओं से मंदिर न आने की अपील की। आंध्रप्रदेश में तिरुपति बालाजी मंदिर में श्रद्धालुओं को दर्शन से पहले कतार में लगने के लिए अलग-अलग कंपार्टमेंट के इस्तेमाल पर रोक लगा दी गई है। राज्य में छह सप्ताह के लिए पंचायती चुनाव स्थगित किए गए। रेलवे ने ट्रेन के डिब्बों को डिसइनफेक्ट करने का काम तेज कर दिया है।
सेंट्रल रेलवे के मुताबिक, लंबी दूरी की ट्रेनों समेत मुंबई के सभी लोकल ट्रेनों के डोर हैंडल, ग्रैब हैंडल, दरवाजे, खिड़कियों, स्विच की सफाई कीटनाशकों से की जा रही है। 16 मार्च से अगले आदेश तक करतारपुर साहिब के लिए यात्रा और रजिस्ट्रेशन अस्थायी रूप से बंद किया गया। ब्रिटिश मिला संक्रमित: कोरोना ना फैले इसके लिए सरकार ट्रैवलिंग पर पूरी नजर रखे हुए है। भारतीय लोगों को जहां विदेश से वापस लाया जा रहा है वहीं एक लाइट को सुबह उडऩे से रोका भी गया। कोच्चि एयरपोर्ट पर दुबई जाने वाले एक विमान के कम से कम 289 यात्रियों को रविवार को उड़ान भरने से कुछ देर पहले उतार लिया गया। यात्रियों में से एक ब्रिटिश नागरिक के कोरोना वायरस से संक्रमित पाए जाने के बाद यह कदम उठाया गया। लेह में पहला लॉकडाउन क्षेत्र: लेह के एक गांव कुशहाट गोंगमा में 3 मरीज मिलने के बाद पूरे गांव को सील कर दिया गया। यहां 28 दिनों से 3 हजार लोग फंसे हुए हैं। किसी को गांव के अंदर या बाहर जाने की इजाजत नहीं। इसी गांव से कोरोना वायरस के 3 केस मिले हैं। इनमें से दो मरीज हाल ही में ईरान से लौटे हैं और एक इनके परिवार का सदस्य है। जिला प्रशासन गांव के लोगों को जरूरी खाने-पीने के सामान पहुंचा रहा है।
डॉक्टरों की पीड़ा: नई दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल से पवन कुमार. कोरोनावायरस के मरीजों के इलाज में लगे डॉक्टर कहते हैं कि उन्होंने इससे खतरनाक वायरस से पीडि़त मरीजों का इलाज किया है। कोरोना के इलाज में डर नहीं लगता। लेकिन इस बीमारी को लेकर इतना पैनिक कर दिया गया है, जिससे घरवाले घबराते हैं। हालांकि, यह वायरस उतना खतरनाक नहीं है, जितना इबोला, निपाह और ट्यूबरकुलोसिस जैसी बीमारियों में आमतौर पर होता है। एक डॉक्टर ने कहा कि कोरोनावायरस इतनी तेजी से फैलता है कि मरीज के वार्ड में रहने के दौरान पर्सनल प्रोटेक्शन इक्विपमेंट (पीपीई) पहने रखना पड़ता है। पीपीई सिर से पैर तक पूरी तरह ढंकता है। लगातार 8-10 घंटे पीपीई पहनने के कारण दम घुटने लगता है। पीपीई की कमी के चलते एक दिन में एक डॉक्टर को एक ही किट दी जाती है। पीपीई पहनकर न तो कुछ खा-पी सकते हैं और न ही फोन पर बात कर सकते हैं। मरीज की हालत ठीक नहीं होने पर डॉक्टर को 16 घंटे भी ड्यूटी करनी पड़ सकती है। डॉक्टर कहते हैं कि इलाज के लिहाज से कोई चुनौती नहीं है। कोरोना पेशेंट के वार्ड में रहने के दौरान एहतियात बरतनी पड़ती है। घर जाने के बाद डॉक्टर सामान्य तरीके से घर-परिवार के साथ रहते हैं और खाते-पीते भी हैं।
भारत ने पछाड़ा: अहम तथ्य साफ करेंगे कि कैसे भारत ने कोरोना से लडऩे के मामले में अमेरिका-चीन जैसे देशों को पछाड़ा है? भारत ने अमेरिका से पहले ही विदेश से लौटने वाले यात्रियों की जांच शुरू कर दी थी। भारत में 22 जनवरी के करीब ही कोरोना वायरस को लेकर एयरपोर्ट पर जांच शुरू हो गई थी, लेकिन अमेरिका ने 25 जनवरी के बाद ये कदम उठाया। भारत टॉप पर: जहां अमेरिका जैसा सुपर पावर देश सिर्फ अपने ही नागरिकों को दुनिया भर से वापस लाने तक सीमित रहा, वहीं भारत ने न सिर्फ अपने नागरिकों को कोरोना के चंगुल से निकाला, बल्कि दुनिया भर में इंसानियत का बड़ा संदेश देते हुए 10 से भी अधिक देशों के नागरिकों को निकाला। पाकिस्तान जैसे देश ने तो अपने नागरिकों से ये तक कह दिया था कि वह चीन में ही रहें, क्योंकि पाकिस्तान के पास कोरोना से लडऩे की क्षमता नहीं है और चंद लोगों की वजह से करोड़ों की जान खतरे में पड़ सकती है। कैंप की व्यवस्था: भारत ने शुरुआत से ही आइसोलेशन कैंप की व्यवस्था कर दी थी, ताकि विदेश से निकाले गए लोगों और अन्य कोरोना संक्रमित लोगों को आइसोलेशन में रखा जा सके। अब तक किसी भी संक्रमित शख्स ने सरकार पर उंगली नहीं उठाई है।
इटली पिछड़ा: इस समय इटली जैसा छोटा और विकसित देश कोरोना का नया वुहान बन गया है, लेकिन 135 करोड़ की आबादी वाले देश भारत में कोरोना वायरस नियंत्रण में है। इसकी सबसे बड़ी वजह ये है कि भारत ने बिल्कुल सही समय पर कोरोना वायरस से लडऩे के लिए एयरपोर्ट पर जांच शुरू कर दी थी, जबकि इटली ने लापरवाही बरती। हालांकि, ये भी एक तथ्य है कि इटली में अधिकतर आबादी बुजुर्गों की है, जिन पर कोरोना वायरस का असर अधिक हो रहा है। वहीं भारत में अधिकतर आबादी युवाओं की है। नेताओं की पहल:भारत ने कोरोना वायरस के खौफ को दबाने के बजाय लोगों को उससे निपटने के तरीके बताए। नेताओं ने बड़े समारोह या भीड़-भाड़ वाली जगहों पर जाना बंदकर दिया और लोगों से भी ऐसा ही करने की गुहार लगाई। खुद पीएम मोदी होली मिलन समारोह में नहीं गए।
यही वजह है कि दुनिया में कई बड़ी हस्तियों को कोरोना हो रहा है, खुद ट्रंप ने जांच करवाई है, लेकिन भारत में अभी तक ऐसी स्थिति नहीं है। शर्मा ने भी की है तारीफ: खुद कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने मोदी सरकार के प्रयासों से संतुष्टि जताई है। हालांकि, राहुल-प्रियंका समेत बहुत से कांग्रेस नेताओं ने कोरोना वायरस पर सरकार की कोशिशों को नाकाफी बताते हुए पीएम मोदी पर हमला बोला है। ईरान से लौटे: ईरान से सुरक्षित निकाले जाने के बाद 236 भारतीय नागरिकों (100 पुरुष, 136 महिलाएं) को इंडियन आर्मी की ओर से जैसलमेर में स्थापित आइसोलेशन वॉर्ड में भेज दिया गया है। सेना का स्वास्थ्य केंद्र नागरिक प्रशासन, एयरपोर्ट अधिकारियों और वायुसेना के साथ मिलकर काम कर रहा है ताकि ईरान से निकाले गए नागरिकों की उचित देखभाल की जाए।