वाह ! क्या उम्मीदवार हैं हमारे ?

0
197

दिल्ली के आम चुनाव की चर्चा देश भर में है। कई कारणों से है लेकिन कुछ कारण ऐसे भी हैं, जिनकी वजह से दिल्लीवाले अपना माथा ऊंचा नहीं कर सकते। दिल्ली में शिक्षा-संस्थाओं की भरमार है लेकिन दिल्ली प्रदेश के चुनाव में 51 प्रतिशत उम्मीदवार ऐसे हैं, जो 12 वीं कक्षा या उससे भी कम पढ़े हुए हैं। उनकी संख्या 340 है। 44 प्रतिशत ऐसे हैं, जिनके शिक्षा बीए या उससे थोड़ी ज्यादा है। उनमें से एम.ए. पीएच.डी, डॉक्टर या वकील कितने हैं, कुछ पता नहीं।

ये आंकड़े खोजनेवाली संस्था ‘एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स’ यदि इस तरह के आंकड़े भी सामने लाती तो हम यह अंदाज लगाते कि इन जन-प्रतिनिधियों में कितने लोग सचमुच पढ़े-लिखे लोग हैं और उनमें से कितनों को कानून बनाने की समझ है। दूसरे शब्दों में इन उम्मीदवारों में कितने ऐसे हैं, जिनमें विधायक या सांसद बनने की योग्यता है। इन उम्मीदवारों में 6 ऐसे हैं, जो कहते हैं कि वे दस्तखत करना जानते हैं और वे चाहें तो अखबार भी पढ़ सकते हैं। कुल 672 उम्मीदवारों में 16 ऐसे भी हैं, जो निरक्षर हैं। वे पढ़ना-लिखना जैसी जेहमत नहीं करते। वे दस्तखत की बजाय हर जगह अंगूठा लगाते हैं।

यह ठीक है कि बुद्धिमान और चतुर होने के लिए किसी व्यक्ति का डिग्रीधारी होना जरुरी नहीं है लेकिन विधायक और सांसद बनने के लिए कोई न्यूनतम योग्यता तो होनी चाहिए या नहीं? चुनाव आयोग इसका विधान जब करेगा, तब करेगा लेकिन हमारी राजनीतिक पार्टियां क्या कर रही हैं? वे तो चुनावी मशीन बनकर रह गई हैं। वे सिर्फ ऐसे उम्मीदवार चुनती हैं, जो उनके लिए वोट और नोट जुटा सकें। इसीलिए आप देखिए कि इस चुनाव में 20 प्रतिशत उम्मीदवार ऐसे हैं, जिनके खिलाफ बकायदा आपराधिक मामले दर्ज हैं। इस मामले में सभी पार्टियां चुनाव के हम्माम में नंगी हैं। किसी के 51, किसी के 25 और किसी के 20 प्रतिशत उम्मीदवार दागी हैं? ये लोग विधायक बनकर क्या गुल खिलाएंगे? इन्होंने अपना असली रंग दिखाना अभी से शुरु कर दिया है। मतदाताओं को नशीले पदार्थ पिछले चुनाव के मुकाबले इतनी बेशर्मी से बांटे जा रहे हैं कि उनकी जब्ती इस बार अब तक 21 गुना हो गई है।

डा. वेदप्रताप वैदिक
( लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं ये उनके निजी विचार हैं )

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here