योगी सरकार ने साफ कर दिया है कि आंदोलन की आड़ में उपद्रव मचाने वालों से निपटने में नरमी नहीं बरती जाएगी। पिछले दिनों राज्य में सीएए-एनआरसी के विरोध में हुए हिंसक आंदोलन के दौरान सार्वजनिक संपत्ति को पहुंचे नुकसान की भरपाई के लिए उपद्रव में शामिल रहे लोगों के खिलाफ कार्रवाई की प्रक्रिया तेज हुई है। जिनकी पहचान हुई, उन्हें नोटिस भेजी जा रही है और जो शेष हैं उनकी पहचान के लिए उन स्थानों पर घटनास्थल पर दिखे लोगों की फोटो चस्पा की गई है ताकि दोषियों तक पहुंचने में सहूलियत हो सके । खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इस दौरान तीन-चार बार सार्वजनिक तौर पर कह चुके हैं कि आंदोलन के नाम पर अराजकता और सार्वजनिक नुकसान के मामले में सरकार चुप नहीं बैठेगी। सरकार उपद्रवियों से निपटने के लिए पुलिस को खुली छूट दे रखी है ताकि ऐसे अराजक तत्वों के दिलोदिमाग में खौफ पैदा हो सके । पर इस सारी कवायद के बीच पुलिस के रवैये से जुड़े भी कुछ मामले सामने आ रहे हैं, जो चिंतित करते हैं। खासकर पश्चिम यूपी के कुछ स्थानों से ऐसे वीडियो वायरल हुए हैं, जो पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठाते हैं।
यह भी एक तथ्य है कि कुछ पुलिस अफसरों ने पिछले दिनों आंदोलनों को बड़े सलीके से नियंत्रित भी किया है, जो स्वागत योग्य है और किसी प्रशासनिक अधिकारी से जनता को यही अपेक्षा भी होती है। पर कुछ ऐसे प्रकरण भी सामने आये हैं, जिसमें किसी पुलिस अफसर ने भीड़ संभालने के नाम पर आपा खो दिया और वो कर दिया जिसकी उम्मीद नहीं की जा सकती। मसलन मेरठ में एक पुलिस अफसर के विवादास्पद बोल की बड़ी चर्चा है। हालांकि बाद में खुद अमुक अफसर ने यह स्वीकार किया कि उनसे वो बात गुस्से में निकल गयी। अब पुलिस की तरफ से जारी किए गए वीडियो सही हैं या कुछ लोग जो पुलिस के जवाब में अपनी वीडियो क्लीपिंग्स चैनलों और सोशल मीडिया के जरिये सार्वजनिक किये हैं, इसकी निष्पक्ष जांच पर ही असल बात सामने आ पाएगी। हालांकि ऐसे मामलों की स्थानीय स्तर पर प्रशासनिक जांच की कवायद शुरू हुई हैं लेकिन इन सबके बीच यह भी एक सच है कि आंदोलन के नाम पर यदि पुलिस पर हमले की कोशिश होगी तो प्रत्युत्तर में पुलिस चुप नहीं बैठेगी और तब कार्रवाई के दौरान कुछ भी हो सकता है, इसकी आशंका प्रबल हो जाती है।
ज्यादातर निर्दोष शिकार होते हैं, जो खुराफात में शामिल होते हैं, वे समय रहते सीन से गाबय हो जाते हैं। विसंगति यह है कि स्थिति को बिगाडऩे वाले ही फिर बेकसूरों के मंसूबों पर हमला करते हैं। इधर जुमे की नमाज के अमन चैन से गुजर जाने के बाद खासकर लखनऊ में जिंदगी पटरी पर लौटने लगी है। कांग्रेस के स्थापना दिवस पर जरूर शाम के वक्त बीते शनिवार लखनऊ की सडक़ों ने अफरा-तफरी में खुद को पाया। कांग्रेस महासचिव प्रियंका वाड्रा ने पुलिस पर अपने ऊपर हमलों का आरोप लगाकर सनसनी फैला दी। हालांकि सियासी पैंतरेबाजी कुछेक घंटे के बाद शांत हो गयी पर इससे यह स्पष्ट हो गया है कि योगी सरकार के लिए सपा के अलावा कांग्रेस से भी सडक़ों पर जूझना होगा। जिस तरह प्रियंका वाड्रा पार्टी को आंदोलन के जरिये सक्रिय करने में जुट गयी हैं और राज्य सरकार को घेरने का एक भी मौका नहीं छोड़ रही हैं, उससे साफ है कि आगे के लिए राज्य में भी भाजपा सरकार के लिए कांग्रेस बड़ी चुनौती साबित हो सकती है।