हे चांद चकोरी चंद मुखी

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इस प्रणय दिवस पर,
प्रणय निवेदन प्राण प्रिय स्वीकार करो
हे चांद चकोरी चंद मुखी
चंहकी जिज्ञासा शांत करो
आने की आहट सुनकर
राहें तकना स्वीकार किया
तेरे अधरों की लरजिस पर
तन मन सबकुछ कुर्बान किया
यह दिवस सुहाना पाकर
मैं अंतरमन से झनकार उठा
तुम यूं गुलाब सी खिली हुई
मैं भंवरे सा गुंजार उठा
पर तुम तो मेरी पूजा हो
श्रद्धा भक्ति स्वीकार करो

इस प्रणय दिवस पर
प्रणय निवेदन प्राण प्रिया स्वीकार करो
हे चांद चकोरी चंद्र मुखी
चंहकी जिज्ञासा शान्त करो
रांझों का प्रेम गुलामी में
लुटकर पिटकर इतिहास बना
संघर्ष हमेशा जीवन में
चाहत के नित विपरीत बना
इस आस भरी बलिबेदी पर
क्या घुट-घुट कर जीना होगा
हमराह अगर दोराह हुए
तो तड़प तड़प मरना होगा
हे राज हंसिनी इस दिल में
तुमको मदमस्त मचलना है
मेरी दुनिया के जन्नत में
तुमको अब दस्तक देना है
अब तक की मेरी तपस्या में
राही बनना स्वीकार करो
दो जिस्म भले हम रहें अगर
पर एक जान बनें स्वीकार करो
इस प्रणय दिवस पर
प्रणय निवेदन प्राण प्रिया स्वीकार करो
हे चांद चकोरी चंद मुखी
चंहकी जिज्ञासा शांत करो

2 COMMENTS

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