स्वामी विवेकानंद की पुण्यतिथि पर उनके महान कार्यों और विचारों को श्रद्धांजलि दी जाती है।

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स्वामी विवेकानंद की पुण्यतिथि 4 जुलाई को मनाई जाती है। उन्होंने 4 जुलाई, 1902 को अपने जीवन की अंतिम सांस ली। स्वामी विवेकानंद भारतीय आध्यात्मिक गुरु और समाज सुधारक थे जिन्होंने अपने विचारों और शिक्षाओं से पूरी दुनिया को प्रभावित किया। उनके योगदान को याद करते हुए, उनकी पुण्यतिथि पर उनके महान कार्यों और विचारों को श्रद्धांजलि दी जाती है।

स्वामी विवेकानंद के प्रमुख योगदान:

  1. विश्व धर्म महासभा: 1893 में शिकागो में आयोजित विश्व धर्म महासभा में उनके प्रभावशाली भाषण ने उन्हें वैश्विक पहचान दिलाई। उनके “मेरे अमेरिकी भाइयों और बहनों” के संबोधन ने सभी का दिल जीत लिया।
  2. रामकृष्ण मिशन की स्थापना: उन्होंने 1897 में रामकृष्ण मिशन की स्थापना की, जो आज भी शिक्षा, स्वास्थ्य और समाज सेवा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण कार्य कर रहा है।
  3. वेदांत का प्रसार: स्वामी विवेकानंद ने वेदांत और योग के ज्ञान को पश्चिमी दुनिया में फैलाया। उनकी शिक्षाओं ने पूर्व और पश्चिम के बीच एक सांस्कृतिक सेतु का निर्माण किया।
  4. राष्ट्रीयता और समाज सेवा: स्वामी विवेकानंद ने भारतीय युवाओं को अपने देश की सेवा करने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने राष्ट्रीयता और सामाजिक सेवा का संदेश फैलाया।

उनके जीवन की प्रमुख घटनाएँ:

  • 12 जनवरी 1863: स्वामी विवेकानंद का जन्म कोलकाता में हुआ।
  • 1881: रामकृष्ण परमहंस से पहली बार मिलन।
  • 1886: रामकृष्ण परमहंस का निधन और स्वामी विवेकानंद का संन्यास।
  • 1893: शिकागो में विश्व धर्म महासभा में भागीदारी।
  • 1897: रामकृष्ण मिशन की स्थापना।
  • 4 जुलाई 1902: स्वामी विवेकानंद का निधन।

उनके कुछ प्रसिद्ध उद्धरण:

  • “उठो, जागो और तब तक नहीं रुको जब तक लक्ष्य की प्राप्ति न हो जाए।”
  • “तुम्हें अंदर से बाहर की ओर बढ़ना होगा। कोई तुम्हें सिखा नहीं सकता, कोई तुम्हें आध्यात्मिक नहीं बना सकता। तुम्हारी आत्मा के अलावा कोई अन्य गुरु नहीं है।”
  • “एक विचार लो, उस विचार को अपना जीवन बना लो – उसके बारे में सोचो, उसका सपना देखो, उस विचार पर जियो। मस्तिष्क, मांसपेशियों, नसों, शरीर के हर हिस्से को उस विचार से भर दो, और बाकी सभी विचारों को किनारे रख दो। यही सफल होने का तरीका है।”

स्वामी विवेकानंद की पुण्यतिथि पर हम उनके विचारों और शिक्षाओं को याद करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। उनका जीवन और उनकी शिक्षाएं आज भी हमें प्रेरणा देती हैं।

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