आज तोताराम ने जो समाचार दिया वह बहुत धक्का पहुंचाने वाला था। बोला शाह ने जि़हाद का ऐलान कर दिया है। हम सोचने लगे कि नोटबंदी, फिर धारा 370 समाप्त कर देने और इंटरनेट पर प्रतिबंध लगाने पर भी देशद्रोहियों के हौसले इतने बुलंद हो गए कि जि़हाद का ऐलान कर दें। हमने कहा- तोताराम, इन्हें हजारों साल हो गए देश में रहते हुए लेकिन ये इस देश के नहीं हो सके। गुजरात के मोहम्मद शाह को देख लो, अफगानिस्तान से आए अहमद शाह अब्दाली को ले लो और कश्मीर का शब्बीर शाह। कोई भी तो इस देश का नहीं हुआ। शाहों से और कोई उम्मीद नहीं हो सकती।लेकिन चिंता मत कर अब यह देश जाग उठा है। एक-एक को देश से बाहर करके छोड़ेंगे। बोला- मास्टर, तुझमें यही बुराई है कि तू बात पूरी नहीं होने देता, अपने पूर्वाग्रहों को लेकर बिना सोचे-समझे तलवार निकाल लेता है।
मैं किसी ऐरे-गैरे और मर-खप गए की बात नहीं कर रहा हूं। मैं तो अपने अमित शाह जी की बात कर रहा हूं, जो 2 अक्टूबर 2019 से प्लास्टिक के खिलाफ जि़हाद छेडऩे वाले हैं। हमने कहा- लेकिन अमित शाहजी तो हिंदू हैं और वैष्णव भी, जय श्री कृष्णा बोलने वाले भी तो वह जि़हाद क्यों छेड़ेंगे? यदि जरूरी हुआ तो योगिराज कृष्ण की तरह महाभारत जैसा ‘धर्म- युद्ध’ प्रायोजित क रेंगे। मुसलमानों का ‘जि़हाद’ और ईसाइयों का ‘क्रूसेड’ बुरा होता है लेकिन हमारा धर्मयुद्ध तो धर्म संस्थापनार्थाय होता है। बोला – वैसे मास्टर भले ही हम हजार बातें करें लेकिन यह भी एक कटु सच है कि महाभारत के बाद ही इस देश की कमर ऐसी टूट गई कि आज तक नहीं संभला। वैसे हम अमित जी के प्लास्टिक के विरुद्ध धर्म युद्ध ही करें तो उचित रहेगा क्योंकि यह हिंदू-मुसलमान का नहीं बल्कि देश के पर्यावरण और स्वस्थ-भविष्य का प्रश्न है।
हमने पूछा- ठीक है करें, बड़ा शुभ काम है। जैसे इन पांच सालों में देश स्वच्छ हो गया वैसे 2024 तक जल-संरक्षण हो जाएगा और जब हाथ में ले ही लिया है तो भारत कांग्रेस की तरह प्लास्टिक से भी मुक्त हो ही जाएगा। हो सके तो तू किसी विशाल भारद्वाज के निर्देशन में और हिमेश रेशमिया के स्वर में प्लास्टिक के विरुद्ध एक बढ़िया-सा गीत तैयार कर ले। क्या पता, हिट हो गया तो पद्मश्री ही टपक पड़े। बोला- मास्टर, तेरे व्यंग्य को मैं समझ रहा हूं। याद रख, यह देश एक बहुत बड़ा है और बहुत स्वच्छंद रहा है। यह इतना स्थितिप्रज्ञ है कि शौचालय में बैठकर भी ब्रह्म-चर्चा कर सकता है फिर भी मेरा विश्वास है कि अबकी बार प्लास्टिक की खैर नहीं। हमने कहा- तेरे इस अतिविश्वास का क्या आधार है ? बोला- इसके दो कारण हैं एक तो मोदी जी चाय वाले हैं।
यदि वे लोगों को समझाने की ठान लें तो वे चाय पीने वालों को इस बात के लिए तैयार कर सकते हैं कि वे अपने साथ स्टील का एक गिलास रखें। उसी में चाय पिएं और उसके बाद धोकर अपनी जेब में रख लें। यह कोई टाइट जींस नहीं है यह मोदी- कुर्ते की लंबी जेब है जिसमें बहुत कुछ रखा जा सकता है। इससे प्लास्टिक से मुक्ति मिलेगी और साथ ही चाय की कीमत में से गिलास के पैसों की छूट भी। और अमित जी के परिवार का पुराना व्यवसाय पी.वी.सी. पाइप का रहा है, वह भी प्लास्टिक ही तो है। वह चाहेंगे तो ऐसा प्लास्टिक भी बना सकते हैं जो सौ साल की बजाय दो दिन में ही डिग्रेड हो जाए। वैसे वे चाहेंगे तो धमकी देकर भी प्लास्टिक की हालत इतनी पतली कर देंगे कि हुआ न हुआ बराबर हो जाएगा।
रमेश जोशी
(लेखक वरिष्ठ व्यंगकार हैं, ये उनके निजी विचार हैं)