अब लगभग हर व्यकित घरों से निकलकर अपने अपने तरीके से काम में लग गया होगा। आपका जो भी काम धंधा, व्यवसाय हो, एक बार अपने आपसे जरूर पुछिएगा हमें क्या और कैसे करना है और फिर संकल्प लें कि जो भी करेंगे। पूरू ईमानदारी से, पूरी सावधानी के साथ करेंके। एक सही काम यह भी है कि अपने शरीर की रक्षा और दूसरी देह का सम्मान करें। कोरोना से बचने के लिए यह एक जरूरी शर्त है। संत फकीरों ने कहा है शरीर का मान इसलिए करें कि उसमें परमात्मा का वास है। गुरू गोबिन्दसिंह का एक शिष्य था कन्हैया जब वे मुगलों से युध्द करते थे, तो उसे अपने घायल सैनिकों को पानी पिलाने का काम सौंपा जाता था।
एक बार सिश सैनिकों ने कन्हैया की शिकायत करते हुए कहा-वह हमारे अलावा अपनी मशक से घायल मुगल को पानी पिलाता है। शिकायत सुन गुरुजी को भी आश्चर्य हुआ। कन्हैया से पूछा तो बोला – जी आप ही की शिक्षा है कि हर शरीर में परमात्मा विराजता है। तो जब मैं पानी लेकर रणभूमि में जाता हूं तो उन व्याकुल-प्यासे सैनिकों को देख मेरे मन से सिख या मुगल का भेद समाप्त हो जाता है। उन सबमें मुझे परमात्मा दिखाई देता है। बहुत अच्छी बात बोल गया था शिष्य सुनकर गुरुगोबिन्द सिंह ने भी उसका मान किया था अब हम भी जब बाहर निकलें तो हर शरीर में परमात्मा देखना है और उसका मान इसी में है कि हम भी अनुशासित रहें, सामने वाला भी सुरक्षित रहें