राम नाम से दूर होते हैं मनुष्य के सभी कष्ट

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मेरठ। श्री राम कथा के पांचवे दिन शनिवार को पूज्य श्री अतुल कृष्ण महाराज जी ने श्री राम सीता विवाह, परशुराम संवाद की व्याख्या की। पूज्य गुरु जी ने बताया कि भगवान श्रीराम द्वारा धनुष भंग, परशुराम, लक्ष्मण, संवाद एवं श्री राम विवाह के रोचक प्रसंगों से श्रोताओं को भावविभोर कर दिया। इस दौरान मानों सारा माहौल राममय हो गया, जबकि भक्त राम नाम की भक्ति में अपने ही रंग में दिखाई दिये। पूज्य संत अतुल कृष्ण भारद्वाज जी ने कहा कि जब विश्वामित्र ने संपूर्ण उत्तर भारत के दुष्टजनों से श्रीराम द्वारा मुक्त करा लिया एवं सभी ऋ षि वैज्ञानिकों के साथ यज्ञ सुचारु रुप से होने लगे, तो विश्वामित्री श्री राम को जनकपुरी की ओर ले गए, जहां पर स्वयंवर चल रहा था।

सीता स्वयंवर में जब कोई राजा धनुष को नहीं तोड़ पा रहा था, तो भगवान श्रीराम ने विश्वामित्र की आज्ञा पाकर धनुष को तोड़ दिया। जिसका अर्थ पूरे विश्व में दुष्टों को सावधान करना था, कि अब कोई चाहे कितना भी शक्तिशाली राक्षस वृत्तिका व्यक्ति होगा, वह जीवित नहीं बचेगा। धनुष टूटने का पता चलने पर परशुराम का स्वयंवर सभा में आना एवं श्री राम लक्ष्मण से तर्क वितर्क करके संतुष्ट होना की श्री राम पूरे विश्व का कल्याण करने में सक्षम है। स्वयं अपने आराध्य के प्रति भक्ति में लीन हो गए एवं समाज की जिम्मेदारी जो परशुराम ने ले रखी थी, जिससे कि दुष्ट राजाओ को भय था। परशुराम ने वह सामाजिक जिम्मेदारी श्रीराम को सौंप दी एवं स्वयं भक्ति में लीन हो गए।

पूज्य महाराज जी ने कहा कि भगवान कण-कण में विराजमान है। अगर हम समाज में दीन दुखियों, वनवासियों, आदिवासियों के कष्ट दूर करते हुए उस संगठित शक्ति के द्वारा ही समाज में व्याप्त बुराइयों को दूर किए किसी कारण से श्री राम भगवान कहलाए। उसी प्रकार आज भी समाज में व्याप्त बुराइयों को अच्छे लोग संगठित होकर ही दूर कर सकते हैं। कथा प्रसंग को आगे बढ़ाते हुए महाराज जी ने कहा कि राजा जनक ने राजा दशरथ को बरात लाने का न्योता भेजा एवं राजा दशरथ नाचते गाते बारातियों सहित जनकपुरी पहुंचे। बरात में शामिल उपस्थित श्रोता जनसमूह खूब भावपूर्ण नाचे गाए। पूज्य महाराज जी ने श्रोताओं से आग्रह पूर्वक निवेदन करते हुए कहा, जिस संगठित शक्ति के बल पर वनवासी गिरीवासी बंधुओं ने आपत्ति काल में श्री हनुमान जी महाराज के नेतृत्व में धर्म की स्थापना और अधर्म के विनाश के लिए सतुत्य कार्य किया।

उसी प्रकार समस्त प्रकार के भेद भाव से रहित होकर हम सबको जीवन में कुछ महान कार्य करने की ललक पैदा करना चाहिये। जिससे आज समाज मे पैदा भेद भाव ऊंच नीच छुआ छूत दूर हो सके। कथा के मुख्य यजमान योगेश मोहन गुप्ता, संयोजक मुकेश सिंघल रहे। वहीं, संघ परिवार से धर्म जागरण समन्वय के क्षेत्रीय प्रमुख ईश्वर दयाल, मयंक गुप्ता, पूर्व विधायक अमित अग्रवाल, संघ परिवार से सह अखिल भारतीय धर्म जागरण प्रमुख राजेन्द्र, धर्मजागरण समन्वय के क्षत्रीय प्रमुख ईश्वर दयाल, प्रदीप कुमार, बृजपाल, अनिल कुमार गर्ग, बलराज गुप्ता, पीयूष शास्त्री, मीडिया प्रभारी अमित शर्मा, मनोज वर्मा, शशांक शर्मा, शिवा सिंघल आदि उपस्तिथ रहे।

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