मोदी की नई टीम

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बारे में यह कहा जाता है कि उन्हें रिस्क लेना रास आता है और इसी वजह से कई बार फैसले चौंकाने वाले होते हैं। मसलन गुरुवार को शपथ के क्रम को देखते हुए साफ हो गया था कि गृह मंत्रालय राजनाथ सिंह के पास ही रहेगा और हो सकता है अमित शाह के रूप में देश को नया वित्त मंत्री मिले। पर शक्रवार को दोपहर में जब मंत्रालयों का बंटवारा हुआ तो शाह देश के नए गृहमंत्री हो गए और राजनाथ सिंह को रक्षा मंत्रालय का प्रभार दे दिया गया। शुक्रवार को मंत्रालयों की जो सूची जारी हुई है, उसमें भी मोदी के बाद राजनाथ सिंह और उनके बाद अमित शाह को स्थान मिला। लेकिन समझा यही जाता है कि जो गृहमंत्री होता है उसे प्रधानमंत्री के बाद गिना जाता है। पर यहां संतुलन साधते हुए राजनाथ सिंह की वरिष्ठता से बिना छेड़छाड़ के अमित शाह को गृहमंत्री की जिम्मेदारी दी गई है।

वैसे गुजरात में भी उनके पास गृह विभाग था और आतंक वाद पर तब काफी अंकुश लगा था। इसी तरह निर्मला सीतामरण को वित्त मंत्री बनाकर वाकई पिछली बार की तरह अनुमान करने वालों को चौंकाया है। ठीक है, पूर्व में रक्षामंत्री से पहले उनके पास वाणिज्य मंत्रालय भी रहा है। लेकिन माना यह जा रहा था वित्त मंत्री पीयुष गोयल को ही बनाया जाएगा। तत्कालीन मोदी सरकार का आखिरी बजट उन्होंने ही पेश किया था। एक और चयन चौंकाने वाला है लेकिन जिस तरह की वैदेशिक चुनौतियां देश के सामने हैं, उसमें सुषमा स्वराज जैसी अनुभवी राजनेता की गैर मौजूदगी में राजनय के तौर किसी अनुभवी चेहरे की मांग थी। इस लिहाज से पूर्व विदेश सचिव एस. जयशंकर को विदेश मंत्री बनाया जाना एक बेहतर फैसला माना जाएगा। एस. जयशंकर ने डोक लाम गतिरोध को दूर करने में बड़ी महती भूमिका निभाई थी।

प्रधानमंत्री की पसंद के तौर पर उन्हें देखा जाता है। वैसे भी अमेरिका और चीन के बीच ट्रेड वार अपने चरम पर है, ऐसे में बदली भूराजनीतिक -आर्थिक परिस्थितियां पहले से ज्यादा जटिल हो गई हैं। इस दृष्टि से कूटनीतिक संतुलन साधने और भारतीय हितों को ध्यान में रखते हुए सामंजस्य बैठाने वाला शख्स चाहिए था। ठीक है कि बहुत कुछ प्रधानमंत्री ही तय करते हैं फिर भी। दूसरी पारी की एक खास बात यह भी है कि इसमें ज्यादातर मंत्रियों के पास पहले से चली आ रही जिम्मेदारी यथावत रखी गई है। पिछली सरकार में जिनकी परफार्मेन्स अच्छी रही थी, उन्हें प्रोन्नत भी किया गया है। एक तरह से देखें तो इस बार मोदी की टीम ज्यादा परिपक्व और अनुभवी दिखाई देती है। इस बीच जरूर कैबिनेट में जगहको लेकर जदयू की तरफ से जो बातें सामने आई हैं, वे चिंतित करती हैं। हालांकि नीतिश कुमार ने सांकेतिक भागीदारी से परहेज करते हुए एनडीए की मजबूती का भरोसा दिखाया है। फिर भी भीतरखाने कुछ सवाल जंरूर हैं, जिस पर मोदी-शाह गौर करेंगे ऐसी उम्मीद की जानी चाहिए।

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