मां दुर्गा की तीसरी शक्ति कैसे बदल देंगी आपके जीवन का विधान, जानिए

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🌷🌷माँ दुर्गाजी की तीसरी शक्ति का नाम ” चंद्रघंटा ” है। नवरात्रि उपासना में तीसरे दिन की पूजा का अत्यधिक महत्व है और इस दिन इन्हीं की पूजा-आराधना की जाता है। माँ चंद्रघंटा की कृपा से अलौकिक वस्तुओं के दर्शन होते हैं, दिव्य सुगंधियों का अनुभव होता है तथा विविध प्रकार की दिव्य ध्वनियाँ सुनाई देती हैं। ये क्षण साधक के लिए अत्यंत सावधान रहने के होते हैं……….

🌷🌷मां चंद्रघंटा की कृपा से साधक के समस्त पाप और बाधाएँ विनष्ट हो जाती हैं। इनकी आराधना हमेशा फलदायी है। माँ भक्तों के कष्ट का निवारण शीघ्र ही कर देती हैं। माँ का स्वरूप अत्यंत सौम्यता एवं शांति से परिपूर्ण रहता है। स्वर में दिव्य, अलौकिक माधुर्य का समावेश हो जाता है। माँ चंद्रघंटा के भक्त और उपासक जहाँ भी जाते हैं लोग उन्हें देखकर शांति और सुख का अनुभव करते हैं………….

या देवी सर्वभू‍तेषु माँ चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

🌷🌷माँ का यह स्वरूप परम शांतिदायक और कल्याणकारी है। इनके मस्तक में घंटे का आकार का अर्धचंद्र है इसलिए इन्हें चंद्रघंटा देवी कहा जाता है। इनके शरीर का रंग सोने के समान चमकीला है। इनके दस हाथ हैं. इनके दसों हाथों में खड्ग आदि शस्त्र तथा बाण आदि अस्त्र विभूषित हैं। इनका वाहन सिंह है, इनकी मुद्रा युद्ध के लिए उद्यत रहने की होती है………..

🌷🌷मां का स्वरूप अत्यंत सौम्यता एवं शांति से परिपूर्ण रहता है। इनकी आराधना से वीरता-निर्भयता के साथ ही सौम्यता एवं विनम्रता का विकास होकर मुख, नेत्र तथा संपूर्ण काया में कांति-गुण की वृद्धि होती है। स्वर में दिव्य, अलौकिक माधुर्य का समावेश हो जाता है। माँ चंद्रघंटा के भक्त और उपासक जहाँ भी जाते हैं लोग उन्हें देखकर शांति और सुख का अनुभव करते हैं………….

‼ चंद्रघंटा साधना विधान ‼

साधना सामाग्री- मंत्र सिद्ध चैतन्य भगवती चंद्रघंटा चित्र, सिद्ध चंद्रघंटा यन्त्र, मंत्र सिद्ध महाशक्ति माला

🌷🌷1- यह 46 दिवसीय साधना आप किसी भी शुक्रवार या नवरात्रि से प्रारम्भ कर सकते हैं।

🌷🌷2- यह साधना आप प्रात: 5 बजे या रात्री 9 बजे से प्रारंभ कर सकते हैं। सर्वप्रथम स्नानादि से निवृत्त होकर लाल या पीला धोती या साड़ी पहनकर गुरुनामी चादर ओढ़कर लाल पीले आसन पर उत्तर दिशा की ओर मुँह कर बैठ जाएँ।

🌷🌷3- अब आप अपने सामने चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर उस पर भव्य गुरु चित्र, उसके सामने ही दुर्गा चित्र यन्त्र स्थापित करें, फिर उसके सामने ही चावल, हल्दी, कुमकुम से चौखण्डी बनायें तथा चौखण्डी पर दीप जलायें।

🌷🌷4- अब आप साधना विधान रहस्यम से ‘संक्षिप्त गुरु पूजन’ पवित्रीकरण से लेकर गणपति गुरु स्मरण पूजन कर गुरु माला से गुरु चेतना, गायत्री मंत्र की एक माला जप कर, माला को गले में पहन लें।

🌷🌷5-अब आप ।। दुं दुर्गाये नम:।। मंत्र पढ़ते हुए भगवती का पूजन कुंकुम, हल्दी, चंदन, अक्षत, धूप, दीप से करें तथा अंत में एक लाल चुनरी में लाल पुष्प भर माँ को अर्पित करें

🌷🌷6- अब आप शक्ति माला से निम्न मंत्र की 9 माला जप करें, मंत्र जप के बाद माला को गले में धारण कर लें।

।। ॐ नमो नारायणी नमस्तुभ्य नमस्तुभ्य नमो नम:।।

🌷🌷7- अब आप ऊपर लिखें मंत्र से 108 बार हवन करें, खड़े हो आरती, क्षमा प्रार्थना करें, फिर हाथ जोड़ अपने जीवन को संपूर्ण करने की प्रार्थना करें। निश्चित ही आपकी सभी मनोकामनायें पूर्ण होंगी।

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