9 फरवरी को है माघी पूर्णिमा, जानें क्या करने से ईश्वर होंगे प्रसन्न

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माघी पूर्णिमा इस वर्ष 9 फरवरी (रविवार) को है। माघ मास में जल का यह कहना है कि जो सूयार्दय होते ही मुझमें स्नान करता है, उसके बड़े से बड़े पाप भी हम तत्काल नष्ट कर उसे शुद्ध एवं पवित्र कर डालते हैं। सूर्य के मकर राशि में रहने पर, या पूरे माघ महीने में भाग्यशाली ही स्नान कर सकता है। संभवत:-इसी को ध्यान में रखकर पद्मपुराण में यह उल्लेख है कि जिनके पास समय व धन की कमी है, शरीर निरोगी नहीं है, वह माघ शुक्ल त्रयोदशी, चतुर्दशी और पूर्णिमा को अगर विधि-विधान से सूयार्दय से पहले स्नान कर ले, व्रत करे, दान करे तो उसे संपूर्ण माघ स्नान का फल मिल सकता है। माघ में गणेश, सूर्य, गंगा, दुर्गा, विष्णु, शिव आदि समस्त देवगण व्रत, उपवास, दान आदि के अलावा सूयार्दय से पूर्व स्नान करने से परम प्रसन्न होते हैं। पुराणों में माघी पूर्णिमा के बारे में लिखा है ।

कि इस दिन भगवान विष्णु स्वयं गंगाजल में विराजमान रहते हैं। धर्मराज युधिष्ठिर ने भगवान श्रीकृष्ण से पूछा, संवत्सर में कौन-कौन सी तिथियां स्नानदान में अधिक पुण्यप्रद हैं। कृष्ण ने कहा, माघ पूर्णिमा, वैशाख और कार्तिक पूर्णिमाओं के समान ही फल देती है। माघी पूर्णिमा में शिव की परमप्रिय काशी में जीवनदायनी गंगा का स्नान अद्भुत फल देता है। इस दिन जो अपने पितरों का तर्पण करता है, उन्हें पितृदोष से मुक्ति मिलती है और उद्धार होता है। जिनकी कुंडली में सूर्य-चंद्रमा के साथ राहु या केतु मौजूद हैं, उन्हें माघी पूर्णिमा को अपने पितरों के लिए तर्पण करना चाहिए। इस पूरे माह में भगवान विष्णु व्रत, उपवास, दान आदि की बजाय केवल सूयार्दय से पूर्व स्नान करने से परम प्रसन्न होते हैं।

ज्योतिष की नजर से देखें, तो इस दिन सूर्य मकर राशि में अपने पुत्र न्यायकारक ग्रह शनि के साथ हैं, जिन्हें अपनी ही राशि कर्क में विराजमान चंद्रमा द्वारा देखा जा रहा है। जिनकी शनि की साढ़ेसाती से प्रभावित धनु राशि है, उन्हें चंद्रमा के अष्टम राशि में होने के कारण स्नान आदि करते समय सावधान रहना चाहिए। माघी पूर्णिमा के दिन ही प्रयागराज में रहने वाले लाखों कल्पवासी क्षौर कर्म- मुंडन करा विधि-विधान से गंगा स्नान कर सत्यनारायण की पूजा, दान और भोज आदि कर गंगा जी से क्षमा मांगकर गृहस्थ जीवन में पुन: प्रवेश करते हैं। इस दिन पितरों का श्राद्ध करें, भूखे को भोजन, कपड़ा, तिल, कंबल, कपास, गुड़, घी, मोदक, जूता, छाता, फल और अन्न आदि दक्षिणा के साथ अवश्य दान करें।

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