प्रधानमंत्री, गृहमंत्री, योगी समेत 6 मुख्यमंत्री, 9 मंत्री, 100 से ज्यादा सांसदों को उतारने के बावजूद करारी हार
नई दिल्ली। दिल्ली के दंगल में आम आदमी पार्टी जीत चुकी है। भाजपा और कांग्रेस को मुंह की खानी पड़ी है। भाजपा ने अपना सारा बल लगा दिया लेकिन दिल्ली के तत से अरविंद केजरीवाल को नहीं डिगा पाई। भाजपा की तरफ से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, योगी आदित्यनाथ समेत 6 मुख्यमंत्री, 9 मंत्री और 40 से ज्यादा स्टार प्रचारकों से प्रचार कराया गया था। चुनाव जीतने के लिए भाजपा ने 100 से ज्यादा सांसदों को चुनावी जंग के मैदान में उतार रखा था। लेकिन खोदा पहाड़ और निकली चुहिया। भाजपा के नेतृत्व वाला एनडीए पिछले दो साल में सात राज्यों में सत्ता गंवा चुका है। दिल्ली समेत 12 राज्यों में अभी भी भाजपा विरोधी दलों की सरकारें हैं। एनडीए के पास 16 राज्यों में ही सरकार है। इन राज्यों में 42 फीसद आबादी रहती है। भाजपा ने पहला चुनाव 1984 में लड़ा था।
तब जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद-370 हटाने का वादा किया था। 5 साल बाद 1989 में अयोध्या में राम मंदिर निर्माण और यूनिफॉर्म सिविल कोड भी भाजपा के मूल वादों की फेहरिस्त में जुड़ गया। जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद-370 पिछले साल अगस्त में हट चुका है और अब राम मंदिर बनने का रास्ता भी साफ हो चुका है। लेकिन हैरानी की बात है कि भाजपा अपने इन दो राष्ट्रीय मुद्दों को पूरा करने के बाद हुए चार में से तीन विधानसभा चुनाव हार चुकी है। महाराष्ट्र में भाजपा-शिवसेना का गठबंधन जीता, पर शिवसेना ने अलग होकर कांग्रेसराकांपा के साथ सरकार बना ली। हरियाणा में भाजपा को सत्ता मिली, लेकिन अधूरी। जजपा की मदद से सरकार बनानी पड़ी। नवंबर में राम मंदिर पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया। इसके बावजूद भाजपा दिसंबर में झारखंड में हार गई।
दिल्ली में वोटिंग से तीन दिन पहले सरकार ने राम मंदिर ट्रस्ट का गठन कर अपने मुद्दे की सवारी करने की कोशिश की, पर सत्ता नहीं मिल पाई। 2019 में 303 सीटें जीतीं: मई 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने अनुच्छेद 370 हटाने और यूनिफॉर्म सिविल कोड लाने का वादा किया। उसके घोषणापत्र में राम मंदिर का भी जिक्र था। पहली बार जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 35ए को भी हटाने की बात की। इस चुनाव में भाजपा को 303 सीटें मिलीं। 2019 में सरकार बनने के तीन महीने के भीतर ही सरकार ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटा दिया। इसके बाद नवंबर में राम मंदिर पर भी सुप्रीम कोर्ट का फैसला आ गया।
फैसला भले ही सुप्रीम कोर्ट ने दिया, लेकिन इसे सरकार की उपलब्धि से जोड़ा गया। अनुच्छेद 370 हटने के बाद महाराष्ट्र और हरियाणा में विधानसभा चुनाव हुए। महाराष्ट्र आते-आते गया: यहां भाजपा-शिवसेना की गठबंधन सरकार थी। लेकिन चुनाव नतीजों के बाद शिवसेना ने कहा कि ढाई-ढाई साल के लिए सीएम पद साझा करने का करार था। भाजपा ने इससे मना कर दिया। भाजपा से गठबंधन तोड़ राकांपा- कांग्रेस के साथ मिलकर शिवसेना ने सरकार बना ली। हरियाणा जाते-जाते बचा: भाजपा हरियाणा में सरकार बनाने के लिए जरूरी 46 सीटों में 6 सीटों से पीछे रह गई थी।