23 फरवरी की युगादि तिथियाँ

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23 फरवरी 2020 रविवार को द्वापर युगादि तिथि है । जैसे कि हम जानते हैं कि चार युग होते है:- सतयुग, त्रेता युग, द्वापर युग, कलियुग ये सभी युग भिन्न भिन्न तिथियों को प्रारम्भ हुए थे।

l.युग+आदि अर्थात युग के आरम्भ होने की तिथि, इसे ही युगादि तिथि कहते हैं अर्थात जिस तिथि को अतीत या भविष्य में एक नया युग आरम्भ हुआ या होगा, वही युगादि तिथि कहलाती है । कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि सतयुग की आदि तिथि बताई गयी है ।

2. वैशाख शुक्ल पक्ष की जो तृतीया है, वह त्रेतायुग की आदि तिथि कही जाती है, जिसे हम अक्षय तृतीया के नाम से भी जानते हैं, इस दिन भगवान नारायण ने दुष्टों के संहार हेतु भृगुवंशी भगवान श्री परशुराम जी के रूप में पृथ्वी पर अवतार लिया ।

3. माघ कृष्ण पक्ष की अमावस्या को द्वापर की आदि तिथि माना जाता है ।

4. भाद्र कृष्ण त्रयोदशी कलियुग की प्रारंभ तिथि कही गयी है ।

ये चार युगादि तिथियाँ है, इनमें किया हुआ दान और होम अक्षय जानना चाहिए युगादि तिथियाँ बहुत ही शुभ होती हैं, इस दिन किया गया जप, तप, ध्यान, स्नान, दान, यज्ञ, हवन आदि अक्षय (जिसका नाश/क्षय न हो) फल होता है प्रत्येक युग में सौ वर्षों तक दान करने से जो फल होता है, वह युगादि-काल में एक दिन के दान से प्राप्त हो जाता है । भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लिखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है। नारद पुराण, हेमाद्रि, तिथितत्व, निर्णयसिन्धु, पुरुषचिन्तामणि, विष्णु पुराण और भुजबल निबन्ध में इसका उल्लेख प्राप्त है।

🌷 स्कन्दपुराण‬ के प्रभास खंड के अनुसार “अमावास्यां नरो यस्तु परान्नमुपभुञ्जते ।। तस्य मासकृतं पुण्क्मन्नदातुः प्रजायते” जो व्यक्ति ‪अमावस्या‬ को दूसरे का अन्न खाता है उसका महिने भर का पुण्य उस अन्न के स्वामी/दाता को मिल जाता है।

🌷 समृद्धि बढ़ाने के लिए कर्जा हो गया है तो अमावस्या के दूसरे दिन से पूनम तक रोज रात को चन्द्रमा को अर्घ्य दे, समृद्धि बढेगी । दीक्षा मे जो मन्त्र मिला है उसका खूब श्रध्दा से जप करना शुरू करें , जो भी समस्या है हल हो जायेगी ।

खेती के काम में ये सावधानी रहे
ज़मीन है अपनी… खेती काम करते हैं तो अमावस्या के दिन खेती का काम न करें …. न मजदूर से करवाएं जप करें भगवत गीता का ७ वां अध्याय अमावस्या को पढ़ें …और उस पाठ का पुण्य अपने पितृ को अर्पण करें … सूर्य को अर्घ्य दें… और प्रार्थना करें ” आज जो मैंने पाठ किया …अमावस्या के दिन उसका पुण्य मेरे घर में जो गुजर गए हैं …उनको उसका पुण्य मिल जाये ” तो उनका आर्शीवाद हमें मिलेगा और घर में सुख-सम्पति बढ़ेगी ।

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