हिन्दू और ईसाई ही शरणार्थी क्यों?

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अगले हफ्ते का राजनीतिक विवाद नागरिकता बिल पर होगा। इस की शुरुआत लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी के बयान से हो गई हैजिसमें उन्होंने नरेंद्र मोदी और अमित शाह को घुसपैठिया बता दिया। जब संसद में बवाल मचा तो उन्होंने कबूल किया कि वह खुद बांग्लादेशी हैं। वैसे अमित शाह नागरिकता का जो बिल ला रहे हैं , उस में अधीर रंजन चौधरी की भारत में नागरिकता वैध हैक्योंकि वह हिन्दू हैं और बिल के अनुसार उन्हें घुसपैठिया नहीं बल्कि शरणार्थी माना जाएगा।

अधीर रंजन चौधरी कांग्रेस के लिए मुसीबत बन गए हैं। उन्हें लोकसभा में कांग्रेस का नेता बने अभी छह महीने भी नही हुए , लेकिन वह छह से ज्यादा विवाद खड़े कर चुके हैं जिनसे कांग्रेस की किरकिरी हुई है। वह 18 जून को तब कांग्रेस के नेता बनाए गए थे , जब राहुल गांधी ने लोकसभा में नेता बनने से इनकार का दिया था।

नेता बनने के बाद अधीर रंजन का सब से पहला विवादास्पद बयान एक हफ्ते के भीतर 24 जून को आ गया था जब उन्होंने लोकसभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को गंदा नाला कर दिया था। नोंकझोंक के समय यह तब हुआ जब भाजपा के एक सांसद ने यह कह दिया कि हम मोदी की वैसी चापलूसी तो नहीं कर रहे , जैसी आप ने इंदिरा इज इंडिया कह कर की थी।

इस पर अधीर रंजन चौधरी ने कहा –“ कहाँ मां गंगा , कहाँ गंदा नाला “ संसद के इसी पहले सदन में ही उन का दूसरा बयान 370 पर की गई उनकी टिप्पणी थी , जिस पर कांग्रेस की किरकिरी हुई। अमित शाह ने जब 370 हटाने का प्रस्ताव रखा था तो अधीर रंजन ने कहा कि भारत सरकार एकतरफा ऐसा कैसे कर सकती हैजबकि कश्मीर अन्तरराष्ट्रीय विवाद का मुद्दा है।

अधीर रंजन चौधरी का ताज़ा बयान नरेंद्र मोदी और अमित शाह को घुसपैठिया बताने वाला है। अगले हफ्ते संसद में पेश किए जाने वाले नागरिकता संशोधन बिल पर विवाद शुरू करते हुए आवेश में अधीर रंजन चौधरी ने यह टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि दोनों गुजरात के रहने वाले हैं और आ गए हैं दिल्ली। कांग्रेस जैसी देश की सब से पुरानी और बड़ी पार्टी के नेता पद पर ऐसे ज्ञानी सांसद की नियुक्ति पर कांग्रेस तरस करने योग्य पार्टी बन गई है। वह देश और देश की सीमाएं भी नहीं जानते और घुसपैठिए व शरणार्थी का अंतर भी नहीं जानते। या फिर यह कांग्रेस की देश के बारे में अवधारणा का दोष है , एक बार कांग्रेस के नेता मणि शंकर अय्यर ने लाल कृष्ण आडवानी को पाकिस्तानी कह दिया था। हालांकि इंद्र कुमार गुजराल, मनमोहन सिंह और लाल कृष्ण आडवानी का जन्म भारत के उस हिस्से में हुआ था , जो बंटवारे के बाद पाकिस्तान बना और हिन्दू मुस्लिम आबादी का आदान प्रदान हुआ था।

लेकिन हम असली मुद्दे पर आते हैं अधीर रंजन चौधरी , कांग्रेस, वामपंथी दलों और अन्य विपक्षी दलों को आपत्ति इस बात पर है कि प्रस्तावित नागरिकता संशोधन बिल में पडौसी मुल्कों से आने वाले मुसलमानों को घुसपैठिया और हिन्दुओं को शरणार्थी कहा गया है| अमित शाह ने बिल पेश करने से पहले ही एलान कर दिया है कि शरणार्थियों को भारत की नागरिकता दी जाएगी और घुसपैठियों को निकाल बाहर किया जाएगा।

विपक्ष धर्म के आधार पर विभाजन किए जाने का विरोध कर रहा हैलेकिन जब देश का बंटवारा ही धर्म के आधार पर हुआ हो तो ऐसा विभाजन न्यायोचित हो जाता है। हालांकि यह अंतर धर्म के आधार पर नहीं हो रहा , क्योंकि शरणार्थियों की श्रेणी में ईसाई भी रखे गए हैं। यह अंतर्राष्ट्रीय क़ानून भी है कि शरणार्थियों को यह साबित करना होता है कि वे अपने देश में उत्पीड़न के शिकार हैं और उन्हें वापस भेजा गया तो उनकी मौत भी हो सकती है।

पाकिस्तान , बांग्लादेश और अफगानिस्तान में यह हालत सिर्फ हिंदुओं और ईसाईयों की है , मुसलमानों की नहीं , क्योंकि इन तीनों मुस्लिम देशों में हिन्दुओं और ईसाईयों पर उत्पीडन हो रहा है। उन की बेटियों का अपहरण हो रहा है , उनसे बलात्कार किए जा रहे हैं , उनकी हत्याएं की जा रही हैं , उन्हें धर्म परिवर्तन कर मुस्लिम बनने पर मजबूर किया जा रहा है।

और यह मुस्लिम घुसपैठियों का खतरा सिर्फ भारत नहीं भांप रहा , 28 यूरोपियन देश जो सीरियाई, अफगानी , इरिट्रियाई , नाईजीरिया और कोसोबो के मुसलमानों को शरणार्थी के रूप में स्वीकार करने के प्रति उदार थे , अब अपनी गलती पर पछता रहे हैं क्योंकि शरणार्थियों के रूप में आ कर उन्होंने यूरोपियन संस्कृति को चुनौती देना शुरू कर दिया है।

अजय सेतिया
लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं, ये उनके निजी विचार हैं

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