हमले का सिलसिला चिंताजनक

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अमेरिका-ईरान के बीच तनाव घटने के बजाय बढ़ रहा है। इससे दुनिया का एक बड़ा हिस्सा किसी ना किसी रूप में प्रभावित होने की कगार पर है। वैश्विक मंदी की चुनौतियों के बीच युद्ध जैसी स्थिति अत्यंत चिंताजनक है। ईरान के शीर्ष कमाण्डर सुलेमानी की अमेरिकी ड्रोन हमले में हुई मौत के बाद जवाबी हमले में इराक स्थित अमेरिकी सैनिकों के बेस पर मिसाइल दागे गए और यह दावा किया गया कि 80 अमेरिकी सैनिकों को मारकर शीर्ष कमांडर की मौत का बदला ले लिया गया है। हालांकि इराक स्थित नाटो देशों के हवाले से जनहानि से इनकार किया गया है और इसी तरह की बात अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के सार्वजनिक बयान के बाद ईरान ने फिर बगदाद में अमेरिकी बेस पर हमला किया। इससे अब इस सिलसिले के ना थमने की आशंका से वैश्विक भूराजनीतिक तनाव में अप्रत्याशित इजाफा होना तय है। भारतीय संदर्भ में यह तनाव तेल और ऊर्जा के क्षेत्र में संकट बढ़ाने वाला साबित होगा। अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दामों में दो डॉलर की वृद्धि हुई है। तनाव ऐसे ही बढ़ता रहा तो हालात 90-ृ91 जैसे होने के आसार हैं। तब खाड़ी युद्ध के चलते वैश्विक स्तर पर अर्थव्यवस्था लडख़ड़ा गयी थी।

आर्थिक उदारीकरण के नये दौर से परम्परागत संरक्षित आर्थिक ढांचा बिखर रहा था, उसके अपने परिणाम चुनौतीपूर्ण थे ही। ऐसी स्थिति एक बार फिर पैदा होती प्रतीत हो रही है। अमेरिका का या? ट्रंप ने बुधवार को अपने संबोधन में साफ कर ही दिया कि उसके पास तेलों का पर्याप्त भंडार है और उसे मिडिल ईस्ट की कोई जरूरत नहीं है। पर भारत जैसे देश जिसे खाड़ी देशों से तेलों की आपूर्ति चाहिए ही अन्यथा विकास की रही-सही गति भी ठप हो जाएगी। सके अलावा रोजगार के मोर्चे पर तस्वीर यह है कि तकरीबन एक करोड़ भारतीय खाड़ी मुल्कों में काम करते हैं और सालाना इस तरह भारत को 45 अरब डॉलर की कमाई होती है। मौजूदा परिदृश्य में भारत के लिए यह बड़ी चुनौती है। अमेरिका से देश के अच्छे संबंध हैं और इसी तरह ईरान से भी। बल्कि ईरान से हमारे सदियों पुराने सामाजिक-सांस्कृतिक और कारोबारी रिश्ते रहे हैं। देश का विभाजन नहीं हुआ था तब ईरान से जमीन भी जुड़ी हुई थी। कश्मीर के सवाल पर भी नए हाल के भारतीय निर्णय पर ईरान सरकार की तरफ से तटस्थता बरती गई थी। वैसे भी शिया बहुल ईरान से आध्यात्मिक रिश्ता रखने वालों का यानि शिया फिरका भारत में रहता है।

ईरान के सर्वोच्च आध्यात्मिक नेता आयतुल्ला खोमैनी का पुश्तैनी ताल्लुक यूपी के बाराबंकी जनपद से बताया जाता है। जो भी हो, संबंधों के कई रंग भारत- ईरान के बीच हैं, इसीलिए हाल के तनाव में तटस्थता बनाए रखना बड़ी चुनौती है। ईरान के भारत स्थित राजदूत ने भी यहां की बड़ी भूमिका हो सकती है, ऐसा भरोसा जताया है। हालांकि ट्रंप-मोदी के बीच वार्ता तो हुई है, इस तनाव पर भी बात हुई है यह साफ नहीं है। पर इस संकट के गहराने से भारत की चिंता बढ़ाने वाली स्थितियों के पैदा होने से इनकार नहीं किया जा सकता। 2019-20 के लिए सरकार ने खुद माना है कि जीडीपी 5 फीसदी रहने वाली है। इसका मतलब कि अर्थव्यवस्था में उछाल के लिए बीते महीनों से जितने भी उपाय अपनाये गए वे नाकाफी हैं। हालांकि वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण की मानें तो कोशिशें चल रही हैं और आगे भी जारी रहेंगी। उम्मीद है कि काफी कुछ आगे का ब्लू प्रिंट एक फरवरी को पेश होने वाले बजट से चलेगा। पर इससे पहले अनुमानित जीडीपी का नंबर साफ संकेत है कि बहुत उम्मीद नहीं की जानी चाहिए। ऐसे में अमेरिका-ईरान तनाव जारी रहा तो सर्द बढ़ाने वाला ही साबित हागा। ईरान की तरफ से दोबारा हमला गंभीर परिणाम की जमीन तैयार कर सकता है।

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