हाकिमों ने मोदी के फैसले की जड़ खोदी

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फरमान को ठेंगा : तमाम बंदिशों व आदेशों के बावजूद दो हजार से ज्यादा आईएएस व आईपीएस ने चार साल से नहीं भरा अचल संपत्तियों का ब्यौरा, इस बार आखिरी तारीख 31 जनवरी लेकिन अब तक साढ़े पांच हजार अफससों ने नहीं भरा रिटर्न

भले ही तंत्र की रीढ़ लोक हो लेकिन आजादी के बाद एक धारणा भी बन गई है और परंपरा भी देश को अफसरशाही और राजनीति ही हांकती है। अपने ही अंदाज में। ताकत इनके ही पास है और वैसे भी भारत की कहावत है कि जिसकी लाठी-उसकी भैंस। लाठी अफसरों के हाथ में है और उनके तबादले तो किए जा सकते हैं लेकिन पांच साल में नेताओं की तरह बदला नहीं जा सकता इसी वजह से वो मनमानी करते हैं। हैरानी की बात है कि मोदी जैसे पीएम के रहते हुए अफसरशाही ने मोदी सरकार को एक मामले में ठैंगा दिखा दिया है और वो मामला है संपत्तियों का खुलासा ना करने का। 31 जनवरी तक आईएएस व आईपीएस अफसरों को अपनी अचल संपत्तियों का ब्यौरा देना है। मगर अब तक साढ़े पांच हजार से ज्यदा अफसरों ने रिटर्न नहीं भरे। रिटर्न जमा कर वो खुद को डिफाल्टर होने से बचा सकते हैं लेकिन सरकार पहले के बरसों में कोई ठोस एक्शन नहीं ले पाई लिहाजा दो हजार से ज्यादा आईएएस व आईपीएस ऐसे हैं जिन्होंने मोदी राज में एक बार भी रिर्टन नहीं भरा। यानी डिफाल्टर। इनमें सबसे ज्यादा यूपी कैडर के हैं और कुछ पश्चिमी यूपी में भी तैनात हैं।

आखिर भारतीय प्रशासनिक सेवाओं के अफसरों के लिए हर साल रिटर्न भरने का सख्त नियम है। जीन ज्यादाद और मकान आदि से जुड़े इस अचल संपत्ति रिटर्न को भरने में फेल होने पर विजलेंस क्लीयरेंस और प्रमोशन आदि के लाभ से वंचित करने की चेतावनियों को भी अफसर दरकिनार कर रहे है। दो हजार से ज्यादा अफसरों पर तो डीओपीटी नियमों के मुताबिक डिफाल्टर होने का ठप्पा लगा चुका है। यूपी में अवैध खनन के मामले में चर्चित आईएस अफसर बी चंद्रकला के ठिकानों पर जिस तरह से छापेमारी हुई तो अफसरों की काली कमाई का मामला फिर से बहस में आ गया है। ऐसे में प्रभात ने जब केंद्र सरकार के कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग में देश भर के आईएएल-आईपीएस अफसरों की ओर से दाखिल रिटर्न के आंकड़ों का परीक्षण किया तो पता चला कि तमाम अफसर नियम-कायदों को दरकिनार कर अपनी संपत्तियों का खुलासा करने से बच रहे हैं।।

31 दिसम्बर 2018 तक अर्जित अचल संपत्तियों के बारे में एक जनवरी से 31 जनवरी 2019 तक आईएएस अफसरों को हिसाब-किताब देना है। सिर्फ दस दिन बचे हैं, मगर अब तक तकरीबन पांच हजार आईएस में से 3060 अफसरों ने रिटर्न नहीं दाखिल किए हैं। खैर, इन आईएएस अफसरों के पास तो अभी दस दिन का मौका है। अगर तय थिति के भीतर नहीं जमा करेंगे तो एक और मौका मिलाग। इसके बाद डिफॉल्टर घोषित होंगे। मगर देश में सैकड़ों की संख्या में ऐसे आईएएस पड़े हैं, जो कि वर्ष 2014 से लेकर अपनी संपत्तियों की घोषणा नहीं कर रहे हैं। कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) के निर्धारित प्रोफार्मा पर वह सूचनाएं ही नहीं उपलब्ध करा रहे हैं। वेबसाइट से मिले आंकड़ो के मुताबिक वर्ष 2014 में अर्जित संपत्तियों का 1164 आईएएस अफसरों ने रिटर्न ही नहीं दाखिल किया। इसके अलावा 2015 का 1137 आईएएस ने ब्यौरा नहीं दिया। इस बीच सरकार ने कुछ सख्ती बरती तो सुस्त पड़े आईएएस अफसरों ने प्रापर्टीज की जानकारी देनी शुरु की। फिर भी 592 आईएएस डिफॉल्टर रहे। इसी तरह 2017 के लिए 715 अफसरों ने संपत्तियों की जानकारी नहीं दी। इसमें यूपी के 86 आईएएस हैं, देश में 6396 पदों की तुलना में 4926 आईएएस कार्यरत हैं।

देश में आईपीएस अफसरों के कुछ 4802 आईपीएस अफसरों की के पोस्ट हैं। जिसमें से 3894 आईपीएस कार्यरत हैं। अचल संपत्ति का रिटर्न भरने की बात करें तो वर्ष 2018 की अचल संपत्ति का ब्यौरा अब तक 2696 आईपीएस नहीं दिए हैं। इनके लिए 31 जनवरी आखिरी तारीख है। चौकाने वाली बात है कि सैकड़ो की संख्या में ऐसे आईपीएस हैं, जिन्होंने पिछले संपत्तियों की जानकारी नहीं दी है। मिसाल के तौर पर 31 दिसम्बर 2017 तक अर्जित संपत्तियों के बारे में 498 आईपीएस अफसरों ने अगले साल 31 जनवरी 2018 की मियाद बीत जाने के बाद भी जानकारी नहीं दी। इसमें यूपी के 53, उत्तराखंज के आठ, राजस्थान के नौ, पंजाब के 12, मध्य प्रदेश के 20 अफसर हैं। इसी तरह करीब छह सौ आईपीएस अफसर ऐसे हैं, जिन्होंने वर्ष 2016 की संपत्तियों का भी ब्यौरा नहीं दिया। इसी तरह वर्ष 2018 का रिर्टन अब तक 2678 आईपीएस नहीं भरे हैं। हालांकि, वर्ष 2018 के रिर्टन के लिए अभी 31 जनवरी तक का टाइम है।।

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