मेहनत की कमाई डूब गई, सारी कामवालियां साथ हो गई

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पता चला, मोहल्ले में गुप-चुप अंदाज में ही एक कांड हो चुका है। मेरे पड़ोस के फ्लैट में काम करने वाली सिवरानी को एक प्रतिष्ठित व्यक्ति 20 हजार रुपये की चपत लगा दी और वह उनके खुलकर अपने पैसे भी नहीं मांग पा रही। 20 हजार रुपये। इतने पैसे एकमुश्त उसके पास कहां से आए और उसने किसी को दिए क्यों?

घरों में झाडू-पोंछा करने वाली औरतों को सुबह-सबेरे अपनी कॉलोनी के गेट पर खुस-फुस मीटिंग सी करते देख मैंने इस बारे में थोड़ी दरयाफ्त करने की सोची। पता चला मोहल्ले में गुप-चुप अंदाज में ही एक कांड हो चुका है। मेरे पड़ोस के फ्लैट काम करने वाली सिवरानी को एक प्रतिष्ठित व्यक्ति 20 हजार रुपये की चपत लगा दी और वह उनके खुलकर अपने पैसे भी नहीं मांग पा रही। 20 हजार रुपये। इतने पैसे एकमुश्त उसके पास कहां से आए और उसने किसी को दिए क्यों? जानकारी मिली कि पैसों का लेन-देन धीरे-धीरे करके हुआ था। सिवरानी का पति पीकर मार-पीट करता है। जैसे-तैसे छिपाकर रखे गए 12 हजार रुपये उसने अपनी नजर में सबसे भरोसेमंद परिवार के यहां रख दिए। बाकी आठेक हजार रुपये उन्हीं के यहां उसकी मजदूरी के जमा हो गए थे।

गांव जाने बारी आई और उसने अपने पैसे वापस मांगे तो पता चला कि भरोसेमंद परिवार का कोई महंगा गहना खो गया था, जिसे लेकर वहां के लोग बहुत परेशान थे। उन्होंने कहा कि यहां लाख रुपये का गहना नहीं मिल रहा, तुम्हें अपने पैसों की पड़ी है। इससे आगे के ब्यौरे धुंधले हैं। इस घटना के बाद भी सिवरानी उस घर में कई महीना भर काम करती रही, सो एक बात तो पक्की है कि झगड़े-झंझट की नौबत नहीं आई। लेकिन पैसे पंस जाने के डर से वह सदमें में आ गई और साथ की छुक महिलाओं को इसके बारे में बता दिया। अलबत्ता अपने पति को उसने अभी तक, यानी घटना के तीन-चार महीने गुजर जाने के बाद भी इसकी कोई भनक तक नहीं लगने दी, क्योंकि इससे समस्या का हल निकलना तो दूर, उलटे पति की चोरी-चोरी इतने सारे पैसे किसी को दे देने के अपराध में उसकी जिन्दगी दूभर हो जाती।

इसी उलझन में कुछ कामवालियों के साथ वह पुलिस चौकी गई और अपना पैसा मार लिए जाने की बात पुलिस को बताई। पुलिस का रवैया अक्सर आरोपित व्यक्ति की हैसियत देखकर तय होता है। लिहाजा जो सिपाही उन सज्जन के घर गया, उसने वहां रिश्तेदार खोजकर चाय पी, दुआ-सलाम किया और लौट आया। बाद में पूछने पर कहा कि तुमने तो बताया ही नहीं उनका गहना गायब हुआ है। वे बेचारे इतने शरीफ कि लाखों की चोरी को लेकर तुमने उन्हें पैसा दबाने के जुर्म में फंसा दिया! इससे आगे की कहानी क्या सुनानी। उन महाशय ने साफ कह दिया कि पैसे अब तुम थाने से ही लेना। कुछ दिन बाद सिवरानी उनके घर काम करना छोड़ तो प्रतिवाद में साथ की औरतों ने भी उधर झांकना बंद कर दिया। लेकिन पैसे वापस नहीं मिलने थे सो नहीं मिले।

लेखक वरिष्ठ पत्रकार है।

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